पीएम मोदी ने बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय को कहा-दा तो भड़की TMC

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वंदे मातरम के रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी को 'बंकिम दा' कहे जाने पर तृणमूल कांग्रेस ने सोमवार को आपत्ति जताई, जिसके बाद उन्होंने महान कवि के नाम के साथ 'बाबू' जोड़ दिया. साथ ही पीएम ने सम्मानजनक तरीके से टीएमसी को जवाब देते हुए कहा कि वे उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं.

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टीएमसी की आपत्ति के बाद पीएम ने बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय को बंकिम बाबू कहा. (Photo: ITG) टीएमसी की आपत्ति के बाद पीएम ने बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय को बंकिम बाबू कहा. (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:24 PM IST

लोकसभा में सोमवार को राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूरे होने पर आयोजित विशेष चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तृणमूल कांग्रेस के बीच एक दिलचस्प संवाद हुआ. पीएम मोदी ने 'वंदे मातरम्' के रचयिता बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय को 'बंकिम दा' कहकर संबोधित किया था, जिस पर तृणमूल कांग्रेस ने आपत्ति जताई. इसके बाद प्रधानमंत्री ने तुरंत उन्हें 'बंकिम बाबू' कह कर संबोधित किया.

दरअसल, लोकसभा में चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने पीएम मोदी से अनुरोध किया कि वह बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय को 'बंकिम दा' की बजाय अधिक सम्मानजनक संबोधन 'बंकिम बाबू' से संबोधित करें.

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'मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं'

सौगत रॉय के इस अनुरोध पर पीएम मोदी ने मुस्कुराते हुए तुरंत जवाब दिया, 'ठीक है, मैं बंकिम बाबू कहूंगा. धन्यवाद, मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं.'

इसके बाद पीएम ने सौगत रॉय से पूछा कि अब मैं आपको दादा तो बोल सकता हूं न? या इसमें भी कोई आपत्ति है?  इससे पहले प्रधानमंत्री ने तृणमूल कांग्रेस के सदस्य द्वारा बहस की शुरुआत में कुछ टिप्पणी किए जाने पर रॉय का हालचाल पूछा था.

ये सदन का बड़ा सौभाग्य: पीएम मोदी

संसद में ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदन को संबोधित करते हुए कहा, 'जिस मंत्र ने, जिस जयघोष ने देश के आजादी के आंदोलन को ऊर्जा और प्रेरणा दी थी, त्याग और तपस्या का मार्ग दिखाया था. उस वंदे मातरम् का पुण्य स्मरण करना इस सदन में हम सबका बहुत बड़ा सौभाग्य है.'

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, 'हमारे लिए यह गर्व की बात है कि वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं और हम सभी इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बन रहे हैं.'

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PM ने सुनाया किस्सा

पीएम मोदी ने वंदे मातरम् से जुड़ा किस्सा सुनाते हुए कहा, '20 मई 1906 को बारीसाल (अब बांग्लादेश में है) में वंद मातरम् जुलूस निकाला, जिसमें 10 हजार से ज्‍यादा सड़कों पर उतरे थे. इसमें हिंदू और मुस्लिम समेत सभी धर्म और जातियों के लोगों ने वंदे मातरम् के झंडे हाथ में लेकर सड़कों पर मार्च किया था.'

उन्होंने कहा, 'रंगपुर के एक स्कूल में जब बच्चों ने यह गीत गाया तो अंग्रेजी सरकार ने 200 छात्रों पर 5-5 रुपये का जुर्माना सिर्फ इसलिए लगा दिया कि उन्होंने वंदे मातरम् कहा था. इसके बाद ब्रिटिश हुक्मरानों  ने कई स्कूलों में वंदे मातरम् गाने पर पाबंदी लगा दी थी.'

लोकसभा में चर्चा जारी

वंदे मातरम् पर चर्चा भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इसके ऐतिहासिक महत्व और विरासत को उजागर करने के लिए आयोजित की जा रही है. इस चर्चा के लिए 10 घंटे का समय निर्धारित किया गया है. लोकसभा के बाद मंगलवार को राज्यसभा में भी वंदे मातरम् पर चर्चा होगी, जहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बहस की शुरुआत करेंगे.

बता दें कि सौगात रॉय पश्चिम बंगाल के दमदम निर्वाचन क्षेत्र से पांचवीं बार लोकसभा सदस्य हैं. उनका ये सुझाव और प्रधानमंत्री का सहज जवाब दोनों ही संसदीय शिष्टाचार और सांस्कृतिक सम्मान की भावना को दर्शाता है.

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