उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन दिनों अपने पुरानी रौ में हैं. हिंदुत्व को लेकर वो अपने पुराने दिनों की तरह मुखर हो गए हैं. शायद योगी का यह रूप ही बीजेपी में उन्हें पोस्टर बॉय बनाने में मददगार रहा. पर मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने राजधर्म अपना लिया. पर उत्तर प्रदेश में मिली करारी हार और पार्टी में उनके खिलाफ उठती आवाज ने शायद उन्हें फिर से अपने पुराने रूप में लौटने को प्रेरित किया है. पिछले दिनों उनके कुछ फैसलों और उनके बयानों को देखकर लगता है कि योगी फिर से उग्र हिंदुत्व की ओर बढ़ रहे हैं. बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए अत्याचार ने शायद उन्हें व्यथित कर दिया है या उसे वो रानजीतिक रूप से हिंदुओं को मोबिलाइज करने के लिए महत्वपूर्ण समझ रहे हैं. जो भी हो इस पखवाड़े उन्होंने जब भी बांग्लादेश को लेकर मुंह खोला चर्चा का केंद्र बने.
उत्तर प्रदेश के आगरा में वीर दुर्गादास राठौर की प्रतिमा का अनावरण करते हुए सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फिर कुछ ऐसा ही कहा जिस पर विवाद होना तय था. बंटेंगे तो कटेंगे जैसा बयान देकर उन्होंने अपने विरोधियों को एक और मौका दे दिया. पर योगी जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और AIMIM के मुखिया असद्दुदीन ओवैसी उनके खिलाफ जितना बोलेंगे उतना ही यूपी में वे और मजबूत होंगे. पर बात यहीं तक होती तो कुछ और बात होती. दरअसल अब वो बीजेपी के बड़े लीडर हैं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. अब वो जो बोलते हैं उस पर पूरा देश गौर करता है और पड़ोसी देश भी.
1-योगी का नया चेहरा
योगी ने सोमवार को आगरा में कहा कि राष्ट्र से बढ़कर कुछ नहीं हो सकता है. राष्ट्र तब सशक्त रहेगा, जब हम एक रहेंगे-नेक रहेंगे. बंटेंगे तो कटेंगे. सीएम योगी ने कहा कि बांग्लादेश वाली गलतियां यहां नहीं होनी चाहिए. एक रहेंगे तो नेक रहेंगे और सुरक्षित रहेंगे. मुख्यमंत्री ने मुगल बादशाह औरंगजेब को दुष्ट बताते हुए कहा कि उसका संबंध भी इसी आगरा से था. उन्होंने कहा कि इसी आगरा में छत्रपति शिवाजी महाराज ने औरंगजेब की सत्ता को चुनौती दी थी और उससे कहा था कि तुम चूहे की तरह ऐसे तड़पते रह जाओगे, लेकिन हिन्दुस्तान पर तुझे कब्जा तो नहीं करने देंगे.
दरअसल योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों कम से 4 मौकों पर अपने ऐसे हाव भाव दिखाएं जिसमें उनका पुराना तेवर देखा जा सकता है.जुलाई के अंत में, राज्य सरकार ने धर्मांतरण विरोधी कानून में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश किया, जिससे उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 को और अधिक सख्त बना दिया गया. कावड़ यात्रा मार्ग पर सड़क किनारे विक्रेताओं और दुकानदारों को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर अपना नाम प्रदर्शित करने का आदेश पारित करना भी इसी क्रम में माना गया जो मुसलमानों के खिलाफ माना गया.पिछले सप्ताह भी योगी ने बांग्लादेश संकट और पड़ोसी देशों में हिंदुओं की स्थिति पर आरोप लगाया कि वोट-बैंक की राजनीति के कारण विपक्ष उनके बारे में चुप्पी साधे हुए है. योगी ने कहा कि,बांग्लादेश के हिंदुओं की रक्षा करना और संकट के समय में उनका समर्थन करना हमारा कर्तव्य है और हम हमेशा उनके साथ खड़े रहेंगे. परिस्थितियां कैसी भी हों, हमारे मूल्य अटल रहते हैं. बांग्लादेश में हिंदू होना कोई गलती नहीं बल्कि एक आशीर्वाद है. अयोध्या रेप केस में भी एक मुस्लिम के आरोपी होने पर उसके खिलाफ मुख्यमंत्री ने खुद ही मोर्चा संभाल लिया. जाहिर है कि हिंदुत्व को लेकर अब वो मुखर हैं.
2-क्या मिशन कश्मीर की राह में रोड़ा बनेंगे
भारतीय जनता पार्टी इस समय कोई भी हार बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है. चाहे इसके लिए उसे कोई भी कुर्बानी देनी पड़े.जम्मू कश्मीर जीतने के लिए भी पार्टी एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है. कश्मीर घाटी में विजय के लिए भारतीय जनता पार्टी कुल 15 मुस्लिम उम्मीदवार खड़े करने का विचार कर रही है. आज सोमवार को आई जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों की 15 लोगों की लिस्ट में ही करीब 7 मु्स्लिम उम्मीदावारों के नाम हैं. जाहिर है कि कश्मीर जीतने के लिए हिंदुत्व को लेकर पार्टी को थोड़ा विनम्र बनना होगा.दरअसल जम्मू कश्मीर में अगर बीजेपी को सरकार बनानी है तो कम से कम 46 सीटें जीतनी होंगी.जम्मू के हिस्से में 43 सीट है जबकि कश्मीर के हिस्से में 47 सीट है. जम्मू में करीब 31 सीट हिंदू बहुल हैं. सीधा सा मतलब है कि बहुमत के लिए बीजेपी को मुस्लिम बहुल वाली भी कुछ सीटें जीतनी होंगी. अगर विधानसभा में किसी को बहुमत नहीं मिलता है तो किसी अन्य दल के समर्थन के लिए भी बीजेपी को ऐसी छवि बनानी होगी जो कट्टर हिंदुत्व वाली पार्टी से अलग हो.
3-बांग्लादेश संबंधों पर असर डालेगा
भारत बांग्लादेश संबंध बहुत नाजुक मोड़ पर है.योगी आदित्यनाथ जैसे लीडर्स के भाषणों का गलत प्रभाव पड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता. योगी आदित्यनाथ जो भी कह रहे हैं उसे तोड़ मरोड़ कर बांग्लादेश में दिखाया जाएगा. इन सबके पीछे भारत विरोधी लॉबी बुरी तरह पीछे पड़ी हुई है. बांग्लादेश में आई बाढ़ तक के पीछे भारत का हाथ बताया गया है. जिसके कारण भारत सरकार तक को सफाई देनी पड़ी है. बांग्लादेश के आम लोगों को लगता है कि शेख हसीना को शह देकर भारत मलाई काट रहा था. बांग्लादेश में भारत में हो रही घटनाओं को इस तरह तोड़ा मरोड़ा जाता है कि वहां हिंदुओं पर हमले का नैतिक आधार तैयार हो सके.भारत में विपक्ष जिस तरह योगी के बयान की आलोचना कर रहा है इससे भी बांग्लादेश को भारत के खिलाफ आग उलगने का मौका मिलेगा.अखिलेश यादव कहते हैं कि ,वो प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं उन्हें कम से कम पीएम का रोल प्ले नहीं करना चाहिए. ये काम प्रधानमंत्री जी का है दुनिया में किसके साथ कैसे संबंध रखने हैं. मुझे उम्मीद है कि दिल्ली वाले उन्हें समझाएंगे कि दिल्ली के फैसलों में दखल न दे. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि 'वह एकता की बात करते हैं. हममें एकता कैसे होगी? आज भी उनके शासन में यूपी में अन्याय होता है, एनकाउंटर होता है, बुलडोजर कार्रवाई होती है. बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, उसके जिम्मेदार हम कैसे हैं?
4-यूपी उपचुनावों के लिए कितना जरूरी
राजनीतिक विश्लेषक सौरब दुबे कहते हैं कि दरअसल पिछले दिनों जिस तरह योगी आदित्यनाथ के खिलाफ पार्टी में माहौल बन रहा था उससे निपटने के लिए योगी आदित्यनाथ ने हार्ड कोर हिंदुत्व के अपने पुराने रूप में लौटने के लिए वो मजबूर हुए हैं. इसके साथ ही यूपी में अगले कुछ दिनों में 10 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं. योगी समझते हैं कि अगर उपचुनावों में उन्होंने कमाल कर दिया तो पार्टी में उनकी साख पहले जैसी एक बार फिर हो जाएगी. भारतीय जनता पार्टी भी कमोबेश यही समझती है. उसे पता है कि हिंदुओं के ध्रुवीकरण के अलावा उत्तर प्रदेश में जीत की गारंटी और कुछ भी नहीं है. विकास का मुद्दा यहां नहीं चलता . जातिवाद सबसे ऊपर हो जाता है. जिस तरह समाजवादी पार्टी ने पिछड़ों और दलितों को एकजुट किया है अगर उलसे निपटना है तो हार्डकोर हिंदुत्व की राह पर ही चलना होगा.
संयम श्रीवास्तव