अनुज प्रताप सिंह एनकाउंटर से क्‍या यूपी में खत्‍म हो जाएगा 'जातिगत एनकाउंटर' का विवाद? | Opinion

अनुज प्रताप सिंह को मार गिराने के बाद STF ने उत्तर प्रदेश में जाति देखकर पुलिस एनकाउंटर के आरोपों में एक और कड़ी जोड़ दी है - अब तो ऐसा लगता है शांत होने के बजाय जातिगत एनकाउंटर विवाद बढ़ता ही जा रहा है.

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एक यादव के बाद एक ठाकुर आरोपी का एनकाउंटर कर यूपी एसटीएफ ने योगी आदित्यनाथ की परेशानी बढ़ा दी है. एक यादव के बाद एक ठाकुर आरोपी का एनकाउंटर कर यूपी एसटीएफ ने योगी आदित्यनाथ की परेशानी बढ़ा दी है.

मृगांक शेखर

  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:04 PM IST

सुल्तानपुर डकैती केस में एक और एनकाउंटर ने नया विवाद पैदा कर दिया है. यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि पुलिस जाति देखकर एनकाउंटर कर रही है. एनकाउंटर में मारे गये अनुज प्रताप सिंह के पिता ने ताजा एनकाउंटर पर तंज भरे लहजे में कहा है कि पुलिस ने हिसाब बराबर कर दिया है. 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस की पीठ ठोकते हुए कहा है कि खामियाजा तो ऐसे ही भुगतना पड़ेगा, जबकि  पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अनुज प्रताप सिंह के एनकाउंटर को भी फर्जी करार देते हुए परिवार के साथ नाइंसाफी होना बताया है. 

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28 अगस्त, 2024 को सुल्तानपुर के नगर कोतवाली थाना क्षेत्र के ठठेरी बाजार में एक सर्राफा कारोबारी के यहां डकैती हुई थी. पुलिस के मुताबिक, जांच में 12 लोगों के नाम सामने आये थे, जिनकी अपराध को अंजाम देने में भूमिका रही. पुलिस एनकाउंटर में अब तक दो आरोपी मारे जा चुके हैं, जबकि तीन फरार हैं. बाकी गिरफ्तार किये जा चुके हैं, जिनमें से तीन के पैर में एनकाउंटर के दौरान गोली लगी थी - पूरे प्रकरण में लूट के काफी सामान बरामद कर लिये गये हैं, जिसमें 2.6 किलोग्राम सोना और कुल 30 किलोग्राम चांदी के आभूषण भी पुलिस रिकवर कर चुकी है.

अनुज के एनकाउंटर विवाद नये मोड़ पर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां एनकाउंटर के लिए पुलिस को शाबाशी दे रहे हैं, समाजवादी पार्टी के नेता इसे एक और नाइंसाफी करार देते हैं. योगी आदित्यनाथ 2017 से पहले अपराधियों के सूबे में समानांतर सरकार चलाने का आरोप लगाया है.

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अखिलेश यादव सोशल साइट X पर लिखते हैं, 'सबसे कमजोर लोग एनकाउंटर को अपनी शक्ति मानते हैं. किसी का भी फर्जी एनकाउंटर नाइंसाफी है. हिंसा और रक्त से उतर प्रदेश की छवि को धूमिल करना राज्य के भविष्य के विरूद्ध एक बड़ा षड्यंत्र है... आजके सत्ताधारी जानते हैं कि वो भविष्य में फिर कभी वापस नहीं चुने जाएंगे, इसीलिए जाते-जाते वो ऐसे हालत पैदा कर देना चाहते हैं कि यूपी में कोई प्रवेश-निवेश ही न करे... जागरूक जनता ने जिस तरह लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराया है, भाजपाई उसी का बदला ले रहे हैं. निंदनीय!' 

अनुज प्रताप के एनकाउंटर के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है, नये भारत के नये उत्तर प्रदेश में व्यापारी की सुरक्षा में कोई सेंध नहीं लगा सकता है... अगर कोई ऐसा करेगा तो इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा.

राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप के बीच एनकाउंटर में मारे गये अनुज प्रताप सिंह के पिता का भी बयान आया है. अमेठी के रहने वाले अनुज सिंह को एसटीएफ ने उन्नाव में ढेर कर दिया. अनुज के पिता धर्मराज सिंह यूपी में राजनीतिक हिसाब बराबर होने की बात बोल कर रोने लगते हैं. कहते हैं, 'अखिलेश यादव की इच्छा पूरी हो गई... अब ठाकुर का भी एनकाउंटर हो गया.' 

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ये तो एक और फर्जी एनकाउंटर है

पुलिस एनकाउंटर पर हमेशा ही सवाल उठते रहे हैं. फर्जी एनकाउंटर के कई मामलों मे पुलिसवालों को सजा भी हुई है. जिस बेंगलुरू एनकाउंटर पर यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री कर्नाटक पुलिस के एक्शन से यूपी पुलिस को नसीहत लेने की सलाह दे रही थीं, न्यायिक जांच में उस एनकाउंटर पर भी सवाल उठाये गये थे. 

यूपी एसटीएफ का नया कारनामा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुश्किलें बढ़ाने वाला है. मंगेश यादव के एनकाउंटर के बाद यूपी पुलिस पर जाति देख कर एनकाउंटर करने के आरोप लगाये गये थे - अपने नये एक्शन से यूपी पुलिस ने उठने वाले सवालों को और हवा दे डाली है. ये तो ऐसा लगता है जैसे यूपी पुलिस ने अपने ऊपर जाति देखकर फर्जी एनकाउंटर करने के आरोपों को अपने नये एक्शन के जरिये स्वीकार कर लिया है. 

अब तो ऐसा लग रहा है जैसे वाकई यूपी पुसिस की स्पेशल टास्क फोर्स जाति देखकर ही एनकाउंटर कर रही है. मान भी लेते हैं कि मंगेश यादव और अनुज प्रताप सिंह दोनो ही पेशेवर अपराधी थे, लेकिन पुलिस को सरकारी बंदूक और गोली से किसी को भी सजा देने का अधिकार तो मिला नहीं है. पुलिस का काम अपराधी को सजा दिलाना है, न कि अपने हिसाब से एनकाउंटर में मार गिराना.

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क्या ऐसा नहीं लग रहा है कि डकैती के एक कथित यादव आरोपी के एनकाउंटर को बैलेंस करने के लिए एक ठाकुर को भी मार गिराया गया है - कानूनी तौर पर तो मुमकिन भी नहीं है, सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी पुलिस का ये एक्ट सही नहीं ठहराया जा सकता है. अब तो ये पूरी तरह साफ लगता है कि यूपी पुलिस का ये एक और फर्जी एनकाउंटर है.

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