सिद्धारमैया कर्नाटक में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड अपने नाम करना चाहते हैं, लेकिन इस राह में सबसे बड़ी सियासी अड़चन ढाई साल वाला फ़ॉर्मूला है. नवंबर में सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बने ढाई साल पूरे हो रहे हैं, जिसके चलते अगले सीएम के लिए अटकलें शुरू हो गई हैं.
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री पद का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है, लेकिन सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र सिद्धारमैया ने नए सीएम पद के लिए सतीश जारकीहोली का नाम पेश किया है.
यतींद्र ने कहा कि उनके पिता (सिद्धारमैया) अपने राजनीतिक जीवन के अंतिम चरण में हैं और अब उन्हें जारकीहोली जैसे युवा नेता को मार्गदर्शन देने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सतीश जारकीहोली कौन हैं, जिन्हें सिद्धारमैया की जगह और डीके शिवकुमार के विकल्प के तौर पर आगे बढ़ाया गया है.
शिवकुमार की जगह जारकीहोली
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र सिद्धारमैया ने बुधवार को बेलगावी के रायबाग में एक कार्यक्रम के दौरान सतीश जारकीहोली को कर्नाटक का अगला सीएम बताया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को कर्नाटक में एक ऐसे नेता की ज़रूरत है जो वैचारिक रूप से प्रगतिशील सोच रखता हो और पार्टी का मार्गदर्शन व नेतृत्व कर सके.
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यतींद्र ने कहा कि इस दौर में कांग्रेस के सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्ध नेता मिलना मुश्किल है, लेकिन सतीश जारकीहोली पूरी प्रतिबद्धता के साथ अपना काम कर रहे हैं। उन्हें ऐसा करते रहना चाहिएय हमें उम्मीद है कि सतीश जारकीहोली यह ज़िम्मेदारी संभालेंगे, क्योंकि वह पार्टी की विचारधारा के प्रति समर्पित और प्रगतिशील सोच रखने वाले नेता हैं.
सिद्धारमैया के बेटे का यह बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं. कांग्रेस के कई विधायक डीके शिवकुमार को सीएम बनाने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं. ऐसे में सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र ने अपने पिता के करीबी सतीश जारकीहोली का नाम कर्नाटक में कांग्रेस के भविष्य के नेता के तौर पर आगे बढ़ा दिया है.
सतीश जारकीहोली ने कहा कि कुछ विधायकों ने नेतृत्व परिवर्तन की संभावना पर चर्चा की है, लेकिन उनका मानना है कि पार्टी का एक छोटा सा हिस्सा ही ऐसी चर्चाओं में शामिल है. जारकीहोली ने सिद्धारमैया के प्रति अपना समर्थन दोहराया और कहा कि मुख्यमंत्री को अधिकांश विधायकों का समर्थन प्राप्त है और पार्टी आलाकमान की ओर से इस्तीफ़े का कोई निर्देश नहीं आया है.
कौन हैं सतीश जारकीहोली
सतीश जारकीहोली कर्नाटक के दिग्गज कांग्रेसी नेता हैं और बेलगावी के इलाके में उनकी सियासी तूती बोलती है. सतीश जारकीहोली का जन्म 1 जून 1962 को गोगक गाँव में हुआ, उनके पिता लक्ष्मण राव गन्ना किसान थे. उन्होंने सरकारी स्कूल से शुरुआती शिक्षा हासिल की और उसके बाद एमएसी किया. इसके बाद वह अपने पिता के साथ कारोबार में जुड़ गए.
जारकीहोली परिवार को बेलगावी जिले में 'साहूकार' कहा जाता है. जारकीहोली भाइयों का उत्तरी कर्नाटक और पड़ोसी महाराष्ट्र के इलाके में चीनी और शराब के क्षेत्र में बड़ा निवेश बताया जाता है. चीनी कारोबार से लेकर शराब तक के कारोबार में जारकीहोली परिवार का दबदबा है, खासकर उत्तरी कर्नाटक इलाके में है.
कांग्रेस का दलित चेहरा हैं?
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी सहयोगी माने जाने वाले लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली वाल्मीकि समुदाय से आते हैं और अनुसूचित जाति के प्रबल नेता रहे हैं. राज्य में दलित समुदाय की बड़ी आबादी है। उन्हें अहिंदा समूह का भी हिस्सा माना जाता है, जो अल्पसंख्यकों, पिछड़े वर्गों और दलितों का एक गठबंधन है, जिसे सिद्धारमैया लीड करते हैं। दलित समाज से होने के चलते सतीश कांग्रेस की राजनीति में फिट बैठते हैं.
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जारकीहोली परिवार का वर्चस्व
जारकीहोली परिवार कर्नाटक की सियासत में अपना एक मुकाम रखता है. जारकीहोली पांच सगे भाइयों में से एक हैं, जिनमें से चार सक्रिय राजनीति में हैं. उनमें से दो भाई रमेश और बालचंद्र जारकीहोली बीजेपी में हैं तो दो भाई लखन और सतीश जारकीहोली कांग्रेस में हैं. पांचवें भाई भीमाशी हैं, जिन्हें सियासी दबंगई के लिए जाना जाता है.
बेलगावी की सियासत इन्हीं पांचों भाइयों के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है, जिसके चलते कोई दूसरा नेता अपनी राजनीतिक पैठ नहीं जमा पा रहा है. शराब के ठेकेदार से नेता बनने की कहानी जारकीहोली परिवार के पांच भाई के पिता का नाम आर लक्ष्मणराव जारकीहोली है. जारकीहोली राज्य के प्रभावशाली वाल्मीकि समाज से आते हैं, जो दलित समुदाय में आता है.
सियासत में ऐसे आया जारकीहोली परिवार
जारकीहोली परिवार में सबसे पहले भाई रमेश जारकीहोली ने राजनीति में कदम रखा. रमेश जारकीहोली पहले कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर 1999 में पहली बार विधायक बने, लेकिन अब बीजेपी में हैं। सतीश और बालचंद्र जारकीहोली ने अपनी सियासी पारी का आगाज़ जेडीएस के साथ किया. इसके बाद दोनों भाई जेडीएस के टिकट पर चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे.
साल 2008 में सतीश जारकीहोली जेडीएस से कांग्रेस में शामिल हो गए और बालचंद्र जारकीहोली 2008 में जेडीएस से बीजेपी में आ गए. रमेश जारकीहोली ने 2019 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में एंट्री कर ली। इस तरह से जारकीहोली परिवार दो सियासी दलों के बीच बंटा हुआ है.
जारकीहोली का शिवकुमार से अदावत
माना जाता है कि जारकीहोली ब्रदर्स और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार के बीच हुए सियासी वर्चस्व के चलते एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कर्नाटक गठबंधन सरकार की मुश्किलों की शुरुआत हुई थी, जो 2019 में आखिरकार उसके पतन का कारण बनीय. रमेश जारकीहोली ने ही बग़ावत का बिगुल फूंका था और अपने साथ विधायकों को लेकर बीजेपी के खेमे में खड़े हो गए थे, जिसके बाद सरकार गिर गई।
वहीं, सतीश और लखन जारकीहोली कांग्रेस के साथ हैं। सतीश यमकानमर्दी सीट से कांग्रेस विधायक हैं तो लखन एमएलसी हैं. सतीश जारकीहोली को जेडीएस से कांग्रेस में लाने का काम सिद्धारमैया ने किया था, जिसके चलते उनके बीच आज भी मज़बूत केमिस्ट्री बनी हुई है. सतीश जारकीहोली को पार्टी का वफादार माना जाता है, तो सिद्धारमैया का राइट हैंड भी कहा जाता है.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के वफादार होने के नाते, सतीश जारकीहोली भी मुख्यमंत्री के पुराने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी डीके शिवकुमार के विरोधी भी माने जाते हैं. जारकीहोली फिलहाल राज्य के लोक निर्माण विभाग मंत्री हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का सुझाव है कि कांग्रेस पार्टी सतीश जारकीहोली को सिद्धारमैया के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में पेश कर रही है ताकि डीके शिवकुमार के सियासी मंसूबों पर पानी फेरा जा सके.
कुबूल अहमद