उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मंगलवार को आई भीषण फ्लैश फ्लड ने धराली गांव के आधे हिस्से को तबाह कर दिया. यह गांव गंगोत्री यात्रा मार्ग का एक प्रमुख पड़ाव है, जहां से गंगा नदी की उत्पत्ति मानी जाती है. भारी बारिश के बीच बुधवार को भी राहत कार्य जारी रहा, जबकि मलबे में दबे लोगों की तलाश तेज कर दी गई. अब तक करीब 190 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है और 5 मौतों की पुष्टि हुई है, लेकिन 11 सेना के जवानों समेत अब भी दर्जनों लोग लापता बताए जा रहे हैं.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को हेलीकॉप्टर से प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण किया और स्पष्ट किया कि धराली पूरी तरह आपदा की चपेट में आ चुका है. मुख्यमंत्री ने बताया कि सेना, ITBP और SDRF की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं, और अब तक धराली के दोनों ओर से 190 लोगों को रेस्क्यू किया गया है. दाहिनी ओर से 120 और बाईं ओर से 70 लोगों को निकाला गया.
लगातार मलबा आने से तबाही
सीएम धामी ने बताया कि घटना के बाद क्षेत्र में कई बार भारी मात्रा में मलबा आया. मैंने जब मौके पर पहुंचकर स्थानीय लोगों से बात की, तो उन्होंने बताया कि एक बार नहीं, तीन-चार बार लगातार मलबा आया, जिससे सबकुछ आपदा की भेंट चढ़ गया. घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद उत्तरकाशी लाया जा रहा है. जरूरत पड़ने पर उन्हें हायर सेंटर और एम्स तक रेफर किया जाएगा, और राज्य सरकार घायलों के इलाज की पूरी जिम्मेदारी ले रही है.
हर्षिल हेलीपैड डूबा, संचार व्यवस्था ठप
सीएम धामी ने बताया कि हर्षिल के पास एक झील का पानी जमा हो गया है, जिससे वहां की सड़कें और हेलीपैड पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं. इससे हवाई मदद बाधित हो रही है. साथ ही, क्षेत्र में बिजली और मोबाइल नेटवर्क पूरी तरह ठप हैं. कई जगहों पर संपर्क मार्ग और पुल बह चुके हैं. गंगनानी के पास लाची गार्ड पर स्थित पुल भी आपदा में बह गया है.
रेस्क्यू व पुनर्स्थापना कार्य चुनौतीपूर्ण
मुख्यमंत्री ने कहा कि बचाव कार्य और सभी संसाधनों की बहाली एक बड़ी चुनौती है क्योंकि मौसम लगातार खराब हो रहा है. उन्होंने बताया कि वे खुद दो बार कोशिश करने के बाद तीसरे प्रयास में स्थल पर पहुंच सके. आपदा प्रबंधन विभाग, PWD और सेना मिलकर पुनर्स्थापन का कार्य शुरू कर चुके हैं. सभी एजेंसियों को समन्वय के साथ जल्द से जल्द सड़कों की बहाली, बिजली और संचार नेटवर्क बहाल करने का निर्देश दिया गया है.
प्रधानमंत्री से मिला भरोसा
सीएम धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं उन्हें फोन कर हर संभव सहायता का भरोसा दिया है. प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ आपदा प्रभावितों को राहत पहुंचाने का काम कर रही है. हर प्रयास किया जा रहा है कि किसी को भी मदद के लिए इंतज़ार न करना पड़े.
राहत और बचाव में भारी मुश्किलें
बता दें कि धराली आपदा को 24 घंटे से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अब तक उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से धराली तक रेस्क्यू टीम नहीं पहुंच पाई है. गंगोत्री धाम में तैनात SDRF की एक टीम जरूर हादसे के कुछ घंटे बाद मौके पर राहत व बचाव कार्य में जुट गई थी. वर्तमान में धराली में राहत कार्य मुख्य रूप से हर्षिल में तैनात ITBP और भारतीय सेना द्वारा किया जा रहा है. लेकिन प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, हर्षिल स्थित आर्मी कैंप को भी आपदा से गंभीर नुकसान पहुंचा है.
हाइवे ठप, रेस्क्यू टीमें भटवारी में फंसीं
घटना के बाद जिला मुख्यालय से दोपहर दो बजे रवाना हुई रेस्क्यू टीम अब तक धराली नहीं पहुंच पाई है क्योंकि गंगोत्री नेशनल हाईवे दर्जनों स्थानों पर क्षतिग्रस्त है. नेताला और भटवारी के पास भी सड़कें बंद रही थीं. गंगोत्री हाईवे कई जगहों पर भागीरथी नदी के कटाव से पूरी तरह से बह गया है, जिससे रेस्क्यू टीमें और मीडिया भटवारी में ही फंसे हुए हैं.
BRO का रेस्क्यू मार्ग भी बार-बार धंस रहा
BRO द्वारा मार्ग खोलने का प्रयास लगातार जारी है, लेकिन जैसे ही रास्ता तैयार किया जा रहा है, वो फिर धंस जाता है. इससे रेस्क्यू कार्य में भारी बाधा उत्पन्न हो रही है.
पिछले 24 घंटे से डीएम और एसपी घटना स्थल तक नहीं पहुंच सके थे, जिन्हें अब हेलीकॉप्टर के माध्यम से भेजा गया है. गंगनानी में BRO का कंक्रीट पुल पूरी तरह बह चुका है, वहां अब किसी प्रकार की मशीनरी से मार्ग नहीं खोला जा सकता. प्रशासन बेली ब्रिज बनाने की योजना पर काम कर रहा है.
हेली ऑपरेशन शुरू, राहत सामग्री पहुंचाई जा रही
सिविल एविएशन के वरिष्ठ अधिकारी IAS डॉ. आशीष चौहान के अनुसार, मौसम ठीक होने पर मुख्यमंत्री के निर्देश पर हेली ऑपरेशन शुरू किया गया है. देहरादून से प्रभावित क्षेत्रों में खाद्य सामग्री भेजी जा रही है और वहां से लोगों को उत्तरकाशी और देहरादून लाया जा रहा है.
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