HAL, L&T, Adani, TATA... स्वदेशी फाइटर जेट बनाने की दौड़ में ये 7 कंपनियां

भारत के सबसे बड़े एडवांस्ड मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोजेक्ट के लिए भारत की सात दिग्गज कंपनियों ने बोली लगाई है. HAL, L&T, Adani और Tata Advanced Systems प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं. DRDO के साथ साझेदारी के लिए इन कंपनियों ने 30 सितंबर को अपने प्रस्ताव जमा किए हैं.

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AMCA भारत का सबसे बड़ा मिलिट्री रिसर्च प्रोजेक्ट (File Photo: ITG) AMCA भारत का सबसे बड़ा मिलिट्री रिसर्च प्रोजेक्ट (File Photo: ITG)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 01 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 1:53 PM IST

भारत के महत्वाकांक्षी पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) प्रोजेक्ट के लिए सात भारतीय रक्षा कंपनियों ने बोली जमा की है. HAL, L&T, Adani Defence, TATA Advanced Systems Ltd, Kalyani Strategic Systems और दो अन्य प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों ने यह बोली रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के साथ गठजोड़ करने के लिए जमा की है. 30 सितंबर को वैमानिकी विकास एजेंसी (ADA) द्वारा जारी एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) की समय सीमा खत्म हुई. यह कदम स्टील्थ फाइटर जेट को विकसित करने के लिए उठाया गया है. इस प्रोजेक्ट को अगले छह साल में भारतीय वायु सेना में शामिल करने की योजना है.

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रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की है कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), लार्सन एंड टुब्रो (L&T), अडानी डिफेंस, टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL), और कल्याणी स्ट्रैटेजिक सिस्टम्स उन फर्मों में शामिल हैं, जो दौड़ में हैं. इन बोलियों का मूल्यांकन डॉ. ए. सिवथानु पिल्लई के नेतृत्व वाली एक समिति द्वारा किया जाएगा. 

डॉ. पिल्लई, ब्रह्मोस कार्यक्रम में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं. यह पैनल तकनीकी और व्यावसायिक प्रस्तावों का मूल्यांकन करेगा. समिति यह सुनिश्चित करेगी कि शॉर्टलिस्ट की गई फर्मों के पास एडवांस मैन्युफैक्चरिंग क्षमताएं हों और वे विशेषज्ञता के साथ कार्यक्रम को संभाल सकें.

₹15,000 करोड़ का बड़ा प्रोजेक्ट...

एएमसीए (AMCA) कार्यक्रम भारत का अब तक का सबसे बड़ा सैन्य अनुसंधान और विकास प्रयास है. इसके डिजाइन, इंजीनियरिंग और प्रोटोटाइप विमान के निर्माण के लिए अनुमानित ₹15,000 करोड़ आवंटित किए गए हैं. सफल उड़ान परीक्षणों और सत्यापन के बाद, सरकार 120 विमानों का प्रारंभिक ऑर्डर देने की योजना बना रही है. अगले दो दशकों में ज्यादा एडवांस संस्करण जारी होने पर कुल उत्पादन कई सौ यूनिट तक पहुंचने की उम्मीद है. कार्यक्रम का वित्तीय मूल्य लाखों करोड़ रुपये तक पहुंचता है, जो इसे अब तक के सबसे बड़े रक्षा अनुबंधों में से एक बनाता है.

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प्रोटोटाइप और उत्पादन की समय सीमा

वैमानिकी विकास एजेंसी (ADA) द्वारा जारी ईओआई (EoI) के मुताबिक, चयनित विकास भागीदार से आठ साल के अंदर एक पूरी तरह सक्षम प्रोटोटाइप देने की उम्मीद है. इससे पहली उड़ान 2030 के दशक की शुरुआत में होने की समय सीमा बनती है, जबकि सीरियल उत्पादन 2035 तक शुरू होने के लिए निर्धारित है. पिछले हफ्ते बीईएल (BEL) और लार्सन एंड टुब्रो (L&T) ने भारतीय वायु सेना के एएमसीए कार्यक्रम को समर्थन देने के लिए एक रणनीतिक साझेदारी का भी ऐलान किया था, जिसने ईओआई (EoI) नोटिस में भी हिस्सा लिया था.

 
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