₹100-200 करोड़ नहीं... राम मंदिर से सरकार के खजाने में आएंगे इतने रुपये, जानिए कैसे?

Indore News: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण समाज के सहयोग से किया जा रहा है और इंतजाम ऐसा है कि 2 लाख भक्तों के आने पर भी किसी को परेशानी नहीं होगी.

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श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय. (फाइल फोटो) श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय. (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • इंदौर ,
  • 10 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 5:12 PM IST

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर से जुड़े चल रहे निर्माण कार्य से करीब 400 करोड़ रुपये का वस्तु एवं सेवा कर (GST) मिलने का अनुमान है. हालांकि, वास्तविक कर संग्रह का आंकड़ा निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ही पता चलेगा.

राय ने मध्य प्रदेश के इंदौर में एक सार्वजनिक अभिनंदन समारोह में कहा, मेरा अनुमान है कि सरकार को राम मंदिर निर्माण कार्य से GST के रूप में करीब 400 करोड़ रुपये मिलेंगे. 70 एकड़ में विकसित किए जा रहे परिसर में कुल 18 मंदिर बनाए जाएंगे. इसमें महर्षि वाल्मीकि, शबरी और तुलसीदास के मंदिर शामिल होंगे. हम 100 फीसदी टैक्स का भुगतान करेंगे. टैक्स में एक रुपया भी कम नहीं किया जाएगा. 

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विश्व हिंदू परिषद (VHP) के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष राय ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण समाज के सहयोग से किया जा रहा है और व्यवस्था ऐसी है कि 2 लाख भक्तों के आने पर भी किसी को परेशानी नहीं होगी.

1000 साल पुरानी आजादी की लड़ाई से कम नहीं आंदोलन

विहिप नेता राय ने कहा, "मुझे नहीं पता कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर बनाने के लिए आंदोलन के दौरान कितने लोगों, उनके परिवारों और रिश्तेदारों को कष्ट सहना पड़ा. यह यज्ञ (आंदोलन) 1,000 साल पुरानी आजादी की लड़ाई से कम नहीं है. यह (आंदोलन) जन कल्याण के लिए किया गया था." 

IAS के बुलावे पर आए मध्य प्रदेश

राय  मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के बकावा गांव भी पहुंचे और अयोध्या में शिव मंदिर के निर्माण के लिए 'शिवलिंग' को अंतिम रूप दिया. चंपत राय ने कहा,  मैं एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी के सुझाव पर वहां गया था. नर्मदा नदी के तट पर स्थित बकावा खूबसूरत शिवलिंगों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें दुनियाभर के मंदिरों में स्थापित किया जाता है.

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