कुत्ता क्यों कहलाता है वफादार? समझ‍िए- इंसान के साथ द‍िली लगाव के पीछे का साइंस, इस हार्मोन का भी है रोल

कुत्ते की वफादारी सिर्फ उसके स्वभाव की वजह से नहीं, बल्कि आपके और उसके बीच बनने वाले हार्मोनल कनेक्शन की वजह से भी है. यह रिश्ता दिल से भी जुड़ा है और दिमाग के केमिकल्स से भी. जानिए- आज जब हर कोई सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद डॉग लवर्स पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें ये भी सोचना होगा कि आख‍िर कुत्ते इंसान के इतने करीबी और वफादार क्यों होते हैं.

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क्यों कुत्ते इंसान के इतने करीबी होते हैं (Image:AI) क्यों कुत्ते इंसान के इतने करीबी होते हैं (Image:AI)

मानसी मिश्रा

  • नई दिल्ली ,
  • 14 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 5:47 PM IST

हम सभी जानते हैं कि कुत्ता इंसान का सबसे अच्छा दोस्त है. वो हमारी खुशियों में साथ देता है, मुश्किल में ढाल बन जाता है और सबसे बढ़कर, हमें कभी धोखा नहीं देता. लेकिन सवाल ये है कि आखिर कुत्ते में ऐसी वफादारी आती कहां से है? आख‍िर क्यों सभ्यता के पूरे विकास क्रम में कुत्ता सबसे ज्यादा पाला जाने वाला जीव है. वो हमें प्यार से देखता है, प्रेम से लिपटता है तो चेहरे पर अपनेआप मुस्कान तैर जाती है.

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इसके पीछे का जवाब छुपा है हमारे और कुत्ते के शरीर के अंदर निकलने वाले एक खास हार्मोन में. बायोलॉजिकल तौर पर इंसान और कुत्ते में फर्क होने के बावजूद हार्मोन लेवल पर हमारा संबंध एक सा है. कई र‍िसर्च में ये साबित हो चुका है कि अपने मालिक को देखकर कुत्ते के भीतर ऑक्सीटोसिन हार्मोन बनता है. ठीक वैसे ही ये हॉर्मोन इंसानों में भी अपने डॉगी को गले लगाकर मिलता है. यही नहीं आंखों में देखने भी से दोनों का आपसी कनेक्शन मजबूत होता है. आइए इस साइंस के पहलू को भी समझते हैं. 

क्या है ऑक्सीटोसिन यानी ‘लव हार्मोन’ की असली कहानी

ऑक्सीटोसिन को साइंस में 'love hormone' या 'bonding hormone' कहा जाता है. इंसानों में ये वही हार्मोन है जो मां और नवजात शिशु के बीच गहरा लगाव पैदा करता है. यही हार्मोन दोस्ती, रिश्तों और भरोसे की बुनियाद भी मजबूत करता है. पहले यह समझा जाता था कि यह हार्मोन सिर्फ इंसानों या कुछ स्तनधारियों में सामाजिक रिश्तों के लिए जरूरी है, लेकिन वैज्ञानिकों ने खोजा कि इंसान और कुत्ते के बीच भी यही हार्मोन वही भूमिका निभाता है.

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कैसे हुई ये खोज?

साल 2015 में जापान की Azabu University के प्रोफेसर Takefumi Kikusui की टीम ने एक एक्सपेरिमेंट किया. उन्होंने 30 पालतू कुत्तों और उनके मालिकों को एक कमरे में रखा और उनके बीच होने वाले इंटरैक्शन को रिकॉर्ड किया. इसके परिणाम चौंकाने वाले थे. जो कुत्ते अपने मालिक की आंखों में ज्यादा देर तक देखते थे, उनके शरीर में ऑक्सीटोसिन का स्तर औसतन 130% बढ़ा. वहीं, उनके मालिकों में ऑक्सीटोसिन 300% तक बढ़ गया. यह वही केमिकल लूप था, जो मां-बच्चे के बीच बनता है.

ऑक्सीटोसिन स्प्रे वाला टेस्ट

इसी टीम ने एक और एक्सपेरिमेंट किया जिसमें कुत्तों के नाक में ऑक्सीटोसिन स्प्रे किया गया. नतीजा ये हुआ कि कुत्तों ने अपने मालिकों की आंखों में पहले से ज्यादा देर तक देखा, जिससे मालिक में ऑक्सीटोसिन लेवल और भी ज्यादा बढ़ गया. यानी साफ था कि कुत्ते और इंसान, दोनों एक-दूसरे में ऑक्सीटोसिन बढ़ाते हैं और रिश्ता मजबूत होता जाता है.

क्या कहती है यूरोपियन रिसर्च

ऑस्ट्रिया की University of Veterinary Medicine, Vienna और जर्मनी के Max Planck Institute की संयुक्त रिसर्च में यह साबित हुआ कि सिर्फ आंखों में देखना ही नहीं, बल्कि कुत्ते को सहलाना (stroking), उससे बातें करना और रोजाना का साथ भी ऑक्सीटोसिन का स्तर बढ़ाता है. यही वजह है कि समय के साथ कुत्ता हमें अपने झुंड (pack) का हिस्सा मान लेता है और पूरी निष्ठा से जुड़ जाता है.

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क्यों होता है ये असर?

बता दें कि ऑक्सीटोसिन हमारे दिमाग में hypothalamus नाम के हिस्से से बनता है और खून के जरिए पूरे शरीर में फैलता है. ये हमें खुश, सुरक्षित और रिलैक्स महसूस कराता है. जब कुत्ता हमें देखता है, हमारी गंध पहचानता है या हमारे पास आकर बैठता है, तो उसका और हमारा ऑक्सीटोसिन लेवल बढ़ता है. यह बायोलॉजिकल रेस्पॉन्स ही रिश्ते को गहराई देता है.

कुत्ता वफादार क्यों कहलाता है, साइंस कैसे है वजह 

भावनात्मक जुड़ाव- ऑक्सीटोसिन का असर दोनों में भरोसा और प्यार बढ़ाता है.
झुंड वाली प्रवृत्ति- कुत्ते इंसान को अपना लीडर मानकर उसकी सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं.
लंबी याददाश्त- गंध और आवाज़ की पहचान सालों तक याद रहती है.
प्यार का चक्र- जितना हम उन्हें प्यार देंगे, उतना उनका हार्मोन लेवल बढ़ेगा और रिश्ता मजबूत होगा.

कहानी वफादारी की 

इंसान के साथ कुत्ते की वफादारी के हजारों किस्से हैं. अगर आप डॉग लवर हैं तो आपके अनुभव किसी उदाहरण के मोहताज नहीं है. कैसे ये हमारे परिवार का ह‍िस्सा बनकर हमें खुद से प्यार करने पर मजबूर कर देते हैं. इनकी हरेक हरकत चाहे वो शैता‍न‍ियां हों, नखरे हों या प्यार दिखाने का तरीका, किसी के भी द‍िल को छू ले. आइए यहां कुछ ऐसी कहान‍ियां भी बताते हैं जिसमें इनकी वफादारी एक नजीर बन गई. 

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जापान का हाचिको जो 9 साल इंतजार करता रहा 

1920 के दशक में जापान के प्रोफेसर हिदेसाबुरो उएनो का कुत्ता हाचिको हर दिन उन्हें स्टेशन तक छोड़ने जाता और शाम को वापस लेने आता. 1925 में प्रोफेसर का अचानक निधन हो गया, लेकिन हाचिको अगले 9 साल तक रोज उसी समय स्टेशन पहुंचकर उनका इंतजार करता रहा. आज टोक्यो के शिबुया स्टेशन पर हाचिको की कांस्य मूर्ति खड़ी है, जो वफादारी का प्रतीक बन चुकी है.

‘कन्नूर का टॉमी’ जो मालिक की कब्र पर बैठा रहा

केरल के कन्नूर में एक बुजुर्ग महिला के निधन के बाद उसका कुत्ता टॉमी रोजाना चर्च जाकर उसकी कब्र के पास बैठता था. ये सिलसिला हफ्तों नहीं, बल्कि 4 साल तक चला. चर्च के फादर ने खुद इसे देखा और मीडिया में बताया, जिसके बाद यह खबर दुनिया भर में छा गई.

स्कॉटलैंड का ग्रेफ्रायर्स बॉबी जिसने 14 साल की कब्र की रखवाली

एडिनबर्ग, स्कॉटलैंड में पुलिस कॉन्स्टेबल जॉन ग्रे का कुत्ता बॉबी उनके निधन के बाद 14 साल तक उनकी कब्र की रखवाली करता रहा. स्थानीय लोग उसे खाना और पानी देते थे, लेकिन बॉबी कब्र के पास से कहीं नहीं जाता था. आज वहां बॉबी की भी एक मशहूर मूर्ति है.

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