पहला 2:25, दूसरा 2:51 बजे... नेपाल में आधे घंटे में भूकंप के दो झटके, पूरा उत्तर भारत हिला

नेपाल में मंगलवार को भूकंप आधे घंटे के भीतर दो बार आया. इन भूकंपों के झटके दिल्ली, लखनऊ, जयपुर, मुरादाबाद समेत पूरे उत्तर प्रदेश में महसूस किए गए. पहला भूकंप दोपहर 2.25 बजे और दूसरा 2.51 बजे आया. भूकंप के झटके इतनी तेज थे कि डर की वजह से लोग घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए. 

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लखनऊ में भूकंप के बाद सड़क पर निकले लोग लखनऊ में भूकंप के बाद सड़क पर निकले लोग

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 3:30 PM IST

नेपाल में मंगलवार को भूकंप आधे घंटे के भीतर दो बार आया. इन भूकंपों के झटके दिल्ली, लखनऊ, जयपुर, मुरादाबाद समेत पूरे उत्तर प्रदेश में महसूस किए गए. पहला भूकंप दोपहर 2.25 बजे और दूसरा 2.51 बजे आया. भूकंप के झटके इतनी तेज थे कि डर की वजह से लोग घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए. 

दिल्ली से लेकर लखनऊ-जयपुर तक... भूकंप से हिली धरती, नेपाल था केंद्र
 

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पहला झटका दोपहर 2.25 बजे आया. इसकी तीव्रता 4.46 थी. इसके ठीक आधे घंटे बाद दोपहर 2.51 बजे भूकंप का एक और झटका आया. जिसकी तीव्रता 6.2 थी. भूकंप का केंद्र नेपाल में था. इसकी गहराई 5 किमी थी. 

 

दिल्ली NCR में भूकंप के तेज झटके, काफी देर तक हिलती रही धरती, तीव्रता 6.2
 


उत्तराखंड के देहरादून में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. यहां लोग भूकंप के बाद दफ्तरों से बाहर निकल आए.

 



अरविंद केजरीवाल ने किया ट्वीट

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, दिल्ली में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं. आशा करता हूं कि आप सभी सुरक्षित होंगे. 

 

 

क्यों आता है भूकंप?

धरती मुख्यत: चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहा जाता है. अब ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. यानि धरती की ऊपरी सतह 7 टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है. ये प्लेटें कभी भी स्थिर नहीं होती, ये लगातार हिलती रहती हैं, जब ये प्लेटें एक दूसरे की तरफ बढ़ती है तो इनमें आपस में टकराव होता है. कई बार ये प्लेटें टूट भी जाती हैं. इनके टकराने से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है जिससे इलाके में हलचल होती है. कई बार ये झटके काफी कम तीव्रता के होते हैं, इसलिए ये महसूस भी नहीं होते. जबकि कई बार इतनी ज्यादा तीव्रता के होते हैं, कि धरती फट तक जाती है. 

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