कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आरोपों पर निर्वाचन आयोग (ECI) की ओर से जवाब आया है. दरअसल, राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि कर्नाटक में मतदाता सूची से नाम काटने के मामले में चुनाव आयोग जांच में सहयोग नहीं कर रहा और डेटा साझा करने से इनकार कर रहा है. लेकिन निर्वाचन आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि आवश्यक जानकारी पहले ही कर्नाटक CID और पुलिस को उपलब्ध करा दी गई थी.
आयोग के सूत्रों ने बताया कि रिकॉर्ड के मुताबिक, कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) ने 21 फरवरी 2023 को अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए 46-अलंद विधानसभा क्षेत्र (LAC) से जुड़े फर्जी आवेदनों पर एफआईआर दर्ज कराई थी. ईआरओ को फॉर्म-7 में 6,018 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से केवल 24 सही पाए गए जबकि 5,994 आवेदन फर्जी निकले. इन फर्जी आवेदनों को अस्वीकार कर दिया गया था.
चुनाव आयोग ने बताया कि एफआईआर (संख्या 26/2023) अलंद पुलिस स्टेशन, कलबुर्गी जिले में 21 फरवरी 2023 को दर्ज की गई थी. इसके अलावा, 06 सितंबर 2023 को उपलब्ध सभी जानकारी एसपी कलबुर्गी को सौंप दी गई थी. इसमें आपत्तिकर्ताओं का नाम, ईपीआईसी नंबर, मोबाइल नंबर, आईटी माध्यम, आईपी एड्रेस, फॉर्म जमा करने का समय व तारीख और लॉगिन डिटेल्स तक साझा की गई थीं.
सूत्रों के मुताबिक, सीईओ कर्नाटक ने जांच की प्रगति की समीक्षा के लिए पुलिस और साइबर विशेषज्ञों के साथ बैठकें भी आयोजित की थीं और जांच एजेंसी को लगातार दस्तावेज और तकनीकी सहायता मुहैया कराई जा रही है. इस तरह आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि जांच में कोई बाधा नहीं डाली जा रही है, बल्कि सभी आवश्यक जानकारी पहले ही साझा कर दी गई है.
राहुल ने मुख्य चुनाव अधिकारी पर लगाए थे आरोप
बता दें कि राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर वोट चोरों और लोकतंत्र को नष्ट करने वाले लोगों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था. साथ ही कर्नाटक विधानसभा क्षेत्र के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया था कि चुनाव से पहले कांग्रेस समर्थकों के वोट व्यवस्थित रूप से हटाए जा रहे थे.
उन्होंने आगे कहा कि 18 महीनों में 18 बार, कर्नाटक की CID ने इसके लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखा है, और वे इसका जवाब नहीं दे रहे हैं. वे जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं? राहुल गांधी ने कहा, "ज्ञानेश कुमार जी वोट-चोरो की रक्षा कर रहे हैं. यह ब्लैक एंड व्हाइट सबूत है, इसमें कोई भ्रम नहीं है."
उनके आरोपों पर चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया के बाद उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "हमारे अलंद उम्मीदवार द्वारा धोखाधड़ी का पर्दाफाश करने के बाद स्थानीय चुनाव अधिकारी ने एक प्राथमिकी दर्ज की, लेकिन सीआईडी जांच को सीईसी ने रोक दिया है. कर्नाटक सीआईडी ने 18 महीनों में 18 पत्र लिखकर सभी सबूत मांगे हैं, जिन्हें सीईसी ने रोक दिया है."
उन्होंने आरोप लगाया, "कर्नाटक चुनाव आयोग ने जांच का अनुपालन करने के लिए चुनाव आयोग को कई अनुरोध भेजे हैं, लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा अड़चन डाली गई. आईपी एड्रेस, डिवाइस पोर्ट और ओटीपी ट्रेल्स का विवरण रोक दिया गया है. अगर वोटों की यह चोरी पकड़ी नहीं जाती और 6,018 वोट हटा दिए जाते, तो कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव हार सकते थे. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार बहाने बनाना बंद करें. कर्नाटक सीआईडी को सबूत सौंपें. अभी."
ऐश्वर्या पालीवाल / संजय शर्मा