रिलायंस फाउंडेशन के वनतारा प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट ने दी क्लीन चिट, सभी आरोप किए खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस फाउंडेशन के जामनगर स्थित वनतारा प्रोजेक्ट को क्लीन चिट देते हुए सभी याचिकाएं खारिज कर दिया. एसआईटी जांच में पशु तस्करी, दुर्व्यवहार और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप निराधार पाए गए. कोर्ट ने वनतारा को राष्ट्रीय गौरव बताया और कहा कि बार-बार ऐसे मुकदमे न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग हैं.

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वंतारा के खिलाफ दायर सभी याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं. (Photo: ITG) वंतारा के खिलाफ दायर सभी याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं. (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 16 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:51 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस फाउंडेशन के वनतारा प्रोजेक्ट को क्लीन चिट दे दी है. गुजरात के जामनगर में स्थित यह एनिमल रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन इनिशिएटिव अब क़ानूनी तौर पर पूरी तरह वैध और सही साबित हुआ है. यह फ़ैसला एसआईटी की रिपोर्ट पर आया है, जिसमें महीनों से चल रही बहस और अटकलों का अंत हो गया.

वनतारा के ख़िलाफ़ दो रिट पिटीशन दाख़िल हुई थीं. इनमें आरोप लगाया गया था कि जानवरों को अवैध तरीक़े से लाया गया है, कैप्टिविटी में उनके साथ दुर्व्यवहार हो रहा है और वित्तीय अनियमितताएं भी हैं. कोर्ट ने पहले कहा था कि इन आरोपों को समर्थन देने के लिए कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया. लेकिन आरोप गंभीर थे, इसलिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम यानी एसआईटी बनाई गई, जिसका नेतृत्व रिटायर्ड जजों और वरिष्ठ अधिकारियों ने किया.

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एसआईटी ने अपनी जांच के दौरान सेंट्रल ज़ू अथॉरिटी, सीबीआई, ईडी, डीआरआई, कस्टम्स और अंतरराष्ट्रीय CITES बॉडीज़ तक से इनपुट लिया. टीम ने रिकॉर्ड, हलफ़नामे, साइट विज़िट, विशेषज्ञ राय और व्यक्तिगत सुनवाई—सब कुछ विस्तार से देखा. आरोप जैसे एनिमल स्मगलिंग, मनी लॉन्ड्रिंग, वेलफेयर प्रैक्टिस और पर्यावरण से जुड़े मुद्दे सभी की पड़ताल की गई.

रिपोर्ट की मुख्य रूप से तीन फ़ाइंडिंग्स थीं...

  • पहला: किसी भी क़ानून का उल्लंघन नहीं पाया गया. वाइल्डलाइफ़ प्रोटेक्शन एक्ट, ज़ू रूल्स, सीज़ेडए गाइडलाइंस, कस्टम्स एक्ट, FEMA, PMLA या CITES – इनमें से किसी भी क़ानून का वायलेशन नहीं मिला.
  • दूसरा: एनिमल वेलफेयर स्टैंडर्ड्स तयशुदा बेंचमार्क से कहीं बेहतर निकले. वेटरनरी इंफ़्रास्ट्रक्चर, हज़्बंड्री और देखभाल वर्ल्ड-क्लास पाई गई. मृत्यु दर भी ग्लोबल एवरेज के बराबर रही. ग्लोबल ह्यूमेन सोसाइटी ने वनतारा को “ग्लोबल ह्यूमेन सर्टिफ़ाइड सील ऑफ़ अप्रूवल” से सम्मानित भी किया.
  • तीसरा: वित्तीय आरोप जैसे कार्बन क्रेडिट का दुरुपयोग, पानी का ग़लत इस्तेमाल या मनी लॉन्ड्रिंग, सब निराधार निकले.

एसआईटी ने नोट किया कि वनतारा के ख़िलाफ़ पहले भी ऐसे आरोप लग चुके हैं, लेकिन हर बार वे ख़ारिज हुए.

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सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि बार-बार ऐसे मुक़दमे करना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है. कोर्ट ने अहम टिप्पणियां करते हुए कहा- “कुछ चीज़ें देश की शान होती हैं. हर समय उन पर शोर मचाना सही नहीं. देश में अच्छी चीज़ें हो रही हैं, हमें उनसे ख़ुश होना चाहिए.”

हाथियों के अधिग्रहण पर कोर्ट ने स्पष्ट कहा, “अगर अधिग्रहण क़ानून के मुताबिक हुआ है, तो समस्या क्या है? अगर सारे नियम फ़ॉलो हुए हैं, तो आम बयान देने का कोई मतलब नहीं है.”

कोर्ट ने आदेश दिया कि एसआईटी की पूरी रिपोर्ट सील की जाए, एक कॉपी वनतारा को दी जाए और एक सारांश सार्वजनिक किया जाए. सभी पिटीशन ख़ारिज कर दी गईं और इन्हीं आरोपों पर नई शिकायत अब दर्ज नहीं होगी. एसआईटी के सदस्यों को मानदेय दिया गया, एक सर्विंग IRS अधिकारी को छोड़कर. साथ ही, वनतारा को यह स्वतंत्रता भी दी गई कि अगर कोई मानहानि संबंधी प्रकाशन होता है तो वह क़ानूनी कार्रवाई कर सकता है.

गौरतलब है कि वनतारा प्रोजेक्ट रिलायंस के अनंत अंबानी की सोच है. वनतारा  का मतलब होता है स्टार ऑफ़ द फ़ॉरेस्ट. रिलायंस के जामनगर रिफ़ाइनरी के 3000 एकड़ रिक्लेम्ड ग्रीनबेल्ट पर यह पहल विकसित हुई है. आज वनतारा दुनिया के सबसे बड़े एनिमल रेस्क्यू और रिहैब सेंटरों में से एक है. 200 से ज़्यादा हाथी. 300+ बड़ी बिल्लियां (शेर, बाघ, तेंदुए, जगुआर), 300+ शाकाहारी (हिरण, काले हिरण आदि), 1200+ सरीसृप (घड़ियाल, साँप, कछुए) सहित कुल मिलाकर 1.5 लाख जानवर, 2000 से ज़्यादा प्रजातियों के साथ, इस ईकोसिस्टम का हिस्सा हैं.

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वनतारा अपने आप को ज़ू नहीं बल्कि रिहैबिलिटेशन सेंटर के रूप में पेश करता है. यहां हाथियों के अस्पताल, ट्रीटमेंट पूल, MRI/CT स्कैन जैसी आधुनिक सुविधाएं, ICU और इंटरनेशनल वेटरनरी एक्सपर्ट्स की साझेदारी सभी इसको और मज़बूत बनाती हैं. इसी वजह से इसे भारत सरकार का प्राणी मित्र राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला है.

और अब, सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के बाद, वनतारा के लिए सभी केस बंद हो गए, आरोप खारिज हो गए और दोहराए जाने वाले मुक़दमों पर रोक लग गई. सबसे बड़ी बात- सुप्रीम कोर्ट ने इसे राष्ट्रीय गौरव बताया. यह मामला सिर्फ़ एक कानूनी जीत नहीं, बल्कि भारत के लिए कंज़र्वेशन और एनिमल वेलफेयर के क्षेत्र में एक नया बेंचमार्क भी है.

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