उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया आधिकारिक रूप से शुरू हो चुकी है. चुनाव आयोग ने रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति कर दी है. इसके साथ ही एनडीए, खासतौर पर बीजेपी अब उम्मीदवार के चयन पर विचार-विमर्श शुरू करेगी. इस बीच संकेत हैं कि विपक्ष भी मुकाबले में कूदने की तैयारी में है.
लोकसभा और राज्यसभा के कुल 782 सांसदों वाले इलेक्टोरल कॉलेज में एनडीए के पास करीब 425 सांसदों का समर्थन है. ऐसे में संख्या के लिहाज से एनडीए उम्मीदवार की जीत लगभग तय मानी जा रही है. यही वजह है कि उप राष्ट्रपति पद को लेकर सत्ता पक्ष पूरी रणनीतिक बढ़त के साथ आगे बढ़ रहा है.
दरअसल, जगदीप धनखड़ ने संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद यह पद रिक्त हो गया है. उपसभापति हरिवंश फिलहाल राज्यसभा की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, बीजेपी की कोर टीम ने भले ही अब तक औपचारिक चर्चा शुरू नहीं की है, लेकिन पार्टी और उसके सहयोगियों के बीच यह स्पष्ट राय बनती दिख रही है कि इस बार 'धनखड़ जैसा प्रयोग' नहीं दोहराया जाएगा. संगठन से जुड़े, अनुभवी और राजनीतिक रूप से भरोसेमंद चेहरे को प्राथमिकता दी जा सकती है.
धनखड़ ने 1991 में जनता दल से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. बाद में वे कांग्रेस से जुड़े और फिर बीजेपी में शामिल हुए. हालांकि सक्रिय राजनीति में उनकी भागीदारी सीमित रही. सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में काम करते हुए उन्होंने बीजेपी का ध्यान खींचा और 2019 में पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किए गए. इसके बाद 2022 में वे एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनाए गए.
राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल ममता बनर्जी सरकार से लगातार टकराव के चलते सुर्खियों में रहा. उपराष्ट्रपति बनने के बाद भी उनकी मुखर और असामान्य कार्यशैली चर्चा में रही, लेकिन यही शैली धीरे-धीरे केंद्र सरकार के साथ उनके रिश्तों में खटास का कारण बन गई.
धनखड़ ने कब दिया इस्तीफा?
21 जुलाई को उन्होंने विपक्ष द्वारा लाए गए जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने संबंधी नोटिस को स्वीकार कर लिया. इसे लेकर सत्ता पक्ष में नाराजगी देखी गई और लोकसभा में चल रही द्विदलीय सहमति की कोशिशें लगभग पटरी से उतर गईं. इसके कुछ ही घंटे बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया.
बीजेपी किसे बनाएगी उम्मीदवार?
बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के कई नेताओं का मानना है कि इस बार पार्टी पारंपरिक और राजनीतिक रूप से भरोसेमंद उम्मीदवार को सामने लाएगी. हालांकि बीजेपी अपने किसी वरिष्ठ नेता को नामित कर सकती है. जेडीयू सांसद हरिवंश का नाम भी संभावित उम्मीदवारों में चर्चा में है. राज्यसभा के उपसभापति के रूप में सात साल के कार्यकाल में उन्होंने सरकार के साथ अच्छा तालमेल कायम किया है.
गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं और संसद की कार्यवाही को सुचारु रूप से संचालित करने के साथ-साथ सरकार के विधायी एजेंडे को दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
सहयोगी दल को भी मिला प्रतिनिधित्व
अब तक बीजेपी नीत केंद्र सरकार ने प्रमुख संवैधानिक पदों पर सहयोगी दलों को अपेक्षाकृत कम प्रतिनिधित्व दिया है. हाल ही में टीडीपी नेता गजपति राजू को राज्यपाल बनाए जाने को अपवाद के तौर पर देखा जा रहा है.
एक बीजेपी नेता का कहना है कि जब पार्टी के भीतर ही बातचीत शुरू नहीं हुई है तो संभावित नामों पर अटकलें लगाना बेमानी है. लेकिन यह तय है कि धनखड़ के कार्यकाल से मिले झटके भविष्य के फैसले को प्रभावित करेंगे.
उधर, बिहार में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले साल पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और असम जैसे बड़े राज्यों में चुनावों को देखते हुए सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरण भी उम्मीदवार चयन में अहम भूमिका निभा सकते हैं.
विपक्ष की ओर से भी संकेत दिए गए हैं कि वो चुनाव में उतरने को तैयार है. भले ही नतीजा कुछ भी हो, लेकिन विपक्ष एक राजनीतिक संदेश देना चाहता है. 2022 में भी विपक्ष ने मारग्रेट अल्वा को उम्मीदवार बनाकर एनडीए प्रत्याशी धनखड़ के खिलाफ चुनाव लड़ा था.
चुनाव आयोग ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर बताया कि कानून एवं न्याय मंत्रालय से परामर्श और राज्यसभा के उपसभापति की सहमति के बाद राज्यसभा सचिवालय के महासचिव पीसी मोदी को उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया गया है. इसके साथ ही गरिमा जैन (संयुक्त सचिव, राज्यसभा सचिवालय) और विजय कुमार (निदेशक, राज्यसभा सचिवालय) को सहायक रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया गया है.
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