'हे बाबा केदार ये क्या हो रहा है...' जब तबाह हो रहा था धराली, तब मां गंगा के मायके से चिल्ला रहे थे लोग

धराली के सामने स्थित मुखबा गांव, जिसे मां गंगा के मायके के रूप में जाना जाता है, वहां के लोग भी इस दृश्य को देखकर टूट गए. लोगों ने ईश्वर को पुकारना शुरू कर दिया हे बाबा केदार, ये क्या हो रहा है, रक्षा करो... मुखबा गांव के 60 वर्षीय निवासी सुभाष चंद्र सेमवाल, जो स्वयं इस भयावह त्रासदी के चश्मदीद हैं, ने कहा, मैंने अपने जीवन में ऐसा मंजर कभी नहीं देखा.

Advertisement
उत्तराखंड के धराली में अब चारों तरफ तबाही के मंजर हैं (Photo: AI-generated) उत्तराखंड के धराली में अब चारों तरफ तबाही के मंजर हैं (Photo: AI-generated)

aajtak.in

  • उत्तरकाशी ,
  • 06 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:26 PM IST

उत्तरकाशी जिले के हिमालयी गांव धराली में बादल फटने के बाद अचानक आई भीषण बाढ़ ने वह मंजर रच दिया जिसे देखकर रूह कांप जाए. अब चारों ओर तबाही का मंजर है. जिन रास्तों पर श्रद्धालु जाया करते थे, वहां अब सिर्फ मलबा, टूटी दीवारें, और बहते हुए जीवन की कहानियां रह गई हैं. सोशल मीडिया पर सामने आए कई वीडियो इस भीषण त्रासदी की गवाही दे रहे हैं. एक वीडियो में एक पीड़ित की टूटी हुई आवाज सुनाई देती है अब तो सब कुछ खत्म हो गया है.

Advertisement

धराली के सामने है मां गंगा का मायका 

एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक धराली के सामने स्थित मुखबा गांव, जिसे मां गंगा के मायके के रूप में जाना जाता है, वहां के लोग भी इस दृश्य को देखकर टूट गए. लोगों ने ईश्वर को पुकारना शुरू कर दिया हे बाबा केदार, ये क्या हो रहा है, रक्षा करो... मुखबा गांव के 60 वर्षीय निवासी सुभाष चंद्र सेमवाल, जो स्वयं इस भयावह त्रासदी के चश्मदीद हैं, ने कहा, मैंने अपने जीवन में ऐसा मंजर कभी नहीं देखा. दोपहर में पानी और पत्थरों के तेज बहाव की आवाज आई. मैं और मेरे परिवार के लोग बाहर निकले. जब खीर गंगा से भारी मात्रा में पानी नीचे आता देखा, तो हम घबरा गए. हमने सीटी बजाई और धाराली बाजार में रहने वालों को चिल्ला-चिल्लाकर चेताया कि वहां से भाग जाओ. सुभाष की आंखों में आंसू थे. उन्होंने बताया कि उनकी आवाज सुनकर कई लोग होटल से बाहर निकले, लेकिन तब तक तेज रफ्तार बाढ़ उन्हें अपनी चपेट में ले चुकी थी.

Advertisement

डरावनी यादें ताजा हो गईं

इस त्रासदी ने एक बार फिर लोगों को 2013 की केदारनाथ आपदा और 2021 की ऋषिगंगा त्रासदी की डरावनी यादें दिला दीं. जैसे केदारनाथ में तीर्थयात्रियों से भरे इलाके में अचानक मौत का साया छा गया था, और ऋषिगंगा में हाइड्रो प्रोजेक्ट में काम कर रहे सैकड़ों मजदूरों का एक सामान्य दिन कैसे त्रासदी वाला बन गया था, वैसे ही इस बार खीर गंगा की बाढ़ ने धाराली की जीवंत बस्ती को मलबे के नीचे दबा दिया. इस तबाही में अब तक कई लोगों के फंसे होने की संभावना है वहीं अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. धाराली गंगोत्री यात्रा मार्ग पर एक प्रमुख पड़ाव है. यहां बड़ी संख्या में होटल, रेस्टोरेंट और होम-स्टे बने हुए हैं.

सेना और एसडीआरएफ की तत्परता

आपदा की सूचना मिलते ही सबसे पहले सेना घटनास्थल पर पहुंची. चूंकि सेना का हर्षिल कैंप घटनास्थल से सिर्फ 4 किलोमीटर की दूरी पर है, इसलिए लगभग 150 सैनिक महज 10 मिनट में मौके पर पहुंच गए. उन्होंने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया और कई लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया. सेना के जवानों ने कई जगह रस्सियों की मदद से फंसे हुए लोगों को बाहर निकाला. सेना द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में चारों ओर फैला मलबा देखा जा सकता है, जो अब भी धीरे-धीरे बह रहा है. एक सैन्य अधिकारी ने कहा, लोगों को फिलहाल आपदा-प्रभावित धाराली क्षेत्र से दूर रहने की सलाह दी गई है. वहीं एसडीआरएफ के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि राहत और बचाव कार्य में 50 जवानों की टीम लगी हुई है. उनके पास पीड़ितों को खोजने वाले कैमरे, कटिंग टूल्स और रोटरी हैमर जैसे ज़रूरी उपकरण मौजूद हैं. अधिकारियों के मुताबिक, धाराली के अलावा हर्षिल में सेना कैंप के पास भी एक और बादल फटने की घटना हुई है.

Advertisement

बाढ़ के दौरान वायरल वीडियो ने तोड़ा दिल

सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हुए हैं, उनमें 5 से 10 मीटर ऊंची लहरें दिख रही हैं, जो मलबे के साथ मकानों, होटलों और दुकानों से टकरा रही हैं. कई इमारतें पलक झपकते ही जमींदोज हो जाती हैं. कई होटल और घर पूरी तरह मलबे में समा गए, कुछ होटलों की सिर्फ लाल और हरी टिन की छतें ही नजर आ रही हैं. एक वीडियो में एक कार को तेज रफ्तार में भागते हुए देखा गया, जो अंत में पानी में समा जाती है.

उत्तरकाशी: एक इतिहास, कई आपदाएं

धाराली की यह तबाही उत्तरकाशी जिले के उस लंबे इतिहास का हिस्सा बन गई है, जिसमें प्राकृतिक आपदाओं ने समय-समय पर जनजीवन को झकझोरा है.

- 1978 में भागीरथी नदी के पास डबरानी क्षेत्र में झील बनने के कारण आई बाढ़ ने निचले इलाकों में जबरदस्त तबाही मचाई थी. गांव, सड़कें और पुल बह गए थे. कई वर्षों तक विकास कार्य ठप पड़ गए.

- 1991 में उत्तरकाशी में आए भयानक भूकंप ने 700 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी. गांव के गांव उजड़ गए थे. वर्षों तक पुनर्वास का काम चलता रहा.

- 2003 में वरुणावत पर्वत पर भूस्खलन ने कई बड़े होटल और इमारतें गिरा दीं. नगर क्षेत्र की आधारभूत संरचना को जबरदस्त नुकसान हुआ.

Advertisement

- 2012-13 में असी गंगा और भागीरथी नदियों के बाढ़ ने भटवाड़ी और आसपास के इलाकों में भारी नुकसान किया. दर्जनों मकान बह गए और हजारों लोग बेघर हो गए.

- 2019 में अराकोट और बनगांव क्षेत्र में बादल फटने से कई लोगों की मौत हुई और पुल, इमारतें, खेत सब तबाह हो गए. प्रशासन को राहत पहुंचाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी.

- 2023 में सिलक्यारा सुरंग में 2023 में हादसा हुआ था, जब निर्माण के दौरान एक हिस्सा ढह गया. 41 मजदूर 17 दिनों तक अंदर फंसे रहे, लेकिन लंबी रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सभी को सुरक्षित बाहर निकाला गया.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement