बिहार विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस नेताओं के बीच कर्नाटक में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर फिर सियासी संग्राम छिड़ गया है मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार की बात अब बेंगलुरू से दिल्ली तक पहुंच गई है. दिल्ली दरबार में कर्नाटक के सत्ता की बागडोर का तानाबाना बुना जा रहा है.
डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के करीबी नेताओं ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से दिल्ली में मुलाकात की तो दूसरी तरफ सिद्धारमैया ने अगले साल बजट पेश करने का दावा करके सीएम की कुर्सी पर बने रहने की मंशा जाहिर कर दी है. इस तरह कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की लड़ाई सिद्धारमैया बनाम डीके शिवकुमार की छिड़ गई है.
कांग्रेस ने 2023 में कर्नाटक की चुनावी बाजी जीतने के बाद सीएम की कुर्सी सिद्धारमैया को सौंपी थी तो डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम पद से संतोष करना पड़ा था. कांग्रेस के पावर शेयरिंग के ढाई-ढाई साल वाले फॉर्मूले के सहारे डीके शिवकुमार के समर्थक पार्टी नेतृत्व पर दबाव बनाना शुरू कर दिए हैं.
दिल्ली दरबार में शिवकुमार के समर्थक
कर्नाटक के मुख्यमंत्री के तौर पर सिद्धारमैया का ढाई साल का कार्यकाल गुरुवार को पूरा हुआ है, उसी दिन शिवकुमार के करीबी माने जाने वाले तीन विधायक और एक मंत्री दिल्ली पहुंचे थे. शिवकुमार के इन समर्थक नेताओं ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की. इस मुलाकात के फोटो और वीडियो भी सामने आए तो मुख्यमंत्री पद की चर्चा तेज हो गई है.
शिवकुमार के करीबी नेताओं की खरगे से मुलाकात ऐसे समय हुई है, जब सिद्धारमैया का ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है. ऐसे में कर्नाटक में संभावित नेतृत्व बदलाव की अटकलें लगाई जा रही हैं. इस तरह शिवकुमार खेमे ने खरगे से मुलाकात कर सीएम पद की दावेदारी पर मजबूत दावा ठोक दिया है हालांकि, डीके शिवकुमार का कहना है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि उनके किसी नेता ने दिल्ली में कोई मुलाकात की है.
सिद्धारमैया ने जाहिर किया अपना इरादा
कर्नाटक में कांग्रेस की सत्ता के दो साल छह महीने पूरे होने पर नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें लगाई जा रही हैं. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गुरुवार को तमाम चर्चाओं को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि अगले साल बजट वो पेश करेंगे.
उन्होंने कहा कि 'नवंबर क्रांति' जैसी बातें सिर्फ मीडिया की उपज हैं। कर्नाटक में कोई क्रांति नहीं, कोई भ्रांति नहीं. हमें पांच साल का जनादेश मिला है और उसे हम पूरा करेंगे। इस तरह उन्होंने सीएम की कुर्सी पर पांच साल तक रहने का दावा ठोक दिया है.
सिद्धारमैया की राह में शिवकुमार रोड़ा
सिद्धारमैया कर्नाटक में सबसे ज्यादा लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड अपने नाम करना चाहते हैं, लेकिन इस राह में डीके शिवकुमार सियासी अड़चन बन रहे हैं. मुख्यमंत्री के तौर पर सिद्धारमैया जनवरी 2026 तक बने रहते हैं तो कर्नाटक के सबसे लंबे समय तक सीएम रहने का रिकॉर्ड देवराज अर्स का तोड़ देंगे. इसीलिए पांच साल सीएम रहने की बात सिद्धारमैया कर रहे हैं तो डीके शिवकुमार मौके की नजाकत को समझते हुए अपना दांव चल रहे हैं.
सिद्धारमैया कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं तो डीके शिवकुमार ने कांग्रेस हाईकमान के ऊपर छोड़ रखा है. डीके शिवकुमार धैर्य के साथ अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. वह पार्टी और गांधी परिवार के खिलाफ कोई स्टैंड नहीं लेना चाहते हैं, जिसके लिए बहुत ही सावधानी के साथ हाईकमान की बात बनने की बात कह रहे हैं. अब जब सिद्धारमैया के सीएम रहते हुए ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो गया है तो डीके के समर्थक उनके लिए सियासी लॉबिंग शुरू कर दिए हैं.
सिद्धारमैया और शिवकुमार की ताकत
सिद्धारमैया कांग्रेस की बदली सियासत और ओबीसी की पॉलिटिक्स पर फोकस देखते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पांच साल तक बने रहने का दावा कर रहे हैं. सीएम सिद्धारमैया इस बात को जानते हैं कि ओबीसी वोट की मजबूरी के चलते कांग्रेस का उन्हें हटाना आसान नहीं है. सिद्धारमैया को कांग्रेस ने पिछले दिनों पार्टी के ओबीसी सलाहकार परिषद का सदस्य बनाया है. इसके अलावा कर्नाटक के ओबीसी समुदाय पर उनकी पकड़ है और लोकप्रियता में भी पार्टी के तमाम नेताओं से आगे हैं.
वहीं, शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय के बड़े नेता हैं और पुराने मैसूर क्षेत्र में कांग्रेस की जीत में उनकी भूमिका अहम रही. 2024 के लोकसभा चुनाव में वोक्कालिगा समुदाय का झुकाव बीजेपी की तरफ रहा है। माना जाता है कि यही वजह है कि सिद्धारमैया को अपनी कुर्सी सुरक्षित नजर आ रही है और डीके शिवकुमार को कांग्रेस नेतृत्व की चुप्पी बेचैन कर रही है. डीके की अपनी सियासी पकड़ है और वह संगठन के मजबूत नेता हैं। कांग्रेस के संकट मोचक चेहरा माने जाते हैं.
सिद्धारमैया के ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद पार्टी के एक अलग कार्यक्रम में डीके शिवकुमार ने कहा, 'मैं इस पद (पार्टी अध्यक्ष) पर स्थायी रूप से नहीं रह सकता. साढ़े पांच साल हो चुके हैं और मार्च में छह साल हो जाएंगे.'
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मैं एक मिसाल कायम करने की कोशिश कर रहा हूं। कोई भी स्थायी नहीं हो सकता. अगले मुख्यमंत्री के रूप में अपने नाम का ऐलान करने वाले नारों के बीच अपने समर्थकों से कहा कि 'चिंता मत करो, मैं लाइन में पहले नंबर पर हूं.' अब देखना है कि उनका नंबर कब आता?
कुबूल अहमद