'भाषा थोपने से कर्नाटक में फेल हुए 90 हजार छात्र', नई शिक्षा नीति को लेकर केंद्र पर भड़के तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री

छात्रों को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि कर्नाटक में 90,000 से अधिक छात्र “एक भाषा थोपने” के कारण अपनी बोर्ड परीक्षा में असफल हो गए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तीसरी भाषा एक विकल्प होनी चाहिए, बाध्यता नहीं.

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तमिलनाडु के मंत्री अंबिल महेश तमिलनाडु के मंत्री अंबिल महेश

अनघा

  • चेन्नई,
  • 29 जून 2025,
  • अपडेटेड 6:16 AM IST

तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री अंबिल महेश पोय्यमोझी ने शुक्रवार को नई शिक्षा नीति को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला. छात्रों के बीच एक कार्यक्रम में केंद्र सरकार की भाषा नीति और शिक्षा निधि वितरण की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि कर्नाटक में 90,000 छात्र बोर्ड परीक्षा में फेल हो गए, और इसका कारण एक भाषा को जबरन थोपा जाना है.

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मंत्री ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि तीसरी भाषा एक विकल्प होनी चाहिए, न कि मजबूरी. उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार राज्यों को शिक्षा निधि के लिए ब्लैकमेल कर रही है और शिक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने वाले तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों को फंड देने से इनकार कर रही है.

उन्होंने कहा, “हमारे मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने यह आश्वासन दिया है कि राज्य सरकार छात्रों की पूरी शिक्षा लागत वहन करेगी. आप सभी को यह जानना चाहिए कि तमिलनाडु सरकार नई शिक्षा नीति (NEP) का विरोध क्यों कर रही है.”

यह भी पढ़ें: राहुल गांधी पहुंचे दिल्ली विश्वविद्यालय के DUSU ऑफिस, नई शिक्षा नीति और आरक्षण पर की छात्रों से बात

केंद्र पर हमला

अंबिल महेश ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत केंद्र ने 20 लक्ष्य तय किए हैं, जिनमें केरल सभी 20 में और तमिलनाडु 19 में टॉप पर है. इसके बावजूद भी फंड नहीं दिया जा रहा. उन्होंने सवाल उठाया, “जब हमने एक सफल मॉडल दिया है, तो केंद्र हमारे मॉडल को अपनाने के बजाय उसे अनदेखा क्यों कर रहा है?”
 

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