'सरदार पटेल' तो बीजेपी के खेमे में जा चुके, कांग्रेस क्‍या अब नींद से जागी है?

कांग्रेस को समझना चाहिए कि पटेल पर किताब बांटने से या पटेल के नाम से प्रस्ताव पारित करने से सरदार पटेल की विरासत अब फिर से कांग्रेस को नहीं मिलने वाली है. बीजेपी सरदार को लेकर बहुत आगे निकल चुकी है. कांग्रेस बहुत देर से नींद से जागी है. जाहिर है कि वो अब वो रेस में बहुत पीछे है.

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कांग्रेस के गुजरात अधिवेशन में सरदार पटेल पर विशेष प्रस्ताव पास किया गया. कांग्रेस के गुजरात अधिवेशन में सरदार पटेल पर विशेष प्रस्ताव पास किया गया.

संयम श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 09 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 5:34 PM IST

कांग्रेस का गुजरात अधिवेशन इस बार खास रहा. कांग्रेस आम तौर पर अपने अधिवेशनों में कभी गांधी और नेहरू के अलावा किसी अन्य नेता को महत्व नहीं देती रही है. कई बार तो पोस्टरों तक से गायब हो जाते रहे हैं सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद और लाल बहादुर शास्त्री जैसे नेता. पर इस बार अहमदाबाद अधिवेशन में सरदार पटेल कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार थे. कांग्रेस ने न केवल पटेल पर विशेष प्रस्ताव पारित किया बल्कि सीडब्ल्यूसी के सभी सदस्यों को पटेल ए लाइफ नाम की एक किताब भी भेंट की गई. करीब सभी बड़े नेताओं ने सरदार पटेल को याद किया.

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरदार पटेल और जवाहर लाल नेहरू के बीच संबंधों पर काफी कुछ कहा. पटेल पर विशेष प्रस्ताव में कांग्रेस ने कहा है कि आज दुश्मनी और विभाजन की ताकतें गांधी-नेहरू-पटेल की भाईचारे और सौहार्द की भावना को कमजोर कर रही हैं. इन ताकतों को हराने के लिए कांग्रेस सरदार पटेल के जीवन सिद्धांतों का पालन करते हुए इन तत्वों की फर्जी खबरों की फैक्ट्री को उजागर करने के लिए दृढ़ संकल्प लेती है.

पर शायद कांग्रेस अभी भी हकीकत से रूबरू नहीं है. कांग्रेस को समझना चाहिए कि पटेल पर किताब बांटने से या पटेल के नाम से प्रस्ताव पारित करने से सरदार पटेल की विरासत अब फिर से कांग्रेस को नहीं मिलने वाली है. बीजेपी सरदार को लेकर बहुत आगे निकल चुकी है. कांग्रेस रेस में बहुत पीछे है . आइये देखते हैं क्यों कांग्रेस के लिए बहुत मुश्किल है सरदार पटेल की विरासत को फिर से हासिल करना.

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1- खड़गे ने पटेल पर बहुत कुछ कहा पर असली मुद्दे से कन्नी काट गए

 खड़गे अपने अधिवेशन के दौरान अपनी स्पीच में पटेल और नेहरू के संबंधों के बारे में काफी कुछ  बताया. खड़ने ने कहा कई घटनाएं और दस्तावेज पटेल और नेहरू के सौहार्दपूर्ण संबंधों के गवाह हैं. उन्होंने 1937 में गुजरात विद्यापीठ में सरदार पटेल के भाषण का हवाला देते हुए एक घटना सुनाई. उन्होंने बताया- उस दौरान नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष थे और गुजरात के युवा चाहते थे कि उन्हें प्रांतीय चुनावों में प्रचार के लिए बुलाया जाए.

सरदार पटेल ने 7 मार्च 1937 को कहा था कि जिस दिन गुजरात इस चुनाव आंदोलन में विजयी होकर कांग्रेस के प्रति अपनी वफादारी साबित करेगा, हम कांग्रेस अध्यक्ष नेहरूजी का फूलों से स्वागत करेंगे. खड़गे ने कहा कि इस बात से समझ सकते हैं कि सरदार पटेल नेहरू से कितना प्यार करते थे.

खड़गे ने एक और किस्सा सुनाते हुए बताया कि सरदार पटेल नेहरू से कितना चाहते थे. खड़ने ने कहा कि 14 अक्टूबर 1949 को सरदार पटेल ने नेहरूजी के लिए एक किताब में कहा था- पिछले दो कठिन वर्षों में नेहरूजी ने देश के लिए जो अथक प्रयास किए हैं, उसे मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता. उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान मैंने उन्हें भारी जिम्मेदारियों के बोझ के कारण बहुत तेजी से बूढ़ा होते देखा है. 

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दरअसल खड़गे ये तो बताए सरदार पटेल कितना नेहरू को सम्मान और प्यार देते थे. पर एक भी किस्सा ऐसा नहीं सुनाया कि नेहरू कितना सरदार पटेल को सम्मान और प्यार देते थे.

2-सरदार पटेल की मूर्ति पर जाने से बचते रहे कांग्रेस नेता, सिर्फ इसलिए कि वह पीएम मोदी की पहल पर बनी है

खड़गे अपने स्पीच में कहते हैं कि बीजेपी ने सरदार पटेल का अपमान किया. पुरानी संसद में लगी उनकी मूर्ति को एक कोने में तमाम नेताओं के साथ लगा दिया. पर खड़गे यह भूल जाते हैं कि मोदी सरकार ने ही केवड़िया में दुनिया की सबसे बड़ी लौह मूर्ति लगवाई है. गुजरात में यह जगह देश का प्रमुख टूरिस्ट प्लेस बन चुका है. पर दुर्भाग्य से कांग्रेस ने इसे भी बीजेपी का मान लिया . आज तक कांग्रेस के किसी बड़े नेता को सरदार को श्रद्धांजलि देने इस मूर्ति के पास नहीं गया है.

आखिर कांग्रेस गुजरात में कैसे यह संदेश दे सकेगी पटेल कांग्रेस के हैं. बीजेपी ने सरदार पटेल के नाम से अहमदाबाद में सबसे बड़ा खेल परिसर बना है. इस परिसर में ही दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम भी है. जो अब नरेंद्र मोदी के नाम से है. कल्पना करिए कि ये खेल परिसर अगर कांग्रेस के राज्य में निर्मित हुआ तो किसके नाम पर नामकरण हुआ होता. जाहिर है लिस्ट में जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी या राजीव गांधी ही होते . 

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3-पटेल अगर नेहरू के जैसे थे उनके नाम पर क्या किया कांग्रेस ने

कांग्रेस आज कह रही है कि आधुनिक भारत के निर्माण में जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल की एकसमान भूमिका थी. अगर ऐसा था तो आज तक पटेल के नाम पर वो सब क्यों नहीं हुआ जो जवाहर लाल नेहरू के लिए हुआ. पूरे देश में नेहरू के नाम से स्कूल, कॉलेज , हांस्पिटल, सरकारी योजनाएं, स्टेडियम, विश्वविद्यालय आदि का निर्माण तो हुआ पर पटेल को कभी इस लायक नहीं समझा गया. कांग्रेस समर्थक सोशल मीडिया के हैंडल्स में सरदार पटेल को बीजेपी का मानकर उनके लिए ऐसी टिप्पणियां की जाती हैं जो उनके लिए बहुत अपमानजनक होती हैं. कांग्रेस समर्थक इतिहासकार ये साबित करने में लगे रहते हैं कि पटेल हिंदुओं को लेकर सॉफ्ट कॉर्नर रखते थे. पटेल को जितना दक्षिणपंथी साबित किया गया उतना ही वो बीजेपी और संघ के प्यारे होते गए.

4- भाजपा अपने हर राष्‍ट्रवादी फैसले को सरदार पटेल की भावना के अनुरूप बताती है, क्या कांग्रेस ऐसा कर सकेगी

भारतीय जनता पार्टी अपने हर फैसले को यह साबित करती है कि सरदार पटेल की भावना ऐसा ही करने की थी. कश्मीर से धारा 370 हटाना हो या सीएए लागू करने की बात रही हो , बीजेपी हमेशा उसमें सरदार पटेल की भावना से प्रेरित बताती रही है. पर कांग्रेस के साथ दिक्कत यह है कि वह अगर सरदार पटेल की भावना से प्रेरित हो कोई काम करेगी तो भी उसे नेहरू और इंदिरा की भावना के अनुसार कहेगी.

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गांधी फैमिली आज भी नेहरू और गांधी परिवार से ऊपर नहीं उठ पाती है. यही कारण है कि कांग्रेस कभी सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल, लाल बहदुर शास्त्री के लिए कुछ कर नहीं सकी. धीरे-धीरे ये सभी नेताओं की विरासत पर बीजेपी ने कब्जा जमा लिया. पीवी नरसिम्हा राव को तो बीजेपी ने भारत रत्न भी दिया है. यह कोई अचरज की बात नहीं होगी कि कुछ दिनों में हमें यह सुनने को मिले कि सरदार मनमोहन सिंह को भी मोदी सरकार ने भारत रत्न से नवाजा है.

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