यूपी का जिला बहराइच सांप्रदायिक हिंसा की आग में जल रहा है. रविवार को मूर्ति विसर्जन के दौरान हई दो पक्षों की हिंसा में एक युवक की मौत के बाद बहराइच दंगे की चपेट में है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार पर पिछले सात सालों के सफर के ऊपर यह एक दाग लग गया है. अभी तक माना जा रहा था कि देश उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने प्रदेश में होने वाले दंगों को कंट्रोल करके हिंदू और मुसलमानों दोनों ही की रक्षा की है. दंगामुक्त उत्तर प्रदेश के नाम पर भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में ही नहीं पूरे देश में वोट मांगती रही है. पर अब उत्तर प्रदेश सरकार के हाथ से ये टैग भी खत्म होने जा रहा है. सोचना होगा कि ऐसा कैसे हो गया यूपी में. इतनी सख्त सरकार की पुलिस जो छोटी-छोटी डकैतियों पर भी एनकाउंटर करती रहती है उससे कहां गलती हो गई कि दंगे की नौबत आ गई. हालांकि सीएम योगी ने कहा है कि माहौल बिगाड़ने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा, 'सभी को सुरक्षा की गारंटी, लेकिन उपद्रवियों और जिनकी लापरवाही से घटना घटी है, ऐसे लोगों को चिह्नित कर कठोरतम कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. आइये इसके पीछे के कारणों की पड़ताल करते हैं.
1-लगातार हिंदुओं के त्योहारों और जुलूसों पर हमले की खबरें बढ़ रही है
देश में बीजेपी की सरकार है. बीजेपी हिंदुओं के वोट के बल पर ही सत्ता में है. फिर भी देश भर में हिंदू त्योहारों पर जुलसों, राम नवमी पर रथयात्राओं, तिरंगा यात्राओं , गणेश विसर्जन पर भारी पैमाने पर पत्थरबाजी और बमबाजी हुई. लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार नवलकांत सिन्हा अपने एक्स हैंडल पर तंज कसते हैं बहराइच दंगों की खबर में जब दुर्गाविसर्जन में एक शख्स की मौत की खबर सुनी तो लगा कि यह बांग्लादेश की खबर होगी. सच्चाई भी है कि इस तरह की हिंस बांग्लादेश में होती है तो हमें लगता है कि वहां की सरकार हिंदुओं को टार्गेट पर रखती है. पर अपने ही देश से जब ऐसी खबरें आती हैं तो लगता है कि कहीं न कहीं प्रशासन की ये लापरवाही ही है. गणपति विसर्जन के दौरान इस साल हिंसक घटनाएं पूरे देश से मिली है. गुजरात , महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,दिल्ली समेत कई राज्यों में गणेश विसर्जन के दौरान हमले किए गए. इस तरह के हमलों की संख्या कम से कम 17 के करीब थी. पश्चिम बंगाल में रामनवमी जुलूसों पर ताबड़तोड़ हमले हुए थे पर हमें लगता था कि ये ममता बनर्जी सरकार की लापरवाही का नतीजा है. पर जिस तरह उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में हमलावरों का मन बढ़ा हुआ है यह शोचनीय विषय़ है. जाहिर है कि इस तरह के हमले केवल पुलिसिया आतंक के भरोसे नहीं खत्म होने वाले हैं. जितनी सख्ती की जाएगी उतनी अव्यवस्था फैलती जाएगी.
2-क्या मिल्कीपुर और कटेहरी विधानसभा उपचुनाव को प्रभावित करेगा यह दंगा
उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं. उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में बीजेपी अपेक्षित सफलता नहीं हासिल कर सकी.इस बात का मलाल पार्टी नेताओं को बहुत है.विशेषकर योगी आदित्यनाथ ने इसे प्रेस्टिस इशू बना लिया है. योगी सरकार ने इन 10 सीटों को जीतने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. दूसरी ओर इंडिया गठबंधन के दलों समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के लिए भी इस उपचुनाव को जीतना प्रतिष्ठा के सवाल से भी बड़ा है. ये 10 सीटों पर होने वाला उपचुनाव एक तरीके से 2027 विधानसभा चुनावों के लिए सेमीफाइनल के तरीके से.
जाहिर है कि बहराइच के दंगे कम से कम मिल्कीपुर (जिला अयोध्या) और कटेहरी (जिला आंबेडकरनगर) के लिए बहुत निर्णायक साबित हो सकता है. दरअसल अयोध्या जिला और आंबेडकर नगर जिला बहराइच जिले के निकटवर्ती जिले हैं.
3-बीजेपी और कांग्रेस-सपा दोनों के लिए फायदेमंद
दंगे को अपने-अपने फायदे के इस्तेमाल में बीजेपी और कांग्रेस-समाजवादी पार्टी सभी लगे हुए हैं. बहराइच दंगे में मारे गए युवक राम गोपाल मिश्रा का एक विडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह एक घर के ऊपर चढ़कर हरे झंडे को उतारकर भगवा झंडा फहराने की कोशिश कर रहा है. बीजेपी विरोधी ट्वीटर हैंडल कह रहे हैं कि इस घटना के बाद ही राम गोपाल को गोली मारी गई. मतलब सीधे ये संदेश जाता है कि गोली मारकर ठीक किया गया क्योंकि वह हरे झंडे को उतार रहा है. दूसरी ओर बीजेपी समर्थक हैंडल लगातार यह कह रहे हैं कि चूंकि इसी घर से दुर्गा विसर्जन के जुलूस पर पथराव किया गया इसलिए राम गोपाल ने इस घर की छत पर चढ़कर हरे झंडे को उतारने की कोशिश की.
बीजेपी नेता राजीव चंद्रशेखर सपा पर आरोप लगाते हैं कि हिंसा के लिए सीधे-सीधे समाजवादी पार्टी जिम्मेदार है. उन्होंने कहा है कि हमारे देश में एक-दो दल ऐसे हैं जिनका उद्देश्य है कि समाज में तनाव बना रहे और समाज में डिवीजन रहे.वो आगे कहते हैं कि 'आपने देखा ही है कि कैसे किसान आंदोलन के बारे में सच्चाई बाहर आ रही है कि किसके हित में हो रहा था और किसके लिए हो रहा था. इसी तरह मैं मानता हूं कि उत्तर प्रदेश में भी ये जो जिम्मा ले रखा है समाजवादी पार्टी ने कि वहां पर तनाव क्रिएट करे और समाज में डिविजन पैदा हो. समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहते हैं कि 'मेरी अपील है कि कानून व्यवस्था बनी रहे. घटना दुखद है. सरकार को न्याय करना चाहिए. जिस समय ये जुलूस निकला उस समय पुलिस को इस बात का ध्यान रखना चाहिए था कि रूट पर सुरक्षा है या नहीं, पर्याप्त पुलिस की तैनाती है या नहीं. लाउडस्पीकर पर क्या बजाया जा रहा था? प्रशासन को इसका ध्यान रखना चाहिए था. शासन की चूक की वजह से ये घटना हुई'. दरअसल समाजवादी पार्टी के नेता ही नहीं बहराइच की एसपी भी कह रही हैं कि मुस्लिम क्षेत्र से जुलूस जा रहा था. शायद यही कारण है कि ट्वीटर पर आज मुस्लिम क्षेत्र ट्रेंड कर रहा था. अखिलेश यादव भी जिस असुरक्षित क्षेत्र की बात कर रहे हैं वो मुस्लिम क्षेत्र ही है.
4. 'मुस्लिम क्षेत्र' क्यों बन जाते हैं हिंसा का केंद्र
शासन-प्रशासन और पुलिस की भाषा बेहद सामान्य ढंग से मुस्लिम बहुल इलाकों को मुस्लिम क्षेत्र कह दिया जाता है. यही इलाके 'संवेदनशील' भी कहे जाते हैं. इन शब्दों के इस्तेमाल के पीछे जो भी भावना हो, लेकिन यह तो मानना पड़ेगा कि मुसलमानों के इलाके ही हिंसा का केंद्र बनते हैं. क्या ऐसा इसलिए है कि यहां पर हिंदू धर्म से जुड़े कार्यक्रमों के प्रति असंवेदनशीलता ज्यादा है. या जानबूझकर ऐसे इलाके में भड़काऊ माहौल बन जाता है. कारण जो भी हो, मुस्लिम बहुल इलाकों में भीड़ का हिंसक हो जाना एक वृहद पैटर्न है. इस पैटर्न को तोड़े बिना शांति नहीं होगी. हमेशा खूनखराबे की आशंका बनी रहेगी.
संयम श्रीवास्तव