दसवीं बार सीएम बने नीतीश कुमार के 10 काम, जो उन्हें ऑलटाइम बेस्ट बनाते हैं

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. जाहिर है कि यह कोई आम बात नहीं है. देश में सबसे अधिक समय तक सीएम बने रहने के रिकॉर्ड बनाने से अब वे कुछ ही दूर हैं. पर वो रिकॉर्ड बनाने से पहले ही अपने किए गए सामाजिक और विकास कार्यों के चलते लिविंग लीजेंड बन चुके हैं.

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नीतीश कुमार बने बिहार 10वीं बार मुख्यमंत्री (Photo-ANI) नीतीश कुमार बने बिहार 10वीं बार मुख्यमंत्री (Photo-ANI)

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 20 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:45 PM IST

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर (10वीं बार) सीएम पद की शपथ ले ली है.जाहिर है कि यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है. देश में किसी भी नेता ने इतनी बार किसी राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ नहीं ली होगी. अगर नीतीश कुमार अपना यह कार्यकाल पूरा करते हैं तो संभव है कि वह पवन चामलिंग और नवीन पटनायक के सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने के रिकॉर्ड को भी तोड़ दें. 

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पर इन सबसे भी महत्वपूर्ण यह है कि नीतीश कुमार देश के एक मात्र राजनेता हैं जिनके पास सहयोगी दलों से कम सीट रहते हुए भी बार-बार मुख्यमंत्री बनने का ऑफर मौजूद रहता है. विधायक कम होने के नाम पर कोई उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की हिम्मत नहीं कर पाता है. फिर चाहे वो बीजेपी हो या आरजेडी . आखिर नीतीश कुमार की शख्सियत में वो कौन सी बातें हैं जिसके चलते उन्हें बाइपास करने की हिम्मत कोई भी नहीं कर पाता है. दरअसल यह उनके 19 साल के कार्यकाल में किए गए कार्यों का ही प्रतिफल है जो उन्हें देश के महानतम नेताओं में शुमार किया जा रहा है. 

1-जाति जनगणना कराकर पूरे देश की राजनीति बदल दी 

जाति जनगणना कराकर नीतीश कुमार ने पूरे देश की राजनीति हमेशा के लिए बदल दी. 2 अक्टूबर 2023 को जब बिहार सरकार ने जाति-आधारित गणना के आंकड़े जारी किए, तो भारत में 1931 के बाद पहली बार किसी राज्य ने आधिकारिक रूप से बताया कि समाज की असली तस्वीर क्या है . इस तरह के सर्वे बिहार से पहले कुछ और राज्यों में भी हुए पर किसी ने भी आंकड़े जारी नहीं किए.

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शायद नीतीश कुमार से ही प्रेरणा लेकर राहुल गांधी जातिगत जनगणना के लिए पूरे देश में घूम रहे हैं. नीतीश कुमार की देन है कि यह देश के सामने बड़ा मुद्दा बन गया. केंद्र सरकार को भी अगली जनगणना में जातियों की जनगणना कराने की बात स्वीकार करनी पड़ी.

नीतीश कुमार ने केवल जाति जनगणना ही नहीं कराई बल्कि जिसकी जितना आबादी उसके हिसाब से उन्होंने आरक्षण के लिए कानून भी बनाया . हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उस कानून को लागू करने पर रोक लगा दी.

2-अति पिछड़ा वर्ग (EBC) को अलग से 18–20% आरक्षण देकर उन्हें पावरफुल बनाया

भारत की राजनीति में अति पिछड़ा वर्ग सबसे बुरी स्थिति में था. दलितों के लिए विधायिका में आरक्षण होने के चलते उन्हें उसका लाभ मिल रहा था. मंडल आयोग के बाद पिछड़ों को मिले आरक्षण का लाभ यादव -कुर्मी जैसी कुछ संपन्न जातियां ही उठा रही थीं. बिहार में नीतीश ने देश में पहली बार OBC को दो हिस्सों में बांट दिया.अति पिछड़ों (EBC) को अलग से 18% आरक्षण दिया (2007 में).पंचायती राज में EBC महिलाओं के लिए अलग 20% कोटा बनाया. बिहार में EBC आज सबसे बड़ा लाभार्थी वर्ग बन गया (36% आबादी, 20% आरक्षण)

आज उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार में हर पार्टी EBC को अलग से लुभाती है. बिहार की तर्ज पर अन्य राज्यों में ईबीसी के लिए सब कोटा की मांग तेज हो गई है. EBC अब नया मंडल बन गया है. बिहार की नवनिर्वाचित सरकार में सबसे अधिक ईबीसी तबके के लोग ही मंत्री बनाए गए हैं. नीतीश ने EBC को सिर्फ आरक्षण नहीं, एक नई राजनीतिक पहचान और नया आत्मविश्वास दिया . जिसका असर अब पूरे हिन्दी पट्टी पर दिख रहा है.यह उनकी सबसे दूरगामी राजनीतिक विरासत है.

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3-20 साल में 10 बार सीएम बने, फिर भी कभी उन पर न भ्रष्टाचार न ही कोई आपराधिक आरोप लगा

साल 2000 के सात दिनों के अल्पकाल से शुरू होकर, 2005, 2010, 2015, 2017, 2020, 2022, 2024 और अब 2025 तक—कुल 19 से अधिक वर्ष का शासन. गठबंधनों के उलटफेर, 'पलटू राम' के ताने, राजनीतिक तूफानों के बीच भी एक कड़वी सच्चाई बनी रही. पर नीतीश कुमार पर कभी व्यक्तिगत भ्रष्टाचार या आपराधिक आरोप नहीं लगा. कोई CBI-ED का छापा, कोई चार्जशीट, न कोई कोर्ट केस. ज्योति बसु (23 वर्ष) पर व्यक्तिगत आरोप कम थे, लेकिन वाम दलों के घोटालों की छाया रही. ममता बनर्जी (14+ वर्ष) पर शारदा चिटफंड, नारदा स्टिंग जैसे केसों में नाम आया. नवीन पटनायक (24 वर्ष) की छवि साफ रही, लेकिन खदान घोटाले की जांच में नाम उछला. लालू-राबड़ी युग तो चारा घोटाले का पर्याय रहा. 

पटना के 1 देशरत्न मार्ग वाला पुराना बंगला, कोई लग्जरी कार-यात्रा नहीं. 2024 के चुनावी हलफनामे में संपत्ति मात्र 1.25 करोड़ रुपये (ज्यादातर पैतृक जमीन). बेटे की शादी में भी सादगी. भारतीय राजनीति में लंबे शासन के बावजूद निष्कलंक रहना नीतीश कुमार की अमर विरासत है. यही उन्हें सर्वकालिक महान बनाती है.

4-नवीन पटनायक, ज्योति बसु और ममता के मुकाबले बिहार की आर्थिक तरक्की में योगदान

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नीतीश कुमार ने 2005 से बिहार को 'बिमारू' राज्य से आर्थिक चमत्कार की ओर मोड़ दिया, जो नवीन पटनायक (ओडिशा), ज्योति बसु (पश्चिम बंगाल, 1977-2000) और ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल, 2011-वर्तमान) के कार्यकालों से कहीं श्रेष्ठ साबित हुआ. बिहार की शुरुआती स्थिति सबसे खराब थी. 2005 में जीएसडीपी मात्र 58,000 करोड़, विकास दर 3-4%, गरीबी 54%—लेकिन नीतीश ने 10-11% की औसत वार्षिक वृद्धि दर हासिल की. जिससे 2023 में जीएसडीपी 7.5 लाख करोड़ पार हो गई. प्रति व्यक्ति आय 8,773 रुपये से बढ़कर 47,000 से अधिक हो गई. 

ज्योति बसु के वाम शासन में पश्चिम बंगाल की वृद्धि मात्र 4.7% रही जो राष्ट्रीय औसत (5.6%) से कम रही. भूमि सुधारों से कृषि मजबूत हुई, लेकिन औद्योगिक पिछड़ापन ने राज्य को 'सिकुड़ती अर्थव्यवस्था' बना दिया. जीएसडीपी 1977 के 10,000 करोड़ से 2000 में 1.5 लाख करोड़, लेकिन प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से नीचे चली गई.

5-महिला कल्याण के लिए मसीहा बने

नीतीश कुमार ने महिलाओं के लिए जो कुछ किया वो देश के किसी भी नेता के लिए अनुकरणीय हो सकता है. लड़कियों को साइकिल बांटकर उन्होंने पीढीगत सुधाकर किया. कक्षा 9 में आने वाली हर लड़की को 2,500 रूपये में नई साइकिल देने की शुरूआत की. जिसने बिहार जैसे राज्य में लड़कियों को तरक्की के पर लगा दिए. लड़कियों का सेकेंडरी एनरोलमेंट 2005 में 13% था जो 2023 में बढ़कर 58% तक हो गया.लड़कियों का स्कूल से ड्रॉपआउट करने का रेट भी कम हो गया. कभी बिहार में लड़कियों के स्कूल छोड़ने की दर 60% थी जो अब घटकर 8–10% पर आ गई है.

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आज यह योजना पूरे देश और कई देशों (बांग्लादेश, अफ्रीका) में कॉपी की जा रही है. UNESCO और विश्व बैंक ने इसे दुनिया की सबसे प्रभावी जेंडर-इक्विटी इंटरवेंशन कहा.

 इसी तरह पंचायतों में महिलाओं को 50% आरक्षण (2006) और सरकारी नौकारियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया. देश में इस तरह के आरक्षण महिलाओं को पहली बार बिहार में ही मिला. जो महिला सशक्तिकरण के लिए मील का पत्थर साबित हुआ. विश्व बैंक के साथ शुरू हुई बिहार ग्रामीण आजीविका परियोजना (JEEViKA) ने भी कमाल का काम किया है.आज ये महिलाएं 30,000 हजार करोड़ का सालाना कारोबार करती हैं.

बैंक सखी, कृषि सखी, दीदी की रसोई, जीविका दीदियां सब यहीं से निकले. यह भारत का सबसे बड़ा और सबसे सफल महिला सशक्तिकरण प्रोग्राम साबित हुआ.

6-बिहार के इन्फ्रास्ट्रक्चर में चमत्कारिक बदलाव

2005 से पहले बिहार का मतलब था कि कच्ची सड़कें, अंधेरे गांव, टूटे पुल, बाढ़ में डूबे रास्ते और पलायन के लिए मजबूर लोग. पर आज स्थिति यह नहीं है. 2025 में वही बिहार भारत का सबसे तेज बढ़ता हुआ राज्य है. 2005 में 80% से ज्यादा सड़कें कच्ची थीं. नीतीश ने 19 साल में 1.25 लाख किलोमीटर नई पक्की सड़कें बनवाईं. आज बिहार में 95% से ज्यादा सड़कें पक्की हैं .भारत के किसी भी बड़े राज्य में इतना तेज बदलाव नहीं हुआ.

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2005 में गाँवों में साल भर में सिर्फ 700–900 घंटे बिजली आती थी. आज 100% गाँवों में 24×7 बिजली है. ग्रामीण विद्युतीकरण 10% से 100% तक पहुंचा है. 2005 में गंगा पर सिर्फ 4 पुराने पुल थे. नीतीश ने 30 से ज्यादा बड़े पुल बनवाए (कच्ची-डेम, जीवछ घाट, पटना 6-लेन, बख्तियारपुर-ताजपुर लिंक आदि). छोटे-बड़े कुल 12,000 से अधिक पुल बनाए गए.पटना एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाया, गया-दरभंगा-पूर्णिया-राजगीर-मुजफ्फरपुर नए टर्मिनल, 

7-शराब बंदी से सामाजिक बदलाव

बिहार में शराबबंदी कराने के ऐतिहासिक फैसला लेकर वो राज्य की ग्रामीण महिलाओं के हीरो बन गए. हो सकता है कि उनके इस फैसले से बिहार की अर्थव्यवस्था को कुछ नुकसान पहुंचा हो. पर ये भी सत्य है कि बिहार के लाखों परिवारों में आज बहुत सुकून है.2016 में  शराबबंदी लागू करना सामाजिक क्रांति साबित हुआ. दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले राज्य में घरेलू हिंसा में 35–40% कमी आई.महिलाओं की बचत बढ़ी, बच्चों की पढ़ाई पर खर्च बढ़. अपराध दर में 20–25% स्थाई गिरावट आई. लाखों परिवारों की जिंदगी बदली .कोई दूसरा सीएम इतनी बड़ी सामाजिक इंजीनियरिंग नहीं कर पाया.

9-बिहार के जंगलराज को सुशासन में बदलना

2005 से पहले बिहार में दिनदहाड़े अपहरण, फिरौती, हत्या, लूट आम बात थी. नीतीश ने सिर्फ 5 साल में अपराध दर को 40 से 50% कम करने में सफल साबित हुए. नीतीश के पहले कार्यकाल में ही आर्म्स एक्ट में 70,000 से अधिक गिरफ्तारियाँ, 10,000 से अधिक को आजीवन कारावास हुई.

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स्पीड ट्रायल कोर्ट बनाए जहां एक लाख से अधिक अपराधी 11 साल में जेल गए.रात में लड़कियां पहली बार साइकिल से कोचिंग जाने लगीं. यह भारत के किसी भी राज्य में सबसे तेज और सबसे व्यापक Law & Order Revolution था.

9-समावेशी राजनीति

नीतीश कुमार की राजनीति में किसी धर्म-जाति या समुदाय को लेकर किसी भी तरह का पक्षपात नहीं था. न ही किसी खास जाति या धर्म को लेकर कभी सॉफ्ट कॉर्नर रखा गया. यही कारण रहा कि उनसे प्यार करने वाले तो हैं पर उनसे नफरत करने वाले नहीं है. आज देश के सबसे लोकप्रिय नेताओं के समर्थक हैं तो उतने ही विरोधी भी हैं. पर नीतीश कुमार अजातशत्रु हैं. उन्हें अगड़े -पिछड़े और हिंदू-मुसलमान सभी पसंद करते हैं. उनकी राजनीति सबको साथ लेकर चलने वाली रही है. उनकी सरकार भी जोर जबरदस्ती वाली नहीं रही. बिना बुलडोजर के इस्तेमाल के भी वो राज्य में व्यवस्था कायम करने में सफल रहे. 

10-इंडिया गठबंधन की नींव रखने वाले भी नीतीश कुमार ही रहे

आज एनडीए के खिलाफ विपक्ष का जो महागठबंधन अस्तित्व में दिख रहा है उसके जनक भी नीतीश कुमार ही है. 2024 के पहले जिस तरह विपक्ष दिग्भ्रमित नजर आ रहा था उस दौर में नीतीश कुमार ही थे जो देश भर के विपक्ष नेताओं को एक जगह इकट्ठा करके मजबूत संगठन का आधार तैयार किया. नीतीश कुमार के इंडिया गठबंधन छोड़ने के बाद फिर वैसी मजबूती नहीं दिखी.

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