राजीव गांधी टू मनमोहन सिंह,,, मोदी क्यों मानते हैं इन 30 सालों को देश का सबसे बुरा दौर

आजादी के बाद भारतीय इतिहास में मिली जुली सरकारों का 30 साल देश के लिए अंधकार का काल रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया टुडे को दिए अपने एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में इन तीस वर्षों को ही देश की बर्बादी का कारण क्यों माना है, आइये देखते हैं?

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पीएम मोदी ने बताई देश को लेकर क्या है योजनाएं पीएम मोदी ने बताई देश को लेकर क्या है योजनाएं

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 30 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 10:31 AM IST

आजादी के बाद देश के किस कालखंड को इतिहास का काला अध्याय कहा जा सकता है? आम तौर पर गैर कांग्रेसी नेता इमरजेंसी के समय को देश के लिए सबसे दुर्भाग्यपूर्ण समय मानते रहे हैं. पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि पिछले 30 साल (जाहिर है 2014 के पहले वाले 30 साल) देश के लिए सबसे दुर्भाग्यपूर्ण रहे हैं. इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटर-इन-चीफ तथा चेयरपर्सन अरुण पुरी, वाइस-चेयरपर्सन कली पुरी और ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा से खास बातचीत में पीएम मोदी कहते हैं कि इन सालों में देश की जनता ने मिलीजुली सरकारों का दौर देखा.मिली-जुली सरकारों से उत्पन्न अस्थिरता के कारण हमने 30 वर्ष बरबाद कर दिए. मोदी कहते हैं कि लोग मिली-जुली सरकारों के युग में सुशासन का अभाव, तुष्टिकरण की राजनीति और भ्रष्टाचार देख चुके हैं. इसका परिणाम यह हुआ कि लोग आशा और आत्मविश्वास से हाथ धो बैठे और दुनिया में भारत की छवि खराब हुई. इस तरह स्वाभाविक रूप से लोगों की पसंद भाजपा बन गई. 

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आइये देखते हैं कि इस दौर में देश की शासन व्यवस्था और सरकारों में ऐसी क्या बुराई थी जिसके चलते पीएम मोदी को इन 30 वर्षों का जिक्र बार-बार इस इंटरव्यू में करना पड़ता है.

1984 से 2014 तक राजनीतिक पतन का काल

2014 के पहले के 30 साल के कालखंड का मतलब 1984 से 2014 तक का समय. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बनते हैं और 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के पहले मनमोहन सिंह का दूसरा कार्यकाल खत्म होता है.राजीव गांधी के समय देश आतंकवाद से बुरी तरह झुलसा हुआ था. पंजाब और कश्मीर से पूर्वोत्तर तक आतंकवादियों के खून से लाल हो रहा था. गांधी पंजाब और असम के आतंकवादियों से बातचीत करते हैं पर उन्हें सफलता नहीं मिलती है. और अंत में एक आतंकी हमले में उनकी जान भी जाती है. देश में कंप्यूटर को लाने का श्रेय राजीव गांधी को दिया जाता है पर दूरदर्शी नीतियों के अभाव में हम हार्डवेयर का किंग बनने से रह जाते हैं. बोफोर्स घोटाले के आरोपों के चलते कांग्रेस सरकार का पतन होता है.उसके बाद शुरू होता है देश में अस्थिर सरकारों का दौर. वीपी सिंह अल्पमत वाली सरकार बनाते हैं, उसके बाद चंद्रशेखर 4 महीने के लिए पीएम बनते हैं.1991 में नरसिम्हा राव की सरकार बनती है जो 5 साल चलती तो है पर सरकार बचाने के लिए इतने गुनाह किए जाते हैं कि लोकतंत्र शरमा जाता है. फिर शुरू होता सरकारों के आया राम गया राम का दौर. देवगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे चेहरे आते और जाते रहते हैं.फिर वाजपेयी के नेतृत्व में और मनमोहन सिंह के नेतृत्व में स्थाई सरकारें बनती हैं पर पूर्ण बहुमत न होने के चलते ये मिली जुली सरकारें होती हैं . इन सरकारों को बचाए रखना अपने आप में सबसे बड़ा टास्क होता है.जिसके चलते देश के विकास के लिए दूरगामी काम नहीं हो पाता है और कई राजनीतिक दुरभिसंधियां जन्म लेती हैं.

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लचर शासन और तुष्टिकरण की राजनीति का काल 

पीएम मोदी कहते हैं कि इन 30 सालों के दौरान लोगों ने शासन की कमी, तुष्टिकरण की राजनीति देखी है. दरअसल आसान शब्दों मे कहें तो मिली जुली सरकारों के युग में भ्रष्टाचार के इंतहा को लोगों ने देखा है.लोगों के दिलो दिमाग में यह घर कर जाता है कि हम दुनिया की दौड़ में शामिल नहीं हैं. सरकार बचाने के लिए नरसिम्हा राव पर घूस देने के आरोप लगते हैं. देश के इतिहास में पहली बार किसी पीएम को घूस देने का आरोप लगता है. सरकार बचाने के लिए तुष्टिकरण की राजनीति अपने चरम तक पहुंचती है. यूपीए की शासन व्यवस्था में पावर सेंटर कहां है यह पता लगाना ही मुश्किल था. पीएम मनमोहन सिंह के महत्वाकांक्षी कानून को राहुल गांधी पीसी बुलवाकर फाड़कर फेंक देते हैं.मुलायम सिंह यादव पर आय से अधिक संपत्ति मामले में दबाव डालकर कई बार सरकार बचाई जाती हैं.यह पूरा दौर राजनीतिक दलों के आंतरिक दुरभि संधियों के चलते याद रखा जाएगा.

तीस वर्षों में प्रोद्योगिकी महाशक्ति बनाने का कोई प्रयास नहीं हुआ

आज देश सेमीकंडक्टर चिप निर्माण, स्पेस रिसर्च के अलावा कई उभरती हुई प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भर बनने की राह पर है.पीएम मोदी कहते हैं कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन 30 वर्षों तक सत्ता में बैठे लोग केवल सरकारें चला रहे थे, देश नहीं. सेमीकंडक्टर
मिशन कुछ ऐसा है जिसे हमें 30 साल पहले शुरू करना चाहिए था.हम पहले ही देर कर चुके हैं. वे हमारी क्षमता पर संदेह करते रहे. हमारे देश के लोगों में जबरदस्त क्षमताएं हैं, चाहे वह अनुसंधान में हो या डिजाइन में. हमने परमाणु ऊर्जा के साथ-साथ अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी बड़ी सफलता हासिल की हैं. विश्व अब रक्षा विनिर्माण में हमारी गतिशीलता को देख रहा है.ब्रह्मोस मिसाइल जैसे उत्पाद. मेरा मानना ​​है कि भारत के पास सब कुछ है. हम नीतियों, प्रोत्साहनों के चलते हमने अपने सेमीकंडक्टर में बड़ी छलांग लगाई है.
भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र पर काम हो रहा है. हम इसके लिए अनुकूल और सक्षम वातावरण बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं.
 दरअसल हमने वो दौर देखा है जब चीन से बने हुए सामानों से पूरे बाजार पट गए थे. भारत में प्रोडक्शन का काम पूरी तरह ठप हो रहा था. हम जिन सामानों का प्रोडक्शन सैकड़ों वर्षों से कर रहे थे इन 30 सालों में उसका भी आयात करने लगे थे.देश में चीन की तरह दुनिया को माल सप्लाई करने वाले चेन के बारे में सोचने की किसी के पास फुर्सत ही नहीं थी.

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30 वर्षों तक सत्ता में बैठे लोग केवल सरकारें चला रहे थे, देश नहीं 

पीएम मोदी कहते हैं कि इन तीस सालों में सत्ता में बैठे लोग केवल सरकार चला रहे थे देश नहीं . वास्तव में इस बात की सचाई से इनकार नहीं किया जा सकता है.मात्र 9 सालों में देश ने जो प्रगति देखी है उसे देखते हुए तो यही लगता है. रक्षा क्षेत्र में हम आयातक से निर्यातक हो गए हैं. दुनिया के कई देश हमसे मिसाइल खरीद रहे हैं अभी कुछ साल पहले तक हम हथगोले तक के लिए विदेशों पर निर्भर थे. मोबाइल निर्यात में हम टॉप पर पहुंचने वाले हैं. कारों के निर्यात में हम दूसरे स्थान पर पहुंच गए हैं.यह सब करने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति की जरूरत थी . जो आज सरकार दिखा रही है.मिली जुली सरकारों के दौर में सारी ऊर्जा इस कार्य में खर्च हो रही थी कि किसी तरह सरकार बची रही. भ्रष्टाचारियों पर एक्शन नहीं ले सकते क्योंकि सरकार गिर जाएगी. सरकार में शामिल राजनीतिक दलों के हित को ध्यान में रखकर फैसले लिए जाना मजबूरी होती थी. 
 

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