केजरीवाल का मिडिल क्लास मेनिफेस्टो दिल्ली चुनाव में क्या AAP का मास्टर स्ट्रोक है?

अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी की मर्म पर चोट किया है. देश का मिडिल क्लास आज भारतीय जनता पार्टी का कोर वोट बैंक बन चुका है. पर कई सालों से इस वर्ग को सरकार से कोई राहत नहीं मिल रही है. जाहिर है कि केजरीवाल की इस डिमांड से उनकी दुखती रग पर चोट होगी.

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दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार से मिडिल क्लास की भलाई के लिए 7 डिमांड रखी. दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार से मिडिल क्लास की भलाई के लिए 7 डिमांड रखी.

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 22 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 4:54 PM IST

आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को 'मिडिल क्लास' के अधिकारों को मुद्दा बनाकर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश की है.  उन्होंने कहा कि दिल्ली में चौथी बार हमारी सरकार बनी तो हम मिडिल क्लास को टैक्स से राहत देने का काम करेंगे. उन्होंने केंद्र पर आरोप लगाया कि मिडिल क्लास को केवल एटीएम बना दिया गया है. उनके कहने का मतलब था कि उनसे सरकार केवल वसूलती है और सुविधाओं के नाम पर उनके लिए कुछ नहीं है. इस तरह अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़े समर्थक मध्य वर्ग का दिल जीतने का फॉर्मूला तैयार किया है.अरविंद केजरीवाल बीजेपी के बेस को तोड़ने की कोशिश में हैं. वह जानते  हैं कि अगर मिडिल क्लास आम आदमी पार्टी के साथ आ गया तो बीजेपी को कमजोर करना आसान हो जाएगा. केजरीवाल कहते हैं कि मिडिल क्लास को हमारे देश में सबसे ज्यादा परेशान किया जाता है. मिडिल क्लास वालों की 50 प्रतिशत से ज्यादा आमदनी टैक्स देने में चली जाती है.

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मध्यवर्ग के लिए केजरीवाल की हमदर्दी 

अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सें दिल्ली की जनता के लिए जिन सात मांगों को सामने रखा है वो सामाजिक और आर्थिक और राजनीतिक तीनों ही दृष्टिकोणों से बहुत मायने रखते हैं. मध्यवर्ग किसी भी समाज का रीढ़ होता है. इस वर्ग के कमजोर होने का मतलब होता है कि उस समाज का इतिहास- भूगोल -संस्कृति-सभ्यता सबका पतन होना. कोई भी देश तभी महान बनता है जब वहां का मध्य वर्ग मजबूत होता है. राजनीति को लेकर जब मध्यवर्ग उदासीन होता है तो यह और भी खतरनाक होता है. अरविंद केजरीवाल केंद्र से  जिन 7 मांगों की गुजारिश करते हैं वह बहुत पहले सी ही इस वर्ग की डिमांड रहीं हैं. 

केंद्र से अरविंद केजरीवाल की मांगें-

1. शिक्षा का बजट दो परसेंट से बढ़ाकर 10% किया जाए. प्राइवेट स्कूल पर लगाम लगाई जाए. उच्च शिक्षा के लिए सब्सिडी और स्कॉलरशिप दी जाए.

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2. हेल्थ का बजट भी 10% किया जाए. हेल्थ इंश्योरेंस से टैक्स हटाया जाए.

3. इनकम टैक्स की छूट की सीमा को 7 लाख से बढ़ाकर 10 लाख किया जाए.

4. जरूरी चीजों के ऊपर GST खत्म किया जाए.

5. वरिष्ठ नागरिकों को मजबूत रिटायरमेंट प्लान बनाए जाएं और देशभर में उन्हें मुफ्त इलाज दिया जाए.

6. रेलवे में बुजुर्गों को मिलने वाली छूट को फिर से लागू किया जाए.

7. आप सरकार ने पूरी दिल्ली में बिजली की आपूर्ति 24 घंटे कर दी और फ्री बिजली मुहैया कराने का काम किया. सभी सरकारों को चाहिए कि वो टैक्स के पैसे से मिडिल क्लास को यह राहत दे. 

आयकर सीमा बढ़ाने की डिमांड कई साल से पूरी नहीं हो रही है. हेल्थ इंश्योरेंश से टैक्स हटाने की मांग खुद बीजेपी के कई नेता कर चुके हैं. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जैसे बड़े नेता ने वित्त मंत्री से इस संबंध में अपील कर चुके हैं. इसके बावजूद केंद्र के ऊपर कोई जू रेंगता नहीं दिखा . मिडिल क्लास इन बातों के लिए पहले से ही नाराज रहा है पर वोट अभी बीजेपी को ही देता रहा है. आए दिन मिडिल क्लास के बीच से यह आवाज उठती रही है कि हम इतना टैक्स देते हैं पर सामाजिक सुरक्षा के नाम पर हमें कुछ नहीं मिल रहा है.

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आप सरकार ने अभी तक मिडिल क्लास के लिए क्या किया?

अब ये पड़ताल करते हैं कि आम आदमी पार्टी जो आज मिडिल क्लास के लिए घड़ियाली आंसू बहा रही है उसने पिछले 11 सालों में मिडिल क्लास के लिए क्या किया? इसमें कोई 2 राय नहीं हो सकती कि अरविंद केजरीवाल ने गरीब तबके के लिए बहुत कुछ किया है.पर दिल्ली में मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी का जो मजा आज गरीब उठा रहे हैं वह मध्य वर्ग की कीमत पर ही संभव हो सका है. जितनी बिजली सस्ती हुई है उतना ही उपभोग बढ़ते ही बिजली महंगी होती जाती है. 200 यूनिट बिजली दिल्ली में गरीब लोग ही यूज करते हैं. इनकम टैक्स पेयर का इतनी बिजली में काम नहीं चलता है. इसी तरह सरकार की अन्य सुविधाओं और फ्रीबीज का फायदा मध्य वर्ग को नहीं मिला है. मोहल्ला क्लीनिक का इस्तेमाल भी मध्य वर्ग नहीं करता है.

फिलहाल आम आदमी पार्टी सरकार का कोई भी ऐसा काम नहीं दिखता है जिससे पिछले 11 साल में मध्य वर्ग के परिवारों को कई फायदा पहुंचा हो. दिल्ली में निजी स्कूलों पर फीस कैप लगने के चलते यहां इन स्कूलों का विस्तार रुक गया. सभी नए स्कूल दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में विस्तार करने चले गए. सुबह स्कूल खुलने के समय कभी नोएडा या गुड़गांव के बॉर्डर पर जाइये देखिए समझ में आएगा कि दिल्ली से कितने बच्चे एनसीआर के शहरों में स्थिति प्राइवेट स्कूलों में पड़ने जाते हैं. आज से एक दशक पहले तक एनसीआर के शहरों से दिल्ली में लोग पढ़ने जाते थे पर अब धारा का प्रवाह बदल चुका है. ग्यारह सालों में मुहल्ला क्लीनिक तो खुले पर नए सरकारी अस्पताल और नए सरकारी स्कूलों की संख्या तो नगण्य ही है.

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विधानसभा चुनावों में कितना कारगर साबित होगा 

विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल की  ये 7 डिमांड हलचल मचाने वाले हैं. इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि मध्य वर्ग के लिए ये डिमांड काफी आकर्षक हैं. पर मध्य वर्ग के लोगों को पता है कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी अगर जीत भी जाती है तो इन डिमांड को पूरा करने की ताकत उनमें नहीं है. क्योंकि इन सभी मांगों को पूरा करने की क्षमता केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं.

अरविंद केजरीवाल इन डिमांड्स के जरिए केवल मिडिल क्लास के गुस्से को भड़का ही रहे हैं. क्योंकि उन्होंने झुग्गीवासियों को छोड़कर मध्यवर्ग के लिए कुछ भी ऐसा नहीं किया है जिसके सहारे मिडिल क्लास आम आदमी पार्टी सरकार से अपनी भलाई की उम्मीद कर सके. आप सरकार ने अभी हाल ही में 60 साल तक के  सभी बुजुर्गों के लिए मुफ्त हेल्थ सेवा शुरू करने की बात की है पर आयुष्मान भारत के रूप में केंद्र सरकार पहले ही 70  साल तक के सभी लोगों को यह सुविधा मुहैया करने का वादा कर चुका है. इसके साथ ही आयुष्मान भारत योजना को केवल राजनीति के चलते अभी तक दिल्ली में न लागू करने का आरोप भी अरविंद केजरीवाल पर रहा है.  

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