रूस-यूक्रेन युद्ध को तीन साल से ज्यादा हो चुके हैं और अब इसमें भारत के युवक भी फंसते जा रहे हैं. पंजाब से दर्जनों युवा एजेंटों के जाल में फंसकर रूस पहुंच गए, जहां उन्हें छात्र या विज़िटर वीज़ा पर भेजकर सीधे आर्मी कैंपों में भर्ती कर दिया गया. बिना प्रशिक्षण और बिना तैयारी के इन युवाओं को हथियार थमा कर मोर्चे पर भेजा जा रहा है.
परिवारों का कहना है कि बार-बार शिकायत के बावजूद अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई. कई वीडियो जारी कर युवाओं ने पीएम मोदी और केंद्र सरकार से मदद की अपील की है.
आजतक के साथ एक वीडियो कॉल में, जालंधर के गुरसेवक सिंह ने बताया कि कैसे उन्हें और उनके 14 अन्य लोगों को रूसी सेना में भर्ती होने के लिए गुमराह किया गया.
स्टूडेंट वीजा पर पहुंचे और सीधे थमा दी बंदूक
गुरसेवक सिंह ने कहा, "हम विजिटर वीज़ा पर रूस की यात्रा पर फंसे हुए हैं. हमें बंदूकें थमा दी गई हैं और कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया है. हमारे पास खाने के लिए भी खाना नहीं है लेकिन अब समय निकलता जा रहा है."
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वहीं एक अन्य शख्स ने बताया "हम 15 में से पांच की मौत हो गई है. आठ को पहले ही अग्रिम मोर्चे पर भेज दिया गया है, और अब हममें से छह को तैनाती के लिए तैयार किया जा रहा है. हम स्टूडेंट वीजा पर यहां आए थे, लेकिन बिना किसी प्रशिक्षण के हमें सेना में भर्ती कर लिया गया.हम मोदी सरकार से हमें निकालने का अनुरोध करते हैं."
युवाओं का दावा है कि उन्हें विदेश में नौकरी दिलाने का वादा किया गया था, लेकिन इसके बजाय उन्हें सैन्य शिविरों में फंसा दिया गया और लड़ने के लिए भेज दिया गया. उन्होंने वीडियो जारी कर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है. परिवारों का कहना है कि भारतीय दूतावास को सूचित किया गया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
ये सभी युवक पिछले छह महीनों में मास्को पहुंचे थे और वर्तमान में डोनेट्स्क क्षेत्र के सेलिडोवे शहर में फंसे हैं जहां नवंबर 2024 से रूस का कब्जा है.
अपनों को खोने का दर्द
इसी बीच, कई परिवार अपने प्रियजनों के शव तक के लिए संघर्ष कर रहे हैं. तेजपाल सिंह की पत्नी परमिंदर कौर दो महीने तक अपने पति से संपर्क में थीं, लेकिन मार्च 2024 में उन्हें एक अनजान नंबर से उनकी मौत की खबर मिली.
बाद में मॉस्को में भारतीय दूतावास ने इसकी पुष्टि की. परमिंदर ने बताया कि डेढ़ साल के संघर्ष के बाद भी उनके पति का शव नहीं मिल पाया है. उन्होंने कहा, "यह एक नौकरी नहीं, बल्कि धोखा था. बहुत से युवा अभी भी वहां फंसे हुए हैं."
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प्रीतपाल सिंह के भतीजे गुरमेल सिंह दो साल पहले एक एजेंट को 1 लाख रुपये देकर चले गए थे, जिसने विदेश में कूरियर का काम दिलाने का वादा किया था. प्रीतपाल ने कहा, "उन्हें बस एक ही वेतन मिला. उसके बाद कुछ नहीं. हमें नहीं पता कि वह ज़िंदा हैं या मर गए. हम सरकार से उन्हें वापस लाने की अपील करते हैं."
जगदीप कुमार, मनदीप कुमार और गुरमेल सिंह (जिनका बेटा बुधराम सिंह रूस में फंसा हुआ है) के परिवारों का कहना है कि उन्हें दूतावास, केंद्र सरकार या पंजाब सरकार से कोई मदद नहीं मिली है. एक परिवार के सदस्य ने बताया, "मुझे एजेंट के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने में ही सात महीने लग गए. स्थानीय एसएचओ ने हमें धमकाया भी."
विदेश मंत्रालय की अपील
मामले को लेकर विदेश मंत्रालय (MEA) ने मॉस्को और दिल्ली दोनों जगहों पर रूसी अधिकारियों से बात की है. मंत्रालय ने एक बार फिर सभी भारतीय नागरिकों से रूसी सेना में शामिल होने के किसी भी प्रस्ताव से दूर रहने की अपील की है, क्योंकि यह "खतरनाक" है.
जिन युवाओं को रूस भेजा गया, उन्हें पहले बताया गया था कि उन्हें इटली ले जाया जा रहा है, लेकिन उन्हें "डंकी रूट" के जरिए रूस भेज दिया गया. एजेंट ने प्रत्येक युवक 40 लाख रुपये दिए. जालंधर के विधायक और पूर्व हॉकी कप्तान परगट सिंह ने इस मुद्दे को बार-बार उठाया है और मांग की है कि केंद्र सरकार तुरंत कदम उठाए और एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे.
कमलजीत संधू