ISKON vs ISKON: अधिकार की जंग में सुप्रीम कोर्ट ने इस्कॉन बेंगलुरु के पक्ष में सुनाया फैसला, हरे कृष्ण मंदिर का मिला अधिकार

जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. 15 फरवरी 2016 को सुप्रीम कोर्ट में आए इस मसले में आठ साल बाद 24 जुलाई 2024 को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया था.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

संजय शर्मा / सृष्टि ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 16 मई 2025,
  • अपडेटेड 12:03 PM IST

मुंबई बनाम इस्कॉन बेंगलुरु विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 'इस्कॉन बेंगलुरु' के पक्ष मे फैसला सुनाया है. बेंगलुरु हरेकृष्ण हिल टेंपल इस्कॉन बेंगलुरु के पास ही रहेगा. मुंबई इस्कॉन के अधिकार को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश को पलटते हुए यह फैसला सुनाया है और निचली अदालत के द्वारा सुनाए गए फैसले को अदालत ने सही ठहराया है. 

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निचली अदालत ने इस्कॉन मुंबई के अधिकार को खारिज करते हुए कहा था कि इस्कॉन बेंगलुरु इस्कॉन मुंबई की शाखा नहीं बल्कि एक स्वतंत्र संस्था है. यह विवाद दशकों पुराना है, जिसका अब निपटारा हो गया है.

पिछले साल सुरक्षित रखा गया था फैसला

जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. 15 फरवरी 2016 को सुप्रीम कोर्ट में आए इस मसले में आठ साल बाद 24 जुलाई 2024 को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा गया था.

दरअसल, इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद भक्तिवेदांत स्वामी के महासमाधि में जाने के बाद उनके शिष्यों के बीच सिद्धांतों को लेकर विवाद शुरू हुआ. इस्कॉन मुंबई पर ज्यादा प्रभाव प्रभुपाद के विदेशी शिष्यों का था. उन लोगों पर आरोप है कि समाधि प्रवेश से पहले प्रभुपाद की उस वसीयत का पालन नहीं किया गया, जिसमें भविष्य में इस्कॉन के संचालन की रूपरेखा थी.

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इसमें 12 साधुओं की प्रशासन समिति आयोग जैसी व्यवस्था थी. शिष्य परंपरा प्रभुपाद के गुरुनाम से ही संचालित रखने का सिर्फ एक विकल्प था, लेकिन आरोप है कि ये सभी 12 लोग अपनी मर्यादा से गिर गए. इससे नाराज होकर इस्कॉन बेंगलुरू ने विरोध किया. भक्ति सिद्धांत का विवाद फिर मंदिरों की संपत्तियों पर भी आ गया.
 

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