उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम के कपाट मंगलवार को बंद होने के साथ इस साल की चारधाम यात्रा समाप्त हुई. भारी श्रद्धालु संख्या के बीच अंतिम पूजा रावल अमरनाथ नमबूदरी ने की. यात्रा में कुल 51 लाख श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया. अन्य धामों के कपाट पहले ही बंद किए जा चुके थे. यात्रा राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
उत्तराखंड के ऊपरी गढ़वाल क्षेत्र स्थित बद्रीनाथ धाम में मंगलवार को शीतकाल के लिए कपाट बंद कर दिए गए, जिससे इस साल की चारधाम यात्रा औपचारिक रूप से समाप्त हो गई. मंदिर समिति के अधिकारियों ने बताया कि विशेष पूजा के बाद दोपहर 2.56 बजे श्रद्धालुओं के लिए दरवाजे बंद किए गए. भारी ठंड के बावजूद भारत और विदेश से आए श्रद्धालुओं ने भगवान बदरी विशाल के दर्शन किए.
कपाट बंद होने से पहले पूजा
मंदिर के मुख्य पुजारी रावल अमरनाथ नमबूदरी ने कपाट बंद होने से पहले अंतिम पूजा अर्चना की. इस अवसर पर मंदिर परिसर को कई क्विंटल फूलों, विशेष रूप से पीले और नारंगी गेंदे के फूलों से सजाया गया. पूरे दिन भजन-कीर्तन और पारंपरिक लोक नृत्यों का आयोजन हुआ, जिसमें सेना के गढ़वाल स्काउट बैंड की मधुर धुनों ने माहौल को भक्तिमय बना दिया.
भगवान बद्रीनाथ की ‘उत्सव डोली’
बुधवार को भगवान बद्रीनाथ की ‘उत्सव डोली’ ज्योंतिर्मठ स्थित नरसिंह मंदिर के लिए रवाना होगी, जो उनके शीतकालीन निवास के रूप में काम आएगा. श्रद्धालु यहां पूरे शीतकाल में दर्शन कर सकेंगे.
अन्य धामों के कपाट पहले बंद
गढ़वाल हिमालय के चार प्रमुख धामों में से तीन के कपाट पहले ही बंद किए जा चुके थे. केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट 23 अक्टूबर को, जबकि गंगोत्री धाम का कपाट 22 अक्टूबर को दिवाली और अन्नकूट के अवसर पर बंद किया गया था.
यात्रा की सांस्कृतिक और आर्थिक महत्ता
भारी बर्फबारी और सर्दियों के कारण यह चारों धाम हर साल अक्टूबर-नवंबर में बंद किए जाते हैं और अगले साल अप्रैल-मई में पुनः खुलते हैं. छह महीने तक चलने वाली चारधाम यात्रा राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है. इस साल करीब 51 लाख श्रद्धालु यात्रा में शामिल हुए, जिनमें 2.74 लाख श्रद्धालु हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा गए.
कितने श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस बार यमुनोत्री में 6.44 लाख, गंगोत्री में 7.58 लाख, केदारनाथ में 17.68 लाख और बद्रीनाथ में 16.52 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए.
कमल नयन सिलोड़ी