Rapid Rail Project Details in Hindi: भारत में पहली रैपिड रेल का सपना अब पूरा होने वाला है. दिल्ली से मेरठ के बीच रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) का काम लगभग आखिरी दौर में है और जल्द ही इस कॉरिडोर पर हाई ट्रेनें दौड़ती नजर आएंगी. ट्रायल शुरू हो चुका है और मार्च 2023 से ट्रेनें चलने की पूरी उम्मीद है. प्रोजेक्ट जब पूरी तरह शुरू हो जाएगा तो दिल्ली से मेरठ के बीच की दूरी महज 50 मिनट में पूरी की जा सकेगी. दिल्ली-एनसीआर के बाशिंदों के लिए यह किसी सपने के पूरे होने जैसा है. 82.5 किमी लंबे इस रेल प्रोजेक्ट को दुनिया का सबसे हाइटेक सिस्टम भी कहा जा रहा है. ये दावा यूं ही नहीं किया जा रहा. जानिए क्या है इसकी वजह.....
- रैपिड रेल प्रोजेक्ट के लिए कॉरिडोर का निर्माण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) कर रहा है. इस प्रोजेक्ट की लागत 30, 274 करोड़ रुपये है.
- एनसीआरटीसी ने रैपिड रेल के संचालन और मेंटेनेंस के लिए डायचे बान इंजीनियरिंग एंड कंसल्टेंसी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (डीबी इंडिया) के साथ करार किया है. बता दें कि डीबी इंडिया जर्मनी की राष्ट्रीय रेलवे कंपनी डायचे बान एजी की सहायक कंपनी है.
- 14 हजार से ज्यादा कर्मचारी और 1100 इंजीनियर दिन और रात एक करके इस 82 किमी लंबे गलियारे का निर्माण कर रहे हैं. किसी भी शहरी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए देश में इस स्तर का निर्माण पहली बार किया जा रहा है.
पुश बटन से खुलेंगे दरवाजे, बिजनेस क्लास कोच भी होंगे! रैपिड रेल में यात्रियों को मिलेंगी ये सुविधाएं
- कॉरिडोर बनाने के लिए 6.5 मीटर व्यास की आरआरटीएस सुरंगों को बोर करने के लिए देश में पहली बार एक साथ कुल 8 टनल बोरिंग मशीनों (टीबीएम) का इस्तेमाल किया जा रहा है. इन मशीनों का नाम 'सुदर्शन' दिया गया है.
- देश के पहले आरआरटीएस कॉरिडोर (दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ) के लिए ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम (एएफसी) इस्तेमाल किया जाएगा.
- एनसीआरटीसी ने स्वदेशी प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर्स (पीएसडी) को डिजाइन और विकसित करने के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के साथ समझौता किया है. इन पीएसडी के जरिए प्लेटफॉर्म से यात्री सीधे कोच के अंदर जा सकेंगे और उनके पटरियों पर गिरने की आशंका खत्म हो जाएगी.
- एनसीआरटीसी इस प्रोजेक्ट में एक इंटिग्रेटेड रियल टाइम एंटरप्राइज ऐसेट मैनेजमेंट सिस्टम (आई-ड्रीम्स) लागू करने जा रहा है. इस सिस्टम के जरिए समय रहते किसी जोखिम या कमियों का पता लगाने, उनको सुधारने या दूर करने में मदद मिलेगी. इससे यात्रियों की सुरक्षा में नए आयाम जुड़ेंगे.
- रैपिड रेल के कोच का निर्माण बॉक्बार्डियर के गुजरात स्थित सावली संयत्र में किया जा रहा है. कुल 40 ट्रेनसेट यानी 210 कोचों का निर्माण 'मेक इन इंडिया' अभियान के तहत होगा.
- आरआरटीएस में दुनिया में पहली बार रेल संचालन के रेडियो नेटवर्क में लांग टर्म इवोलूशन (एलटीई), यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम, डिजिटल इंटरलॉकिंग और स्वाचालित ट्रेन ऑपरेशन (एटीओ) को एक दूसरे से जोड़ा जा रहा है. इस व्यवस्था से ट्रेनों को बिना किसी बाधा 5-10 मिनट के अंतराल पर चलाना मुमकिन हो सकेगा.
- गाजियाबाद में मेरठ तिराहे पर रैपिड रेल जमीन से 26 मीटर की ऊंचाई से गुजरेगी, जो देश में किसी भी ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट में सबसे अधिक है.
- आरआरटीएस के स्टेशनों को हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशनों, इंटर स्टेट बस टर्मिनस और मेट्रो स्टेशनों से एकीकृत किया जाएगा.
- आरआरटीएस कॉरिडोर को दिल्ली मेट्रो की सभी 7 लाइनों से जोड़ा जाएगा. इस तरह दिल्ली मेट्रो और आरआरटीएस नेटवर्क को मिलाकर दिल्ली के मास ट्रांजिट सिस्टम की लंबाी 743 किमी होगी जो लंदन क्रॉस रेल, हांगकांग एमटीआर और पेरिस आरईआर की लंबाई से अधिक होगी.
रैपिड रेल की खूबियां
- आरआरटीएस ट्रेन के डिब्बों में बैठने के लिए आमने-सामने 2x2 सीटें होंगी. इसके अलावा, यात्री खड़े होकर भी सफर कर सकेंगे.
- ऑटोमेटिक प्लग-इन दरवाजों के अलावा रैपिड रेल में जरूरत के आधार पर चुनिंदा दरवाजों को खोलने के लिए पुश बटन होंगे. हर स्टेशन पर सभी दरवाजे खोलने की जरूरत नहीं होगी. इसके एनर्जी की भी बचत होगी.
- आरआरटीएस ट्रेनों में विशाल, आरामदायक और झुकी हुई सीटें होंगी. इसके अलावा, बिजनेस क्लास का कोच भी होगा. हर ट्रेन में एक बिजनेस क्लास कोच होगा. इन विशेष कोच में प्लेटफॉर्म से ही एक विशेष लाऊंज के जरिए एंट्री होगी. इसके अलावा, हर ट्रेन में एक डिब्बा महिलाओं के लिए रिजर्व्ड रहेगा.
- प्लेटफॉर्म पर यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी) लगाए जाएंगे और ट्रेनों के दरवाजों को इस पीएसडी से जोड़ा जाएगा. ऐसा होने से यात्रियों के पटरी पर गिरने जैसी दुर्घटनाओं को पूरी तरह खत्म किया जा सकेगा.
Rapid Rail: 180 किमी की रफ्तार, 50 मिनट में दिल्ली से मेरठ! रैपिड ट्रेन कितनी शानदार?
कब से चलेगी ट्रेनें
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर रैपिड रेल को 2025 तक पूरी तरह ऑपरेशनल कर दिया जाएगा. हालांकि, इससे पहले कम दूरी के बीच ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया जाएगा. बताया जा रहा कि पहले फेज का सफर मार्च 2023 से शुरू हो जाएगा. शुरुआत में ट्रेन का सफर साहिबाबाद से दुहाई के बीच 17 किमी का होगा. हालांकि, प्रोजेक्ट जैसे-जैसे पूरा होगा, ये दूरी बढ़ती चली जाएगी.
कॉरिडोर की खूबियां
इस कॉरिडोर पर ट्रेनें अधिकतम 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेंगी. इनकी औसत रफ्तार 100 किमी प्रति घंटे की होगी. 6 कोच वाली इस ट्रेन का लुक बिल्कुल बुलेट ट्रेन की तरह है. हालांकि, साइड से यह मेट्रो की तरह नजर आती है. इस कॉरिडोर की कुल लंबाई 82 किमी है, जिसमें से 14 किमी का हिस्सा दिल्ली में है जबकि 68 किमी का हिस्सा उत्तर प्रदेश में. पूरी तरह बनने के बाद दिल्ली से मेरठ की यात्रा करने में महज 50 मिनट का समय लगेगा.
कौन-कौन से स्टेशन होंगे?
दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर स्टेशन होंगे-जंगपुरा, सराय काले खां, न्यू अशोक नगर, आनंद विहार, साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई, मुरादनगर, मोदी नगर साउथ, मोदी नगर नॉर्थ, मेरठ साउथ, शताब्दी नगर, बेगमपुल और मोदीपुरम. दिल्ली में इस कॉरिडोर में जंगपुरा, सराय काले खां, न्यू अशोक नगर और आनंद विहार चार स्टेशन हैं. इनमें से सिर्फ आनंद विहार स्टेशन अंडरग्राउंड है. यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए रैपिड रेल नेटवर्क के भूमिगत हिस्सों में ट्रेनों के आने-जाने के लिए समानान्तर दो टनल का बनाए जा रहे हैं. मेरठ और दुहाई में ट्रेनों के रखरखाव के लिए डिपो बनाए जा रहे हैं.
सना जैदी