धराली में एक दिन में 6 बार टूटा था बाढ़ का कहर... 6 Videos में देखिए कैसे खीर गंगा ने मचाई थी तबाही

उत्तरकाशी ज़िले का धराली गांव 5 अगस्त को कुदरत के कहर का गवाह बना. खीर गंगा से आए बाढ़ के उफानों ने पूरे गांव को दहला दिया. अब तक सामने आए छह अलग-अलग वीडियो बताते हैं कि किस तरह कुछ ही घंटों में गांव में तबाही का मंजर खड़ा हो गया.

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धराली में आपदा वाले दिन एक ही दिन में छह बार बाढ़ आई थी (Photo: PTI) धराली में आपदा वाले दिन एक ही दिन में छह बार बाढ़ आई थी (Photo: PTI)

ओंकार बहुगुणा

  • देहरादून,
  • 14 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:28 PM IST

5 अगस्त को उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में कुदरत का कहर कई बार टूटा, जिससे पूरा इलाका थर्रा उठा. अब तक खीर गंगा में आई भयानक बाढ़ के छह अलग-अलग वीडियो सामने आए हैं, जो उस दिन की भयावहता को दर्शाते हैं.

दिन की शुरुआत सामान्य थी. गांव के पास स्थित सोमेश्वर देवता के मंदिर में 'हारदूद मेले' की पूजा चल रही थी. तभी अचानक दोपहर करीब 1:30 बजे एक तेज गर्जना के साथ पहली बाढ़ आई. इसकी भयानक आवाज़ इतनी तेज थी कि यह मुखवा गांव तक सुनाई दी. 

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मुखवा के ग्रामीणों ने खतरे को भांपते हुए सीटियां बजाकर धराली के लोगों को सचेत किया. इस चेतावनी के कारण कई लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए, लेकिन कुछ लोग इस अचानक आई जलप्रलय में फंस गए. वे अपनी जान बचाने के लिए कीचड़ और मलबे के दलदल से जूझते हुए दिखाई दिए.

यह भी पढ़ें: पहले खीर गंगा, फिर धराली में आई आपदा... उत्तरकाशी में ऐसे मची थी तबाही

6 बार टूटा था बाढ़ का कहर

हालांकि, यह आपदा लगातार बह रही थी, इसलिए यह कहना मुश्किल है कि खीर गंगा से कितनी बार बाढ़ आई. लेकिन, जो वीडियो फुटेज सामने आए हैं, उनके आधार पर छह प्रमुख घटनाओं को रिकॉर्ड किया गया है:

  • पहला उफान (दोपहर 1:30 बजे): यह पहला बड़ा उफान था, जब सोमेश्वर देवता मंदिर में पूजा चल रही थी.

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  • दूसरा उफान (दोपहर 2:30 बजे): इस उफान ने मुखवा को धराली से जोड़ने वाले पुल और एक मोबाइल टावर को बहा दिया, जिससे संपर्क टूट गया.

  • तीसरा, चौथा और पांचवां उफान (दोपहर 3:10, 3:35 और 3:55 बजे): इन लगातार आए उफानों ने गांव में अफरातफरी मचा दी. लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते नजर आए.

  • छठा उफान (शाम 6:00 बजे): यह आखिरी और सबसे भीषण उफान था, जिसके बाद धराली गांव में बिजली और संचार व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई.

एक पल में सब कुछ बर्बाद...

धराली की घाटी में कितने लोग मलबे के नीचे दबे हैं, इसकी सही संख्या कोई नहीं बता पा रहा है. ‘प्रकृति के प्रकोप’ ने ऐसा कहर ढाया कि कई लोग दुनिया से जाने से पहले अपनी चीख भी दर्ज नहीं करा सके, मदद के लिए पुकार भी नहीं पाए. कुछ ही पलों में उनकी पूरी दुनिया उजड़ गई.

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अचानक आई इस आपदा के बाद भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, बीआरओ, अग्निशमन विभाग, पुलिस और स्थानीय प्रशासन की टीमें मौके पर जुट गईं. मेडिकल टीमें भी राहत कार्य में लगी हुई हैं. लेकिन हालात इतने कठिन हैं कि बचाव अभियान पूरी रफ्तार से चलाना संभव नहीं हो पा रहा है.

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