AIIMS में नर्सिंग कैडर में महिलाओं के लिए 80% आरक्षण, मेल नर्स बोले- पुरुष विरोधी रिजर्वेशन खत्म हो

अखिल भारतीय बेरोजगार नर्सेज संघर्ष समिति से जुड़े विकास बताते हैं कि सरकार की इस आरक्षण नीति के खिलाफ एक बार फिर ट्विटर पर #justice for male nurse's #save male nurses कैंपेन शुरू किया गया है. ताकि पुरुष विरोधी इस आरक्षण को खत्म किया जाए. 

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सुशांत मेहरा

  • जयपुर,
  • 14 जून 2021,
  • अपडेटेड 9:32 PM IST
  • मेल नर्स ने कहा,'पुरुष विरोधी आरक्षण खत्म हो'
  • AIIMS में महिलाओं को 80% आरक्षण

कोरोना महामारी के बीच एम्स में मंगलवार को होने वाली सेंट्रल इंस्टिट्यूट बॉडी (CIB) की बैठक से पहले नर्सिंग स्टाफ का मुद्दा एक बार फिर गरमाने लगा है. देश भर की मेल नर्सिंग स्टाफ ने देश के सबसे बड़े इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस यानी एम्स (AIIMS) में नर्सिंग कैडर में महिलाओं के लिए 80 प्रतिशत आरक्षण के मुद्दे को जोरों से उठाना शुरू कर दिया है. 

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सुनील सुमन, पिछले 1 साल से राजस्थान सरकार के अंतर्गत सरकारी हॉस्पिटल में बतौर कमिटी हेल्थ अफसर के पद पर काम कर रहे हैं. सुनील भी चाहते हैं कि उनको ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में जगह मिल सके. पिछले साल सितंबर 2020 में नोर्सेट (NoRcet) का एग्जाम में भी सुनील ने 5000 रैंक हासिल की थी. लेकिन एम्स में 80% नर्सिंग फीमेल कोटा होने के चलते सुनील का सपना साकार होता नजर नहीं आ रहा है.

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वहीं नागौर राजस्थान के रहने वाले विकास डूकिया पिछले साल नोर्सेट एग्जाम को दे चुके हैं. विकास की 3000 रैंक आई थी, लेकिन बावजूद इसके विकास का एम्स नर्सिंग स्टाफ में सेलेक्शन नहीं हो पाया. विकास बताते हैं इसके पीछे वजह फीमेल नर्सिंग स्टाफ आरक्षण है. एलिजिबिलिटी के मुताबिक विकास फीमेल नर्सिंग स्टाफ से कहीं ज्यादा एजुकेटेड हैं, लेकिन बावजूद इसके विकास का सेलेक्शन नहीं हो पा रहा है. 

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विकास बताते हैं कि अगर फीमेल कैंडिडेट की 7000 रैंक भी है तब भी उनको आसानी से एम्स नर्सिंग स्टाफ में जगह मिल रही है जिसके कारण विकास राजस्थान के नागौर से किसी और एक जैसी बड़ी संस्था में काम नहीं कर पा रहे हैं. विकास कहते हैं कि कम तजुर्बेकार नर्सिंग स्टाफ होने के कारण जो अस्पताल में मरीज भर्ती होते हैं उनकी केयर पर भी असर पड़ता है यह सरकार को समझना चाहिए. 

नर्सिंग स्टाफ इस मामले को लेकर कई बार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से मुलाकात भी कर चुके हैं और मेमोरेंडम भी सौंप चुके हैं. बावजूद इसके अभी तक इस पर कोई जवाब नहीं आया है.  अखिल भारतीय बेरोजगार नर्सेज संघर्ष समिति से जुड़े विकास बताते हैं कि सरकार की इस आरक्षण नीति के खिलाफ एक बार फिर ट्विटर पर #justice for male nurse's #save male nurses कैंपेन शुरू किया गया है. ताकि पुरुष विरोधी इस आरक्षण को खत्म किया जाए. 

बता दें कि हर साल ऑल ओवर इंडिया की एम्स में 4629 नर्सिंग स्टाफ की वैकेंसी निकाली जाती है. जिनमें लगभग 1 लाख स्टूडेंट्स भाग लेते हैं. आंकड़ों के मुताबिक लगभग 60 से 70 फ़ीसदी मेल कैंडिडेट अप्लाई करते हैं और 40 से 30 प्रतिशत फीमेल, नर्सिंग स्टाफ के लिए अप्लाई करती हैं. भारत सरकार के हेल्थ मिनिस्ट्री की यह परमानेंट पोस्ट है जिसमें लगभग 78000 हजार रुपए सैलरी मिलती है.
 

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