लोकसभा में आज संचार साथी ऐप को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करने को लेकर केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम के बीच तीखी बहस हुई. सिंधिया ने सदन में स्पष्ट किया कि जनता में चल रही अफवाहों पर भरोसा न किया जाए.
उन्होंने कहा, 'नियम 7B में कहीं नहीं लिखा है कि यूजर ऐप को अनइंस्टॉल नहीं कर सकता. समस्या यह है कि बिना डिटेल में गए बहुत सारी सच्चाई खो जाती है. 7B सिर्फ इतना कहता है कि फोन में ऐप इंस्टॉल होनी चाहिए और यूजर तक उसकी पहुंच में कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए, उसे डिसेबल नहीं किया जाना चाहिए ताकि यूजर इस्तेमाल कर सके.'
'लोगों को साइबर फ्रॉड के 'कैंसर' से बचाना चाहते हैं'
सिंधिया ने कहा, '7B में कहीं नहीं लिखा कि यूजर ऐप डिलीट नहीं कर सकता. 7B यूजर के लिए नहीं बल्कि निर्माता कंपनियों के लिए है. इसका गलत अर्थ निकाला जा रहा है. मेरा उद्देश्य जनता की सुरक्षा है. हम लोगों को साइबर फ्रॉड के 'कैंसर' से बचाना चाहते हैं.' उन्होंने कहा, 'अब फैसला करना है कि हम लोगों को ठगी से बचाएं या ठगी को चलने दें. जो फीडबैक आया है, उसके आधार पर हम नियम में संशोधन करने को तैयार हैं. हम जिद्दी नहीं हैं.'
'ऐप प्री-इंस्टॉल करने की जिद क्यों कर रही सरकार?'
इस पर कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने पलटवार किया. उन्होंने कहा, 'अगर ऐसा है तो फिर सरकार निर्माता कंपनियों से ऐप प्री-इंस्टॉल करने की जिद क्यों कर रही है? अगर यह अनिवार्य नहीं है तो लोग जैसे दूसरे ऐप डाउनलोड करते हैं, वैसे ही डाउनलोड कर लेंगे, प्री-लोडेड करने की क्या जरूरत है?'
'डायरेक्टिव को तुरंत वापस ले लिया जाए'
उन्होंने कहा, 'दूसरी बात, जो डायरेक्टिव जारी हुआ है, वह मंत्री जी के बयान का सीधा-सीधा खंडन कर रहा है. अगर वास्तव में यूजर को पूरी छूट है तो फिर इस डायरेक्टिव को तुरंत वापस ले लिया जाए.' विपक्ष इस मुद्दे को 'नागरिकों की निजता पर हमला' बता रहा है और डायरेक्टिव को पूरी तरह वापस लेने की मांग पर अड़ा हुआ
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