सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर में सिर्फ देसी गाय के दूध से पूजन-प्रसाद की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति बालाजी मंदिर में सिर्फ देसी गायों के दूध के इस्तेमाल की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की छूट जरूर दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इससे भी महत्वपूर्ण मामले अदालत में पेंडिंग हैं.

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बालाजी मंदिर में केवल देसी गाय का दूध इस्तेमाल करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से किया इनकार (Photo: ITG) बालाजी मंदिर में केवल देसी गाय का दूध इस्तेमाल करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से किया इनकार (Photo: ITG)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 21 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 6:34 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति वेंकटेश्वर बालाजी मंदिर संस्थान के प्रबंधक तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के खिलाफ दायर उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें भगवान वेंकटेश की पूजा और भोग प्रसाद में सिर्फ देसी नस्ल की गायों के दूध का इस्तेमाल करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था.

याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की अनुमति

जस्टिस एम एम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने हालांकि याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेकर हाईकोर्ट जाने की छूट दे दी.

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गाय तो गाय होती है: जस्टिस सुंदरेश

सुनवाई के दौरान जस्टिस सुंदरेश ने टिप्पणी की कि गाय तो गाय ही होती है. ईश्वर के प्रति सच्चा प्रेम साथी जीवों की सेवा करने में है, न कि इन मुद्दों में पड़ने के. इससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण मुद्दे समाज में मौजूद हैं. कोर्ट ने कहा कि हम पूरे सम्मान के साथ आपको ये सब बता रहे हैं.

आगमशास्त्र और परंपरा का हवाला

याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि आगमशास्त्रों के अनुसार इसमें भेद है और यह एक अनिवार्य परंपरा है. इस पर जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि 'यह वर्गीकरण केवल मनुष्यों के लिए है, वो भी भाषा, जाति, समुदाय, राज्य, धर्म आदि के आधार पर किया गया है. ईश्वर सभी मनुष्यों के लिए समान है. दूसरे प्राणियों के लिए भी वह दयालु और समदर्शी हैं'.

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ईश्वर का प्रेम, दूध की नस्ल से ऊपर है

न्यायमूर्ति सुंदरेश ने कहा, 'आप कह सकते हैं कि ईश्वर नहीं चाहते कि दूध देसी गाय दे या किसी और नस्ल की. ईश्वर के पास कुछ और होगा ही. है ना?'

टीटीडी के प्रस्ताव की दलील

वकील ने दलील दी कि भगवान की पूजा तो आगमशास्त्रों के अनुसार ही की जानी चाहिए. इस बाबत टीटीडी का एक प्रस्ताव और आदेश है. हम बस इसे लागू करने की मांग कर रहे हैं. वकील ने कहा कि अदालत टीटीडी को नोटिस जारी कर सकती है ताकि यह पता चल सके कि उनका इस मुद्दे पर क्या कहना है?

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अनुष्ठान ईश्वर के प्रेम का प्रतीक

जस्टिस सुंदरेश ने कहा, आप जो भी अनुष्ठान करते हैं, वह ईश्वर के प्रेम का प्रतीक है, इससे बढ़कर कुछ नहीं. 

उन्होंने आगे कहा, हम आपको उच्च न्यायालय जाने की अनुमति देंगे या आपकी इस अर्जी को यहीं खारिज करेंगे.

क्या अब तिरुपति के लड्डू भी स्वदेशी होंगे?

जस्टिस सुंदरेश ने पूछा कि क्या इसमें कोई कानूनी आदेश है? वकील ने कहा कि हमारी प्रार्थना दो संवैधानिक पीठ के निर्णयों के अंतर्गत आती है.

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इस पर न्यायमूर्ति सुंदरेश ने टिप्पणी की, क्या अब हम ये कहेंगे कि तिरुपति के लड्डू स्वदेशी होने चाहिए?

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर विचार से किया इनकार

पीठ ने कहा कि हमने वकील की बात सुन ली है. हम इस पर विचार नहीं करना चाहते.

अंत में वकील ने कहा, फिर मुझे हाईकोर्ट जाने की छूट के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति दें. कोर्ट ने इजाजत दे दी.

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