यूपी विधानसभा चुनाव में एक सीट पर सिमटकर रह गई बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने कहा है कि कांशीराम की पक्की शिष्या हूं. राष्ट्रपति पद कभी स्वीकार नहीं करूंगी. उन्होंने ये भी कहा है कि राष्ट्रपति बनना तो दूर की बात, मैं ये सपने में भी नहीं सोच सकती. मायावती ने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ ही विपक्षी समाजवादी पार्टी पर भी हमला बोला है.
मायावती ने कहा है कि बीजेपी के लोग जानते हैं कि बहुत पहले कांशीराम को राष्ट्रपति बनने का प्रस्ताव मिला था जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस की ओर से हमारे समर्थकों के बीच भ्रामक प्रचार किया गया. इन लोगों ने हमारे समर्थकों के बीच साजिश के तहत इस तरह का प्रचार किया कि अगर बसपा की सरकार नहीं बनी तो हम आपकी बहनजी को राष्ट्रपति बना देंगे. आप बीजेपी को सत्ता में आने दें.
मायावती ने कहा है कि हम जानते हैं कि ये हमारी पार्टी का अंत होगा, ऐसे में हम इस तरह के पद को कैसे स्वीकार कर सकते हैं. मैं बसपा के प्रत्येक पदाधिकारी को ये स्पष्ट करना चाहती हूं कि पार्टी और आंदोलन के हित में मैं इस तरह के किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करूंगी. बीजेपी या अन्य दलों की ओर से हमारे समर्थकों को गुमराह नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने साथ ही ये संकल्प भी व्यक्त किया कि अपने जीवन का हर पल पार्टी को मजबूत करने में लगाना है. समर्थक निराश न हों.
बसपा के प्रदेश कार्यालय में बैठक के दौरान पार्टी प्रमुख ने ये आरोप भी लगाया कि बीजेपी ने गरीबों को रोजगार देने की बजाय मुफ्त राशन देकर उन्हें लाचार और गुलाम बना दिया. दलित समुदाय की अन्य जातियों को भी इन पार्टियों के हिंदुत्व से बाहर लाकर बसपा के साथ जोड़ना है. उन्होंने सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि कई पार्टियों के साथ गठबंधन के बावजूद वे सत्ता से दूर हैं. सपा यहां अब कभी सत्ता में नहीं आ सकती और न ही बीजेपी को सत्ता में आने से रोक सकती है.
सपा को वोट देकर पछता रहे मुसलमान
मायावती ने दावा किया कि सपा को वोट देने के बाद मुसलमान पछता रहे हैं. मुसलमानों को ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए जिससे बीजेपी को और मजबूती मिले. मायावती ने बसपा के 2007 मॉडल का जिक्र किया और कहा कि पार्टी को सत्ता में लाने के लिए सभी जातिवादी, पूंजीवादी और सामंती ताकतों से टकराव के लिए हम तैयार हैं.
कुमार अभिषेक