मुजफ्फरपुर शेल्टर होम से रिहा कराई गईं लड़कियों का क्या हुआ? SC ने 6 हफ्ते में मांगा जवाब

बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने TISS की रिपोर्ट के बाद मामले को गंभीरता से लेते हुए शेल्टर होम से रिहा कराई गईं सभी लड़कियों के बारे में जानकारी मांगी है. TISS की रिपोर्ट में बताया गया कि बालिका गृह से रिहा कराई गईं 12 लड़कियां अब भी सरकारी सुरक्षा गृह में रह रही हैं. वे अब मानसिक या शारीरिक तौर पर सक्षम नहीं हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में सुनवाई की (सांकेतिक तस्वीर) सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में सुनवाई की (सांकेतिक तस्वीर)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 01 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:32 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड से रिहा कराई गईं लड़कियों के बारे में जानकारी मांगी. उसने पूछा कि रिहाई कराई गईं लड़कियों का क्या हुआ? शीर्ष कोर्ट ने कहा कि ऐसी बातें सामने आई हैं कि बालिका गृह से रिहा कराई गईं लड़कियों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. ऐसे में छह हफ्ते में उन लड़कियों के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट दी जाए.

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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सुनवाई की. कोर्ट को यह जानकारी मिली थी कि बालिका गृह से रिहा कराई गईं 12 लड़कियां अब भी सरकारी सुरक्षा गृह में रह रही हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने उन लड़कियों के साथ-साथ वहां से छुड़ाई गई दूसरी लड़कियों के बारे में जानकारी मांगी थी.

मानसिक या शारीरिक रूप से सक्षम नहीं लड़कियां

सुप्रीम कोर्ट में  TISS यानी टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंस ने रिपोर्ट सौंपी है कि जो 12 लड़कियां अभी भी बालिका सुरक्षा गृह में रह रही हैं, वे सब मानसिक या शारीरिक तौर पर सक्षम नहीं हैं. रिपोर्ट के मुताबिक लड़कियां यह बताने में सक्षम नहीं हैं कि उनके परिवार के लोग कहां हैं और वे कैसे सुरक्षा गृह तक पहुंचीं. लिहाजा उन्हें सरकारी सुरक्षा गृह में ही रखा गया है. कोर्ट ने इन 12 लड़कियों को सारी सुविधाएं देने का निर्देश दिया है. 

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पांच राज्यों के अधिकारियों से मांगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उन सभी राज्यों को नोटिस भेजा है, जहां मुजफ्फरपुर बालिका गृह से छुड़ाई गई लड़कियों को भेजा गया था. कोर्ट ने पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम, उत्तराखंड और पंजाब के अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट ने उन राज्यों की बाल संरक्षण समितियों को लड़कियों की वर्तमान स्थिति और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का पूरा विवरण देते हुए उचित स्थिति रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया है.

26 मई 2018 को सामने आया था मामला

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस तब प्रकाश में आया जब 26 मई 2018 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस) ने बिहार सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें जिक्र किया गया था कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण हो रहा है. कोर्ट ने 20 जनवरी को ब्रजेश ठाकुर को दोषी ठहराया था.

यौन शोषण के मामले में कोर्ट ने 20 आरोपियों में से 19 को दोषी पाया था. ब्रजेश ठाकुर पर नाबालिग बच्चियों और युवतियों के यौन शोषण के आरोप थे. दिल्ली की साकेत कोर्ट ने इसे सही पाया. ब्रजेश ठाकुर को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है. ब्रजेश ठाकुर प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफसेंज(पॉक्सो ), भारतीय दंड सहिंता की धारा 120बी(आपराधिक साजिश), 324(खतरनाक हथियारों से चोट पहुंचाना), 323(गंभीर शारीरिक क्षति) और उकसावे का दोषी पाया गया है.

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