महाराष्ट्र में महायुति के बीच सीट शेयरिंग पर क्यों फंसा है पेच, 6 सीटों पर बीजेपी-शिंदे और अजित गुट आमने-सामने

नासिक की सीट को लेकर छगन भुजबल के लिए एनसीपी ने जोर लगाया था. लेकिन वहां शिंदे की शिवसेना का एमपी है, जिसकी वजह से शिंदे उस सीट को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. औरंगाबाद सीट पर अमित शाह ने ऐलान किया था कि अगला सांसद बीजेपी का ही होगा. लेकिन उसके बाद आज शिंदे ने वहां जाकर कहा कि शिवसेना का ही उम्मीदवार यहां से चुनावी मैदान में उतरेगा.

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महायुति के बीच सीट शेयरिंग पर विवाद महायुति के बीच सीट शेयरिंग पर विवाद

साहिल जोशी

  • मुंबई,
  • 15 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 3:16 PM IST

महायुति में शिवसेना, बीजेपी और एनसीपी के बीच में अभी भी कुछ सीटों को लेकर मामला फंसा हुआ है. मुंबई की दो सीटें दक्षिण मुंबई और ठाणे की सीट, पालघर की सीट, कोंकण की रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग सीट, नासिक और औरंगाबाद सीट को लेकर मामला चल रहा है.

दरअसल नासिक की सीट को लेकर छगन भुजबल के लिए एनसीपी ने जोर लगाया था. लेकिन वहां शिंदे की शिवसेना का एमपी है, जिसकी वजह से शिंदे उस सीट को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. औरंगाबाद सीट पर अमित शाह ने ऐलान किया था कि अगला सांसद बीजेपी का ही होगा. लेकिन उसके बाद आज शिंदे ने वहां जाकर कहा कि शिवसेना का ही उम्मीदवार यहां से चुनावी मैदान में उतरेगा.

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एक तरफ बीजेपी चाहती है कि ठाणे या रत्नागिरी में से कोई एक सीट उन्हें मिले. लेकिन अब जाकर पता चला है कि वे ठाणे की सीट एकनाथ शिंदे के लिए रखना चाहते हैं. ठाणे के सांसद राजन विचारे शिवसेना की टिकट पर जीते थे लेकिन अब वो उद्धव ठाकरे के साथ चले गए हैं. लेकिन शिंदे चाहते हैं कि उनका जो गढ़ है, वहां की सीट वो किसी भी हालत में ना छोड़ें. वो उसके लिए रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग की सीट को छोड़ने के लिए तैयार हैं. बीजेपी वहां से नारायण राणे को मैदान में उतार सकती है.

माना जा रहा है कि पालघर की सीट बीजेपी के पास जा रही है, जिसमें वहां के सांसद जो पहले बीजेपी के ही सांसद थे. लेकिन 2019 में ये सीट शिवसेना के पास चली गई. यहां से सांसद राजेंद्र गावित को शिवसेना की टिकट पर उतारा गया था. अब वो सीट दोबारा बीजेपी के पास दोबारा जाएगी और शायद वही उम्मीदवार दोबारा चुने जाएंगे. लेकिन दक्षिण मुंबई की सीट शिवसेना अभी भी छोड़ने को तैयार नहीं है.

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उन्हें लगता है कि अगर वो मुंबई में कम सीट लेंगे तो उसका असर आने वाले विधानसभा चुनाव और शिवसेना की छवि पर भी पड़ सकता है. इससे पहले भी एकनाथ शिंदे की तरफ से आठ उम्मीदवारों का ऐलान किया गया था. लेकिन उसमें से दो उम्मीदवार बदल देने पड़े. चार सांसदों के टिकट काटने पड़े, जिसकी वजह से शिंदे पहले से ही दबाव में थे. इस वजह से वे शिवसेना के प्रभाव क्षेत्रों वाली सीटें और मुंबई की ज्यादा सीटें छोड़ने के मूड में नहीं हैं.

दूसरी तरफ बीजेपी का मानना है कि जीत की संभावना का फैक्टर देखते हुए दक्षिण मुंबई, ठाणे, रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग और नासिक एकनाथ शिंदे को छोड़नी चाहिए लेकिन शिंदे अब भी उस पर अटके हुए हैं. आने वाले एक से दो दिनों में इस पर फैसला होने की उम्मीद है. माना जा रहा है कि छगन भुजबल को अपना दावा छोड़ना पड़ेगा, शिंदे इस सीट पर दावा बनाए रखेंगे. ठाणे की सीट शिंदे रिटेन करेंगे और उनके कोटे की सीट रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग बीजेपी को दी जाएगी. दक्षिण मुंबई की सीट अभी भी फंसी हुई हैं. लेकिन एकनाथ शिंदे अभी भी उस पर दबाव बनाए हुए हैं. 

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