'ताकत के नशे में चूर हो चुकी है पुलिस', सिक्योरिटी गार्ड की हिरासत में मौत पर मद्रास हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

मद्रास हाईकोर्ट ने 27 साल के मंदिर के सिक्योरिटी गार्ड अजीत कुमार की कस्टोडियल मौत मामले में तमिलनाडु पुलिस की कड़ी निंदा की. अजीत को 27 जून को चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, जहां उस पर पुलिस ने बर्बर अत्याचार किए. पोस्टमार्टम में 44 चोटें पाई गई हैं.

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तमिलनाडु में पुलिस हिरासत में युवक की मौत पर मद्रास हाई कोर्ट की कड़ी टिप्पणी तमिलनाडु में पुलिस हिरासत में युवक की मौत पर मद्रास हाई कोर्ट की कड़ी टिप्पणी

अनघा / प्रमोद माधव

  • चेन्नई,
  • 01 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 6:34 PM IST

Tamil Nadu custodial death: मद्रास हाईकोर्ट ने मंदिर के 27 साल के सिक्योरिटी गार्ड की पुलिस हिरासत में मौत (कस्टोडियल मौत) को लेकर सख्त रुख़ अपनाते हुए तमिलनाडु पुलिस पर कड़ी टिप्पणी की है. पुलिस के बर्बरता पर सवाल खड़ा करते हुए हाईकोर्ट ने कहा, 'ताकत के नशे में चूर हो चुकी है पुलिस' ने क्रूरतापूर्वक अजीत कुमार पर हमला किया, जिसे 27 जून 2025 को मंदिर से आभूषण चोरी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. 

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मद्रास हाईकोर्ट ने इस घटना को 'क्रूर हत्या' करार दिया और कहा कि राज्य ने अपने ही नागरिक की जान ले ली है. जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने मामले की सुनवाई की. 

जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने सिक्योरिटी गार्ड अजीत के पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर हैरानी जताई है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गार्ड के शरीर पर 44 चोटें लगने के निशान मिले हैं. अजीत के पूरे शरीर पर अत्याचार के निशान हैं. 

हाईकोर्ट ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में परेशान करने वाले खुलासे पर गौर करते हुए कहा कि गार्ड के पीठ, मुंह और कान पर मिर्च पाउडर लगाया गया था.

हाईकोर्ट ने इस घटना की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि पुलिस ने मिलकर यह काम किया है, यह एक क्रूर हत्या है. 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में 44 गंभीर चोटें

हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के समाजिक प्रगति के दावों पर भी सवाल खड़ा कर दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि दक्षिण के राज्य कहते हैं कि दक्षिण में साक्षरता दर कुछ उत्तर भारतीय राज्यों से ज्यादा है. लेकिन, उत्तर के राज्यों में ऐसे चीजें नहीं होती हैं. तमिलनाडु राज्य का कहता है कि वह एक अग्रणी राज्य हैं. अगर ऐसा है तो ऐसे कृत्य कैसे होने दे सकते हैं. तमिलनाडु शैक्षिक रूप से विकसित राज्य है और इस तरह की हरकतें यहां होना ख़तरनाक है वह भी ख़ासकर किसी पुलिस थाने में.

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हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि लोगों के याददाश्त कमजोर नहीं हैं, उन्हें अभी भी जयराज और बेनिक्स मामले याद हैं. 

यह सामान्य हत्या नहीं है, इससे भी ज्यादा अमानवीय है: हाईकोर्ट

जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने कहा कि एक आम हत्यारा भी ऐसे कृत्य नहीं करते हैं. यह पूरी तरह से बर्बर कृत्य है. अजित पर पहले कोई भी आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था, और वह परिवार का सबसे बड़ा बेटा था जिसके आमदनी पर खर्च चलता था. उसने अपने पिता को 2004 में ही खो दिया था. 

जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने एफआईआर दर्ज करने में देरी और सीनियर अधिकारियों की गैरमौजूदगी पर भी सवाल खड़े किए हैं.  

जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने मंदिर और पुलिस थाने का सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने का आदेश दिया है. साथ ही फुटेज को तत्काल न्यायिक जांचकर्ता को सौंपने का आदेश दिया है. 

हाईकोर्ट ने मामले को सीबीआई जांच की सिफारिश करते हुए कहा है कि जांच सिर्फ नीचे के पुलिसकर्मियों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, सभी उच्च अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए जो इसमें सम्मिलित हैं. 

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हाईकोर्ट ने न्यायिक जांच के लिए रिटायर्ड जज की नियुक्ति की है. जांच की प्रगति पर रिपोर्ट 8 जुलाई तक कोर्ट में दाखिल करने का आदेश दिया गया है.

वहीं, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पीड़ित सिक्योरिटी गार्ड के परिवार से फोन पर बातचीत की और संवेदना व्यक्त की है.

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