15 हजार फीट की ऊंचाई पर 27 घंटे की रिले रेस...युवाओं ने नाप दिया ओम पर्वत और आदि कैलाश

15 हजार फीट की ऊंचाई, 235 किलोमीटर की दूरी, 27 घंटे की दौड़ और चार दिन का समय...ये चैलेंज सुनने में जितना मुश्किल लगता है, पूरा करने में उससे भी ज्यादा मुश्किल था लेकिन इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया है उत्तराखंड की 12 सदस्यीय टीम ने. चैलेंज पूरा हुआ तो वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बन गया. खुद राज्यपाल गुरमीत सिंह ने इस उपलब्धि पर टीम से मुलाकात की और उसका हौसला बढ़ाया.

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उत्तराखंड की 12 सदस्यीय टीम उत्तराखंड की 12 सदस्यीय टीम

अपर्णा रांगड़

  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 5:02 PM IST

15 हजार फीट की ऊंचाई, 235 किलोमीटर की दूरी, 27 घंटे की दौड़ और चार दिन का समय...ये चैलेंज सुनने में जितना मुश्किल लगता है, पूरा करने में उससे भी ज्यादा मुश्किल था लेकिन इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया है उत्तराखंड की 12 सदस्यीय टीम ने. चैलेंज पूरा हुआ तो वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बन गया. 

चार दिन में 235 किमी की दूरी की पूरी

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उत्तराखंड में विश्व की पहली हाई एल्टीट्यूड रिले रेस 'दि हिमालयन चेज' के पहले संस्करण में टीम ने पिथौरागढ़ से ओम पर्वत और आदि कैलाश तक दौड़कर कुल 235 किमी की दूरी 4 दिन में पूरी की. चार दिन में रनिंग टाइम 27 घंटे 7 मिनट था. 12 सदस्यीय टीम में उत्तराखंड के 8 जिलों के युवा शामिल थे. जिसमें एवरेस्ट विजेता मनीष कशनीयाल, अविजित जमलोकी, सागर देवराड़ी, नीरज सामंत, आकाश डोभाल, पंकज बिष्ट, युवराज सिंह रावत, ऋषभ जोशी, रजत जोशी, दीपक बाफिला, विवेक सिंह रावत और नवनीत सिंह शामिल थे. इनमें सात धावक थे और बाकी मैनेजमेंट, फिल्म टीम शामिल थी.

अविजीत जमलोखी ने बताया कि 27 सितंबर को रेस का पहला दिन था. पिथौरागढ़ से रेस शुरू हुई. तपती गर्मी, शरीर को जला रही थी. उसमें दौड़ना बहुत चुनातीपूर्ण था. टीम के सदस्य दिन ही नहीं, रात में भी दौड़ रहे थे. पहले दिन रात में टीम धरचूला पहुंची और उस दिन 95 किलोमीटर दूरी तय की गई.

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टीम ने दूसरे दिन धारचूला से बुधी तक 62 किलोमीटर की रेस पूरी की. तीसरे दिन बुधी से ओम पर्वत का सफर था. अविजीत बताते हैं कि जैसे-जैसे हम ऊंचाई पर जा रहे थे,  चुनौतियां बढ़ रही थीं. मौसम खराब होता जा रहा था. सांस बस 10 कदम दौड़ते ही फूल रही थी. टीम को high altitude का अनुभव था लेकिन वहां ट्रैक करने और उसमें दौड़ने में बहुत फर्क है. ये हम सबको उसी समय पता चला. कई नदी-नालों, पहाड़ों को पार करते हुए ओम पर्वत के करीब पहुंचते ही एक-एक कदम हमारे लिए कई किलोमीटर जैसा लग रहा था. रेस के तीसरे दिन करीब 9000 फीट से टीम 13000 फीट तक दौड़ी और कुल 45 किलोमीटर की दूरी तय की.

आदि कैलाश पर्वत के सामने 15000 फीट पर तिरंगा

रेस के चौथे और आखिरी दिन टीम गुंजी से आदि कैलाश पहुंची. वहां सुबह बारिश और हल्की बर्फ़बारी शुरू हो गई. बारिश बंद हुई और टीम आदि कैलाश के लिए दौड़ी. चौथे दिन चढ़ाई ही चढ़ाई थी. पिछले तीन दिनों की चोटें, थकान, सब हिट करने लगे थे तो पेनकिलर खाकर दौड़े. लेकिन जब ऊपर पहुंचे तो देखते रह गए. हाथ में तिरंगा था और आंखों में आंसू. वो पल कभी न भूलने वाला था. पूरी टीम फाइनली उस सपने को जी रही थी जो हमने देखा था.

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जहां चलना भी मुश्किल, युवाओं ने वहां रखा लक्ष्य: राज्यपाल

उत्तराखंड के युवाओं की इस उपलब्धि पर राज्यपाल गुरमीत सिंह ने राजभवन में एडवेंचर स्पोर्ट्स एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड की इस टीम के सदस्यों ने मुलाकात की. मुलाकात के बाद उन्होंने ट्वीट किया कि टीम ने ऐसी जगहों पर दौड़ने का लक्ष्य रखा, जहां लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल हो. पिथौड़ागढ़ जिले में हुई रेस को लेकर जिला पर्यटन विकास अधिकरी कृति चंद्र आर्य ने बताया कि धारचूला तहसील से 12 सदस्य टीम को 27 सितंबर को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया  था और उन्होंने अपना लक्ष्य पूरा किया. वर्ल्ड रिकॉर्ड को लेकर टीम का कहना है कि रिकॉर्ड दर्ज कराने के संबंध में दस्तावेज संबंधित संगठन को भेज दिए गए हैं. इस इवेंट पर एसोसिएशन द्वारा एक डॉक्युमेंट्री भी बनाई जा रही है. टीम का अगला लक्ष्य बद्रीनाथ इलाके से लगी हुई नीति घाटी में रिले रेस है जो और भी ज़्यादा मुश्किल और चुनौतियों से भरी होगी.

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