शिवपाल यादव ने बेटे के लिए की थी ये मांग, अखिलेश की ना के बाद बिगड़ी बात!

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच रिश्तों में दरार पड़ गई है. शिवपाल यादव अपने बेटे आदित्य यादव को इटावा की जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ाना चाहते थे, लेकिन अखिलेश यादव राजी नहीं हुए. ऐसे में आदित्य यादव का सियासी भविष्य अभी भी मझधार में फंसा हुआ है.

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शिवपाल यादव और आदित्य यादव शिवपाल यादव और आदित्य यादव

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली ,
  • 25 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 1:05 PM IST
  • शिवपाल यादव ने अखिलेश के खिलाफ खोल रखा मोर्चा
  • शिवपाल अपने बेटे आदित्य को चुनाव लड़ना चाहते थे

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद से ही सपा में घमासान छिड़ा हुआ है. सपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने शिवपाल सिंह यादव ने इन दिनों पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. अखिलेश से शिवपाल यूं ही नाराज नहीं हैं बल्कि अपने बेटे आदित्य यादव के सियासी भविष्य को लेकर भी वो चिंतित हैं. शिवपाल अपने बेटे आदित्य यादव को चुनाव लड़ाना चाहते थे, लेकिन अखिलेश यादव के चलते उनका यह अरमान पूरा नहीं हो सका. 

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शिवपाल यादव 2022 के विधानसभा चुनाव में अपने बेटे आदित्य यादव को अपनी परंपरगत सीट जसवंतनगर से चुनाव लड़ने की पूरी तैयार कर ली थी. यह बात उन्होंने एक हिंदी अखबार को दिए इंटरव्यू में कही है. शिवपाल ने इंटरव्यू में बताया कि जब अखिलेश यादव ने मुझे सिर्फ एक टिकट देने का फैसला किया, तो मैंने उन्हें जसवंतनगर सीट से आदित्य यादव को मेरी जगह उतारने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने टिकट देने से मना कर दिया. इसके बाद ही शिवपाल सपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीतकर विधानसभा पहुंचे. 

शिवपाल ने इंटरव्यू में कहा कि सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा है. जब वह (अखिलेश) मेरे घर आए तो मैंने उनसे कहा कि मैं सपा के टिकट पर चुनाव लड़ूंगा न कि गठबंधन सहयोगी के तौर पर. अगर मैं महत्वाकांक्षी होता तो मैं सपा छोड़ देता (जब मुझे एक टिकट दिया गया ), मैं जिस सीट पर चुनाव लड़ा वहां सपा को सबसे ज्यादा वोट मिले थे और मेरी जीत का अंतर सबसे ज्यादा था. और इन सबके बाद मुझे सपा विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया गया. 

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शिवपाल यादव ने विधानसभा चुनाव के दौरान परिवार और यादव समाज के दबाव की वजह से  खून का घूंट पीकर सब कुछ बर्दाश्त कर लिया था, लेकिन अब वो बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं और अपने लिए और बेटे दोनों के लिए नई सियासी संभावनाएं तलाशने में जुट गए हैं. बीजेपी के साथ भी वो नजदीकियां बढ़ा रहे हैं तो दूसरी तरफ सपा की साइकिल को पंचर करने का भी उन्होंने मन बना लिया है, जिसके लिए आजम खान को भी साध रहे हैं. 

चुनाव में साथ आ गए थे शिवपाल

दरअसल, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के कहने पर शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव के साथ गठबंधन कर लिया था. अखिलेश को अपना नेता मानते हुए शिवपाल ने अपनी पार्टी तक को भी दांव पर लगा दिया था. परिवार में एकता के नाम पर शिवपाल सब कुछ सहते रहे, लेकिन सबसे बड़ा झटका तब लगा जब सपा ने उन्हें अपना विधायक मानने से ही इनकार कर दिया और विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया गया. 

शिवपाल यादव ने गठबंधन के तहत सपा के सामने 100 सीटों की डिमांड रखी थी, लेकिन धीरे-धीरे घटकर 35 सीट पर आ गई. इस पर भी बात नहीं बनी तो शिवपाल ने अपनी पार्टी के 25 नेताओं के नामों की सूची अखिलेश को टिकट देने के लिए सौंपी थी. यह कहा था कि जो भी जिताऊ हों, उन्हें टिकट दे दें. सपा ने इनमें से किसी को भी टिकट नहीं दिया, जिसके बाद शिवपाल ने जसवंतनगर सीट पर खुद चुनाव लड़ने के बजाय बेटे आदित्य यादव के लिए टिकट की डिमांड रखी, जिस पर भी अखिलेश सहमत नहीं हुए. 

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शिवपाल यादव जसवंतनगर सीट पर सपा के सिंबल साइकिल पर चुनाव लड़े और जीतकर विधायक बने. परिवार में एकता के नाम पर शिवपाल सब कुछ सहते रहे, लेकिन सबसे बड़ा झटका तब लगा जब सपा ने उन्हें अपना विधायक के तौर पर ट्रीट करने के बजाय सहयोगी दल के तौर पर किया. हालांकि, अखिलेश यादव ने अपने परिवार से शिवपाल को छोड़कर किसी भी सदस्य को इस बार चुनाव में टिकट नहीं दिया था. इसके चलते शिवपाल के अरमानों पर पानी फिर गया था.  

वहीं, अब शिवपाल यादव ने चुनाव के बाद से ही सपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इसी कड़ी में बीजेपी के नेताओं से लेकर सीएम योगी तक से मुलाकात कर रहे हैं. दूसरी तरफ आजम खान की नाराजगी को भी कैश कराने के मूड में हैं. इसी के चलते शिवपाल ने सीतापुर जेल में जाकर आजम खान से आधे घंटे तक मुलाकात की और उसके बाद अखिलेश से लेकर मुलायम सिंह तक को निशाने पर लिया. शिवपाल ने कहा कि आजम खान की रिहाई के लिए सपा ने किसी तरह का कोई प्रयास नहीं किया और न ही कोई संघर्ष किया. आजम खान के उत्पीड़न के खिलाफ  लोकसभा और राज्यसभा में भी सपा ने कोई आवाज नहीं उठाई. 

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आदित्य यादव अपने पिता शिवपाल यादव के सियासी वारिस माने जाते हैं. आदित्य यादव इटावा जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष 28 सितंबर 2021 में बने हैं. जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष के तौर पर शिवपाल सिंह यादव 1988 में निर्वाचित हुए थे तब से लगातार इस पद पर काबिज बने रहे लेकिन भाजपा सरकार में नए नियम के तहत शिवपाल को 33 साल के बाद इस पद से हटना पड़ा. जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष बनने के साथ ही आदित्य यादव के शिवपाल सिंह यादव के स्थान पर जसवंतनगर विधानसभा से भी चुनाव लड़ने की अटकले लगाई जाने लगी थी. ऐसे में शिवापल ने कोशिश भी की, लेकिन अखिलेश राजी नहीं हुए. 

शिवपाल यादव को बेटे आद‍ित्‍य यादव का उत्तर प्रदेश की सियासत में भव‍िष्‍य सुरक्ष‍ित करना. इसीलिए श‍िवपाल यादव अब अपने बेटे आदित्‍य के ल‍िए संभावनाएं तलाश रहे हैं. माना जाता है इसी कवायद में इन दिनों लगे हुए हैं. ऐसे में शिवपाल अब आदित्य यादव के सियासी भविष्य को सेट करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. देखना हैं कि इस कोशिश में कहां तक सफल होते हैं?

 

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