पंजाब में जिला परिषद और ब्लॉक समितियों के चुनाव हो रहे हैं. पंचायत चुनाव के लिए 14 दिसंबर को मतदान है, जिसके लिए राजनीतिक दलों ने अपने-अपने समर्थकों को मैदान में उतार रखा है. इस चुनाव के बाद सीधे विधानसभा चुनाव होंगे, जिसके चलते इसे 2027 का सेमीफाइनल माना जा रहा है. ऐसे में आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस, बीजेपी और अकाली दल की साख दांव पर लगी है.
राज्य के 23 जिला परिषद और 154 ब्लॉक समितियों के लिए ये चुनाव होंगे. 23 जिला परिषद के लिए 357 जिला पंचायत सदस्यों के लिए चुनाव हो रहे हैं और 154 ब्लॉक के लिए 2863 क्षेत्र पंचायत सदस्य सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. जिला पंचायत सदस्य ही जिला परिषद अध्यक्ष का चुनाव करेंगे. ऐसे ही ब्लॉक समिति के 2863 सदस्य 154 ब्लॉक प्रमुख का चुनाव करेंगे.
पंजाब में जिला और ब्लॉक समिति के चुनाव
पंजाब के स्थानीय निकाय चुनाव के तहत जिला परिषद और ब्लॉक समिति के लिए चुनाव हो रहे हैं. निकाय चुनाव की 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं.
छह महीने की देरी के बाद जिला परिषद की 357 और पंचायत समिति की 2863 सीटों पर 14 दिसंबर को चुनाव होने जा रहे हैं, जिससे गांवों का विकास अब पटरी पर लौटने की उम्मीद है. इसकी वजह यह है कि गांव को पंचायत और जिला परिषद में उचित प्रतिनिधित्व मिलेगा. इस चुनाव के साथ ही गांवों के विकास को लेकर एक बार फिर से राजनीति गरमाई गई है.
2027 का सेमीफाइनल माना जा रहा है?
जिला चुनाव पहले ही देरी से हो रहे हैं, क्योंकि यह चुनाव मई 2025 में होने थे. पंचायत समिति के लिए 8098 और जिला परिषद के लिए 1249 उम्मीदवार मैदान में हैं. जिला पंचायत चुनाव को 2027 के विधानसभा चुनाव का रिहर्सल माना जा रहा है.
जिला पंचायत और ब्लॉक समिति के चुनाव को 2027 का सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि पंचायत चुनाव के बाद सीधे विधानसभा चुनाव होने हैं. पंजाब की दो तिहाई विधानसभा सीटें ग्रामीण इलाके से आती हैं, जहां पर पंचायत चुनाव होते हैं.
राजनीतिक दल जिला और ब्लॉक पंचायत चुनाव के जरिए अपनी सियासी ताकत का आकलन करते हैं. पंजाब में औसतन चार से छह जिला पंचायत सदस्यों को मिलाकर विधानसभा का एक क्षेत्र हो जाता है. यही वजह है कि सभी दल अपनी ताकत का अंदाजा लगाना चाहते हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो जिला पंचायत के सदस्यों को मिलने वाले वोट का आधार बनाकर राजनीतिक दलों को इस बात का यह एहसास होता है कि वो कितने पानी में हैं.
गांव के सियासी नब्ज समझने का दांव
पंचायत चुनाव के आधार पर वोटों के समीकरण को दुरुस्त करने की कवायद करते हैं. सियासी दल ये भी समझते हैं और आकलन करते हैं कि क्षेत्रवार और जातिवार के आधार पर आगे कैसी रणनीति बनानी है. पंजाब पंचायत चुनाव के आधार पर 2027 के विधानसभा चुनाव की सियासी जमीन की थाह ले रही है, जिसके लिए पूरी ताकत झोंक रखी है.
2027 विधानसभा चुनाव से पहले सरकार के सामने गांवों की तस्वीर बदलने की बड़ी चुनौती है, क्योंकि समय बहुत कम है. पंजाब की सियासत ही गांव से ही तय होती है, जिसके लिए पंजाब का जिला परिषद और ब्लॉक समिति का चुनाव काफी अहम है. इसीलिए सभी दलों ने अपनी-अपनी ताकत झोंक रखी है.
किसके लिए कितना अहम निकाय चुनाव?
पंजाब का जिला परिषद और ब्लॉक समिति का चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए जितना अहम है, उससे ज्यादा कांग्रेस, बीजेपी और अकाली दल के लिए अहमियत रखता है. आम आदमी पार्टी जिला और ब्लॉक समिति पर अपना कब्जा जमाकर बताना चाहती है कि उसकी सियासी पकड़ पंजाब में अभी भी बरकरार है. वहीं, विपक्ष का कहना है कि चुनाव के बाद पंचायत और जिला परिषद के चुनाव में भी आम आदमी पार्टी सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर रही है.
आम आदमी पार्टी से लेकर बीजेपी, कांग्रेस और अकाली दल ने अपने-अपने उम्मीदवार उतार रखे हैं. कांग्रेस पंचायत चुनाव के जरिए 2027 में सत्ता में अपनी वापसी की आधारशिला रखना चाहती है तो अकाली दल और बीजेपी ग्रामीण इलाके में अपनी राजनीतिक पकड़ की थाह लेना चाहती हैं. इसीलिए पंचायत चुनाव सभी दलों की नाक का सवाल बन गया है.
कुबूल अहमद