केरल हाईकोर्ट में काला जादू, टोना-टोटका और अमानवीय कुरीतियों पर रोक लगाने के लिए कानून पारित करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई है. जिस पर मंगलवार को विचार करने वाली चीफ जस्टिस एस मणिकुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार से पूछा कि इस तरह के क़ानून को पारित करने में देरी का क्या कारण है. कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में दो हफ्ते बाद फिर सुनवाई की जाएगी.
दरअसल, केरल युक्ति वधी संगम नाम के संगठन द्वारा दायर रिट याचिका में हाईकोर्ट को बताया गया है कि राज्य में अंधविश्वासों के संबंध में कई तरह के अपराध किए जा रहे हैं. इस तरह के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक याचिका में कहा गया है, "वर्तमान में, सामान्य दंड विधान में इसे प्रतिबंधित करने या इससे निपटने के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं हैं. कर्नाटक और महाराष्टर ऐसे दो राज्य हैं, जिन्होंने इस संबंध में क़ानून पारित किए हैं."
याचिका में कानून सुधार आयोग की रिपोर्ट 2019 की सिफारिश पर विचार करने और 'द केरल प्रिवेंशन ऑफ इरैडिकेशन ऑफ अमानवीय बुराई प्रथाओं, जादू-टोना और काला जादू विधेयक-2019' के अधिनियमन के संबंध में निर्णय लेने की मांग की गई है. जिसमें
मानव बलि और अन्य अमानवीय, दुष्ट और बर्बर प्रथाओं व काले जादू आदि को अवैध घोषित करने और राज्य में काले जादू, टोना-टोटका केंद्रों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी मांग की गई है. याचिका में यह भी मांग की गई है कि अंधविश्वास की सामग्री वाली फिल्मों, धारावाहिकों, टेलीफिल्मों को अवैध घोषित किया जाए.
aajtak.in