भारत के दो और नागरिक यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूसी सेना के लिए लड़ते हुए मारे गए हैं, जिससे ऐसी मौतों की संख्या चार हो गई है. विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि भारत ने रूस के साथ इस मामले को दृढ़ता से उठाया है और उसकी सेना के साथ मौजूद सभी भारतीय नागरिकों को वापस भेजने की मांग की है. विदेश मंत्रालय ने रूस से कहा है कि वह अपनी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती पर प्रभावी रोक लगाए और ऐसी गतिविधियां भारत-रूस साझेदारी के अनुरूप नहीं हैं.
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'हमें यह बताते हुए दुख हो रहा है कि रूसी सेना में भर्ती किए गए दो भारतीय नागरिक हाल ही में रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष में मारे गए हैं. हम मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं. मॉस्को में हमारे दूतावास ने रूसी रक्षा मंत्रालय सहित वहां के वरिष्ठ अधिकारियों पर यूक्रेन युद्ध में मारे गए भारतीयों के शवों को शीघ्र वापस भेजने के लिए दबाव डाला है.'
इस साल मार्च में, हैदराबाद निवासी 30 वर्षीय मोहम्मद असफान की रूसी सेना की ओर से यूक्रेन के साथ अग्रिम मोर्चे पर युद्ध लड़ते समय लगी चोटों के कारण मृत्यु हो गई थी. फरवरी में, गुजरात के सूरत के रहने वाले 23 वर्षीय हेमल अश्विनभाई मंगुआ की डोनेट्स्क क्षेत्र में 'सुरक्षा सहायक' के रूप में सेवा करते समय यूक्रेनी हवाई हमले में मृत्यु हो गई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, करीब 200 भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में सुरक्षा सहायक के तौर पर भर्ती किया गया है.
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, 'मॉस्को में भारतीय दूतावास ने रूसी सेना में शामिल सभी भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई और वापसी के लिए क्रमशः नई दिल्ली में रूसी राजदूत और मॉस्को में रूसी अधिकारियों के साथ मामले को दृढ़ता से उठाया है.' विदेश सचिव विनय क्वात्रा के रूसी दूतावास में रूसी राष्ट्रीय दिवस के स्वागत समारोह में भाग लेने के कुछ घंटों बाद विदेश मंत्रालय का यह बयान आया. अधिकारियों के अनुसार, रूसी सेना के साथ सहायक स्टाफ के रूप में काम करने वाले कुल 10 भारतीयों को अब तक रिहा कर दिया गया है और भारत वापस भेज दिया गया है.
सीबीआई ने किया था मानव तस्कर गिरोह का भंडाफोड़
सीबीआई ने इसी साल मार्च में देश भर में सक्रिय मानव तस्करी के बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था, जो कथित तौर पर भारतीय युवाओं को आकर्षक विदेशी नौकरियों के नाम पर रूस-यूक्रेन युद्ध के मोर्चे पर धकेल रहे थे. उन पर दर्जनों भारतीयों को धोखे में रखकर रूस भेजने और उनकी इच्छा के विरुद्ध उन्हें वहां की सेना में भर्ती होने के लिए मजबूर करने का आरोप है.
केंद्रीय जांच एजेंसी ने गत मार्च में इस संबंध में 24x7 आरएएस ओवरसीज फाउंडेशन, केजी मार्ग और इसके निदेशक सुयश मुकुट, ओएसडी ब्रोस ट्रैवल्स एंड वीजा सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई और इसके निदेशक राकेश पांडे, एडवेंचर वीजा सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, चंडीगढ़, पंजाब और इसके निदेशक मंजीत सिंह, बाबा व्लॉग्स ओवरसीज रिक्रूटमेंट सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, दुबई और इसके निदेशक फैसल अब्दुल मुतालिब खान उर्फ बाबा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.
विदेश में नौकरी और मोटी सैलरी के नाम पर धोखाधड़ी
सीबीआई की जांच में पता चला है कि दुबई स्थित फैसल अब्दुल मुतालिब खान ने कथित तौर पर अपने यूट्यूब चैनल का इस्तेमाल भारतीयों को रूसी सेना में सुरक्षा गार्ड या सहायक के रूप में नौकरी दिलाने के नाम पर फंसाने के लिए किया था. वह अपने यूट्यूब चैनल पर भारतीयों को बेहतर जीवन, मोटी तनख्वाह आदि का वादा सपना दिखाकर रूस जाने के लिए राजी करता था, लेकिन नौकरी की प्रकृति का खुलासा नहीं करता. सीबीआई जांच में सामने आया कि फैसल अब्दुल मुतालिब खान ने इच्छुक उम्मीदवारों को आगे की प्रक्रिया के लिए मोहम्मद सूफियान और पूजा का नंबर दिया था. ये दोनों पति-पत्नी हैं.
सीबीआई के मुताबिक उसकी जांच में सामने आया कि मोहम्मद सूफियान और पूजा ने उम्मीदवारों से बाबा व्लॉग्स, सूफियान, मोइनुद्दीन चिप्पा और सादिक चिप्पा के खातों में पैसे जमा करने और कॉस्मो ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड को अपना पासपोर्ट जमा करने के लिए कहा. उन्होंने उम्मीदवारों के लिए इस वादे पर टूरिस्ट वीजा की व्यवस्था की कि इसे वर्क परमिट वीजा में बदल दिया जाएगा. इस दंपति ने उम्मीदवारों को चेन्नई हवाई अड्डे पर पहुंचने के लिए कहा, जहां उनके पासपोर्ट उन्हें सौंप दिए गए. मॉस्को पहुंचने पर उन्हें निजिल जोबी बेनसम और रमेश कुमार पलानीसामी से संपर्क करने के लिए कहा गया.
भारतीयों को टूरिस्ट वीजा पर रूस ले जाकर युद्ध में धकेला
सीबीआई के मुताबिक भारत से नौकरी के लिए रूस जाने वालों को बेनसम और पलानीसामी ने रिसीव किया और उन्हें वहां एक घर में ले जाकर रखा. इन पीड़ितों को धोखे से रूसी सेना के लिए काम करने वाले अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया और उन्हें रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में भेज दिया गया. रूस में, मोइनुद्दीन चिप्पा ने पीड़ितों से उन्हें युद्ध क्षेत्र में न भेजने के लिए पैसे ऐंठने शुरू कर दिए. सीबीआई ने अपनी एफआईआर में कहा है कि धोखे से रूस ले जाए गए भारतीयों को लड़ाकू भूमिकाओं के लिए प्रशिक्षित किया गया और उन्हें रूसी सेना की वर्दी और बैच प्रदान किए गए.
सीबीआई के मुताबिक इन भारतीय नागरिकों को उनकी इच्छा के विरुद्ध युद्ध क्षेत्र में अग्रिम ठिकानों पर तैनात किया गया और उनकी जान को गंभीर खतरे में डाला गया. केंद्रीय जांच एजेंसी रूस में बैठे कथित हवाला ऑपरेटर रमेश कुमार पलानीसामी, मोहम्मद मोइनुद्दीन चिप्पा और संयुक्त अरब अमीरात में रहने वाले फैसल अब्दुल मुतालिब खान को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है, ताकि इस साजिश का पता लगाया जा सके. इसके लिए सीबीआई इंटरपोल से इन तीनों आरोपियों के लिए रेड कॉर्नर नोटिस की मांग करेगी.
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