मध्य प्रदेश के कटनी जिले की रहने वाली अर्चना तिवारी 7 अगस्त को नर्मदा एक्सप्रेस ट्रेन के कोच B-3, बर्थ नंबर 3) से इंदौर से कटनी के लिए रवाना हुई थी और, रहस्यमयी ढंग से लापता हो गई. उसके भाई अंकुश तिवारी ने 8 अगस्त को कटनी GRP थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज की. चूंकि घटनास्थल रानी कमलापति स्टेशन था, इसलिए कटनी GRP से डायरी प्राप्त होने पर रानी कमलापति GRP थाने में 9 अगस्त को गुमशुदगी दर्ज कर जांच शुरू की गई.
अर्चना तिवारी मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ में प्रैक्टिसिंग वकील थी और सिविल जज की तैयारी कर रही थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए GRP ने नर्मदा एक्सप्रेस के रिजर्वेशन चार्ट के हिसाब से इंदौर, भोपाल, सीहोर, रानी कमलापति, नर्मदापुरम, इटारसी, पिपरिया, करेली, नरसिंहपुर, जबलपुर, कटनी, बिलासपुर के रिजर्वेशन चार्ट की जांच की.
कोच में अर्चना के आसपास के यात्रियों से उनके घर जाकर पूछताछ की गई और संबंधित थानों से संपर्क कर जानकारी जुटाई गई. इंदौर से बिलासपुर तक के रेलवे स्टेशनों और आसपास के क्षेत्रों में लगभग 2000 CCTV फुटेज खंगाले गए. नर्मदा नदी में 32 किलोमीटर तक SDRF और GRP ने सर्च ऑपरेशन चलाया. रानी कमलापति से जबलपुर तक अलग-अलग टीमों ने पैदल तलाशी की और बरखेड़ा से बुदनी तक वन विभाग के साथ GRP ने जंगल में सर्च ऑपरेशन चलाया.
इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों के माध्यम से संदिग्ध नंबर की जानकारी मिली, जिसके आधार पर इंदौर और शुजालपुर में संदिग्ध सारांश जोकचंद की पहचान की गई. पूछताछ के बाद GRP ने अर्चना तिवारी को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी, नेपाल बॉर्डर के धनगढ़ी से बरामद किया.
पूछताछ में अर्चना ने बताया कि परिवार वाले उसकी मर्जी के खिलाफ शादी के लिए रिश्ते देख रहे थे. कुछ समय पहले उसेबताया गया कि एक पटवारी से उनका रिश्ता तय किया गया है. बार-बार शादी के लिए दबाव डालने से वह मानसिक रूप से परेशान थी.
7 अगस्त को वह रक्षाबंधन के लिए इंदौर से कटनी के लिए नर्मदा एक्सप्रेस से रवाना हुईं, लेकिन मानसिक रूप से घर जाने को तैयार नहीं थी. उसने फैसला किया कि वह घर नहीं जाएगी और न ही शादी करेगी, जब तक कि वह सिविल जज नहीं बन जाती.
इटारसी पहुंचने से पहले अर्चना ने अपने पुराने क्लाइंट तेजेंद्र सिंह से मदद मांगी. तेजेंद्र पंजाब का रहने वाला है और वर्तमान में इटारसी में रहता है. उसने तेजेंद्र को बताया कि वह इटारसी में उतरकर वापस इंदौर जाना चाहती है. अर्चना ने अपने दोस्त सारांश को भी इटारसी बुलाया. इटारसी स्टेशन पर जहां CCTV न हो, वहां उतरने की योजना बनाई. तेजेंद्र नर्मदापुरम स्टेशन से उसके साथ हो गया और इटारसी में सारांश के पास छोड़कर रुक गया.
सारांश की कार से अर्चना शुजालपुर पहुंची, फिर इंदौर गई. परिवार के इंदौर आने के डर से वह हैदराबाद चली गई. हैदराबाद में 2-3 दिन रुकने के बाद, मीडिया की खबरों से पता चला कि उसका केस चर्चित हो गया है, जिसके कारण वह सुरक्षित महसूस नहीं कर रही थी.
11 अगस्त को अर्चना सारांश के साथ हैदराबाद से दिल्ली पहुंची और वहां से टैक्सी के जरिए धनगढ़ी, नेपाल चली गईं. धनगढ़ी से काठमांडू पहुंची, जहां सारांश ने अपने परिचित वायपी देवकोटा के जरिए उसे एक होटल में ठहराया और खुद इंदौर लौट गया.
कुछ दिन बाद देवकोटा ने अर्चना को नेपाल की सिम दिलवाई, जिससे वह वॉट्सएप के जरिए सारांश से बात करती रही. अर्चना ने बताया कि सारांश और तेजेंद्र ने दोस्त के नाते उसकी मदद की और किसी ने उनके साथ कोई गलत हरकत या गलत काम नहीं किया.
सारांश के माध्यम से पुलिस ने अर्चना से संपर्क किया और बताया कि उनके परिवार वाले बहुत परेशान हैं. इसके बाद अर्चना काठमांडू से प्लेन के माध्यम धनगढ़ी आई और वहां से लखीमपुर खीरी, नेपाल बॉर्डर पहुंची, जहां मध्य प्रदेश GRP की भोपाल टीम ने उसे बरामद किया. अर्चना अब रानी कमलापति GRP थाने लाई गई है.
रवीश पाल सिंह