शिवसेना के बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे के साथ शुरू हुए राजनीतिक संघर्ष को अदालत की चौखट तक ले जा सकते हैं. वह सोमवार को डिप्टी स्पीकर की नोटिस को चुनौती दे सकते हैं. उनकी दलील है कि जब शिवसेना विधायकों की कुल संख्या का दो तिहाई बहुमत उनके पास है तो उद्धव ठाकरे उनकी जगह किसी और को विधायक दल का नेता कैसे बना सकते हैं?
सूत्रों के मुताबिक शिंदे मुंबई और दिल्ली में वरिष्ठ वकीलों के लगातार संपर्क में हैं. शिंदे गुट का कहना है कि चूंकि एकनाथ शिंदे विधायक दल के लीडर हैं इसलिए नोटिस उद्धव ठाकरे ग्रुप के विधायकों को दिया जाना चाहिए जो अल्पमत में हैं. बर्खास्तगी शिंदे शिविर के बहुमत वाले विधायकों की नहीं बल्कि उद्धव कैम्प के अल्पमत में आए विधायकों की होनी चाहिए.
डिप्टी स्पीकर को शिंदे ने नहीं दिया जवाब
शिवसेना से बागी हुए महाराष्ट्र विधानसभा के विधायक और सरकार के मंत्री एकनाथ शिंदे ने डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को नोटिस का जवाब तो नहीं दिया लेकिन अपने समर्थक 37 विधायकों की सूची जरूर सौंपी है. इसमें दो प्रस्ताव भी शामिल हैं.
इसमें कहा गया है कि शिंदे शिवसेना विधायक दल के प्रमुख बने रहेंगे जबकि विधायक भरत गोगावले को नया मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया है.
उद्धव के इस फैसले को दे सकते हैं चुनौती
शिंदे ने 40 विधायकों और एक दर्जन निर्दलीय और छोटे दलों के समर्थन का दावा किया. इसके उलट शिवसेना ने 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए डिप्टी स्पीकर को पत्र लिखा तो पार्टी और बागी विधायकों के बीच दरारें और गहरी व चौड़ी हो गईं, क्योंकि इससे पहले शिवसेना ने एकनाथ शिंदे को विधायक दल नेता और चीफ व्हिप को पद से हटा दिया था. अजय चौधरी को नया चीफ व्हिप बनाया गया. अब बागी विधायक इसी आदेश को चुनौती देने वाले हैं.
डिप्टी स्पीकर को हटाने की भी उठी मांग
महाराष्ट्र में बीजेपी के समर्थक दो विधायकों ने शुक्रवार को अजय चौधरी को पार्टी विधायक दल का नया नेता पद पर आसीन किए जाने पर भी आपत्ति जताई. निर्दलीय विधायकों योगेश बाल्दी और विनोद अग्रवाल ने इस फैसले को लेकर डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को पद से हटाने की मांग भी की. इसके लिए अविश्वास प्रस्ताव की भी पेशकश की गई.
बाल्दी बोले कि विधानसभा उपाध्यक्ष ऐसे निर्णय नहीं ले सकते हैं, क्योंकि यह अध्यक्ष का विशेषाधिकार होता है. जल्द ही इस संबंध में कानूनी कदम उठाए जाएंगे. सूत्रों के अनुसार, शिवसेना के बागी विधायकों और कुछ निर्दलीय विधायकों की कुल 46 संख्या के साथ उन्होंने डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को हटाने का प्रस्ताव लाने की योजना बनाई है.
तो क्या नहीं लागू होगा अनुच्छेद-180 का नियम
संविधान और संसदीय नियमों के जानकारों की राय में 'संविधान के अनुच्छेद 180 में साफ तौर से कहा गया है कि विधानसभा अध्यक्ष का पद खाली होने पर उपाध्यक्ष निर्णय ले सकते हैं. ऐसे में मुश्किल है कि बागियों को ये दलील अदालत में टिक पाए.
डिप्टी स्पीकर कल सुन सकते हैं बागियों का पक्ष
इस मसले पर डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल भी सक्रिय हैं. उन्होंने पूरे मसले पर एडवोकेट जनरल से हर डेवलपमेंट के साथ कानूनी सलाह ले रहे हैं. अभी तक तो यही लग रहा है कि सोमवार को बागी विधायकों के पक्ष की दलीलों की सुनवाई डिप्टी स्पीकर के सामने हो सकती है. बशर्ते कि बागी कोई दूसरा कानूनी दांव खेलकर पेशी और सुनवाई से बच निकलने का कोई रास्ता न निकाल लें.
बागी विधायकों को राउत ने कहा जिंदा लाश
शिवसेना नेता संजय राउत ने बागी विधायकों को लेकर कहा कि जो 40 लोग वहां हैं, वे जिंदा लाश हैं. यहां सिर्फ उनके शरीर वापस आएंगे, उनकी आत्मा वहीं मर चुकी होगी. जब ये 40 लोग यहां से बाहर निकलेंगे, तो उनका दिल जिंदा नहीं होगा. उन्हें पता है कि यहां जो आग लगी है, उसका क्या अंजाम हो सकता है.
संजय शर्मा