असम के विश्वनाथ जिले की एक अदालत ने एक बेहद संवेदनशील और चर्चित मामले में 10 साल बाद फैसला सुनाया है. यह मामला 2015 में हुए एक बर्बर हत्या का है, जिसमें अंधविश्वास के चलते एक महिला को डायन बताकर न केवल पीटा गया, बल्कि उसका सिर भी धड़ से अलग कर दिया गया था. मंगलवार को बिस्वनाथ के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुमुद बोरुआ ने चार आरोपियों को दोषी मानते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई.
सार्वजनिक अभियोजक जाह्नवी कलिता के मुताबिक, यह हृदयविदारक घटना जुलाई 2015 में बिहाली क्षेत्र के भीमाजुली गांव में हुई थी. गांव के कुछ लोगों ने एक महिला पर जादू-टोना करने का आरोप लगाकर पहले उसे बेहरमी से पीटा, फिर उसका सिर काटकर हत्या कर दी. यही नहीं, इस घटना में कई अन्य लोगों को भी पीटा गया और घायल किया गया.
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इस जघन्य हत्या के बाद पूरे इलाके में जबरदस्त आक्रोश फैल गया था. पुलिस ने इस मामले में 17 आरोपियों को गिरफ्तार किया था और उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी. हालांकि, इनमें से कुछ की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई और कुछ को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया.
अदालत ने गवाहों और सबूतों के आधार पर यह फैसला सुनाया. सुनवाई के दौरान कोर्टरूम में काफी भीड़ मौजूद रही. यह फैसला अंधविश्वास के खिलाफ एक सख्त संदेश देता है कि किसी भी स्थिति में कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं है और अपराध के लिए सख्त सजा दी जाएगी.
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