आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने सोमवार को वक्फ संशोधन बिल पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर कड़ी टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय मोदी सरकार पर “सुप्रीम तमाचा” है. इस फैसले के बाद मोदी सरकार का उद्देश्य, वक्फ की जमीनों को अपने पूंजीपति दोस्तों, खासकर अडानी को देने की योजना, अब विफल हो गई है.
संजय सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला संविधान के अनुरूप है और विभिन्न धर्मों के लोगों को मिले अधिकारों के संरक्षण में है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, मोदी सरकार ने विपक्ष की कोई भी सलाह नहीं मानी और गैर-संवैधानिक बिल पर चर्चा कर संसद का समय बर्बाद किया. उन्होंने कहा कि अब यह फैसला बीजेपी का वक्फ संशोधन बिल के बहाने देश में नफरत फैलाने का अवसर भी छीन चुका है.
वक्फ बिल और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
संजय सिंह ने बताया कि उन्होंने वक्फ संशोधन बिल पर बनी कमेटी में भी हिस्सा लिया था. इस कमेटी के चेयरमैन भाजपा के जगदंबिका पाल थे और सभी विपक्षी दलों के सदस्य शामिल थे. सिंह ने कहा कि बिल का मुख्य उद्देश्य नफरत फैलाना और अपने मित्र पूंजीपतियों को वक्फ की जमीनों पर कब्जा दिलाना था. उन्होंने कहा कि बिल में लिखा गया था कि केवल पांच साल तक लगातार मुस्लिम रीति-रिवाज मानने वाले व्यक्ति ही वक्फ को दान दे सकते हैं, जो संविधान की धारा 25 और 26 के खिलाफ है.
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सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान को गलत माना और यह भी तय किया कि अब वक्फ संपत्ति पर निर्णय जिलाधिकारी नहीं करेंगे. केंद्रीय वक्फ बोर्ड में मुस्लिम समुदाय का बहुमत होगा, और अधिकतम चार सदस्य गैर-मुस्लिम हो सकते हैं.
भविष्य की चेतावनी और आलोचना
संजय सिंह ने चेतावनी दी कि ऐसे बिलों के सफल होने से भविष्य में जैन मंदिरों, चर्चों, गुरुद्वारों और अन्य धार्मिक स्थलों की जमीनों पर भी कब्जा करने की कोशिश हो सकती है. उन्होंने मुंबई में 90 साल पुराने जैन मंदिर के टूटने का उदाहरण दिया.
सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर के संविधान के अनुसार है और मोदी सरकार संसद का समय बेवजह बर्बाद कर रही थी.
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