संसद में मंगलवार को मॉनसून सत्र के दौरान बजट पर चर्चा हुई तो लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, अखिलेश यादव और राज्यसभा में बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने तीखे भाषण दिए. राहुल गांधी ने चक्रव्यूह का एक रूप पद्मव्यूह भी बताया और पद्म यानी कमल को लेकर सत्तारूढ़ बीजेपी पर निशाना साधा.
सुधांशु त्रिवेदी ने क्या कहा?
राहुल को जवाब देते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने पौराणिक कथाओं का पूरा संदर्भ देते हुए कहा कि धन की देवी लक्ष्मी और ज्ञान की देवी सरस्वती कमल पर ही विराजती हैं. ऐसे में कमल खिला रहेगा तो देश में समृद्धि बनी रहेगी. राहुल गांधी की बात का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि चक्रव्यूह और पद्मव्यूह अलग हैं. बल्कि प्राचीन भारत में तो 36 तरीके के व्यूह थे.
महाभारत के युद्ध में बनाए गए थे कई व्यूह
संसद की राजनीति से इतर बात पौराणिक कथाओं में उल्लेखित व्यूह की. तकरीबन 5000 साल पहले द्वापर युग के समय की सबसे महान कथा महाभारत में अब तक के सबसे भीषण युद्ध का वर्णन है. महाभारत का युद्ध 18 दिन तक चला और इन 18 दिनों में हर रोज कम से कम दो व्यूह बने. एक दल जब कोई व्यूह बनाता तो उसके जवाब में विरोधी दल दूसरा व्यूह बनाकर उसका सामना करता था.
क्या होती है व्यूह रचना?
युद्ध में जिस सुदृढ़ व्यवस्था में विरोधी सेना को घेरकर हमला किया जाता है उसे व्यूह कहते हैं. यह एक तरीके से भ्रम पैदा करने वाला जाल होता था, जिसमें विपक्षी दल के योद्धा को फंसाकर उसे मारना या बंदी बनाना होता था. इस तरह एक योद्धा कम से कम तीन सैनिकों द्वारा घेर लिया जाता था. सेना में जितने अधिक सैनिक होते थे, व्यूह उतने कारगर और सफल बनते थे.
जीव-जंतुओं, अस्त्र-शस्त्र के नाम पर बनाए जाते थे व्यूह
महाभारत में जिस तरह की व्यूह रचनाओं का वर्णन है, उनके नाम जीव-जंतुओं की आकृति और मारक शस्त्र की संरचना के आधार पर रखे गए हैं. व्यूह बनाकर जब हमला किया जाता था, तो सेना की व्यवस्था की आकृति भी उस पक्षी या जंतु या शस्त्र जैसी हो जाती थी. सामने से देखने पर भले ही न समझ आए, लेकिन अगर व्यूह का ड्रोन व्यू लिया जा सकता तो आकार स्पष्ट होता था.
महाभारत के व्यूह
क्रौंच व्यूहः महाभारत में पहले दिन के युद्ध के लिए पांडव सेना की ओर से क्रौंच व्यूह बनाया गया था. क्रौंच आज के सारस जैसा दिखने वाला एक प्राचीन पक्षी था, जिसकी लंबी गर्दन, लंबी नुकीली चोंच, चौड़े फैले हुए पंख होते थे. इसके शरीर के रोंए कुछ सख्त और नोंकदार होते थे और छूने पर चुभन का अहसास देते थे. पांडवों ने क्रौंच व्यूह बनाकर युद्ध का उद्घोष किया और कौरव सेना की ओर से हमला होने के बाद इसी व्यूह की शैली में पितामह भीष्म की सेना से जा भिड़े.
महाभारत के भीष्म पर्व में क्रौंच व्यूह बनाने का वर्णन है.
व्यूहः क्रोञ्चारुणो नाम॒ सवेशाश्निवर्हणः ।
यं बृहस्पतिरिनद्राय तदा देवासुरेऽव्रवीत् ॥ 40 ॥
तं यथावत् प्रतिव्यूह परानीकविनाशनम् ।
अदृष्टपूवे राजानः पश्यन्तु कुरुभिः सह ॥ 41॥
(हे सेनापति! क्रौंच नामक व्यूह समस्त शत्रुओं पर प्रहार करने वाला है; जिसे बृहस्पति ने देवासुर-संग्राम के अवसर पर इन्द्र को बताया था. “शत्रु सेना का विनाश करने वाले उस क्रौंच व्यूह का यथावत् रूप से निर्माण करो. आज समस्त राजा कौरवों के साथ उस अदृष्टपूर्व व्यूह को अपनी आंखों से देखें.)
गरुण व्यूहः भगवान विष्णु का वाहन गरुण आज के चील, बाज जैसे पक्षियों का पूर्वज था. गरुण पक्षी बड़े पंखों वाला और तेज गति से ऊंची उड़ान भरने में समर्थ माना जाता था. उसकी चोंच मजबूत होती थी, जो अपने आप में किसी शस्त्र से कम नहीं थी. व्यूह रचना में गरुण व्यूह बहुत खतरनाक और कठिन माना जाता था. कौरवों की ओर से दूसरे दिन पितामह भीष्म ने इसका निर्माण किया था, जिसमें पांडवों के 10 हजार सैनिक मारे गए थे.
गारुडं च महान्यूहं चक्रे शन्तनवस्तदा ।
पुराणां ते जयाकाष्घी भीष्मः कुरुपितामहः ॥ 2 ॥
गरुडस्य स्वयं तुण्डे पिता देवत्रतस्तव ।
चक्षुषी च भरद्वाजः रृतवमो च सात्वतः ॥ 3 ॥ (भीष्म पर्व)
(उस समय कुरुकुल के पितामह शान्तनु कुमार भीष्म ने आपके पुत्रों को विजय दिलाने की इच्छा से महान् गरुड़ व्यूह की रचना की. स्वयं आपके ताऊ भीष्म उस व्यूह के अग्रभाग में चोंच के स्थान पर खड़े हुए. आचार्य द्रोण और यदुवंशी कृतवर्मा दोनों नेत्रों के स्थान पर स्थित हुए.)
मकर व्यूहः जिस तरह मगरमच्छ का आकार होता है, सैनिकों की व्यवस्था उसी तरीके से की जाती थी. इस तरह से शत्रु सेना को अधिक से अधिक चोट पहुंचाई जाती थी. महाभारत में मकर व्यूह की रचना कौरव और पांडव दोनों ने की थी.
कच्छप व्यूह: कछुए की आकृति वाले इस व्यूह का निर्माण बहुत कुशलता और रणनीति से किया जाता था. सबसे आगे एक महारथी के साथ कई सैनिक कछुए के मुंह की मुद्रा में खड़े होते थे. फिर लंबी गर्दन की तरह पीछे कई सैनिक और इन्हीं सैनिकों के बीच-बीच में रथी खड़े होते थे. शत्रु सेना से जब हमला होता था, तो कच्छप व्यूह में आगे मुख की ओर खड़ा महारथी, शत्रु से युद्ध करते हुए पीछे की ओर खिसकता रहता था, इस तरह धीरे-धीरे शत्रु एक रेखीय स्थिति में खड़े सैनिकों से घिर जाता था और फिर बंदी बना लिया जाता था. यह व्यवस्था कुछ ऐसी थी जैसे कछुआ अपना मुख झट से खोल में छिपा लिया करता है. कौरवों ने पांचवें दिन कच्छप व्यूह बनाकर युधिष्ठिर को बंदी बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन अर्जुन ने इस व्यूह को भंग कर दिया था.
अर्धचंद्राकार व्यूह: अर्धचंद्र सैन्य रचना को अर्धचंद्राकार व्यूह कहा गया है. इस व्यूह की रचना अर्जुन ने कौरवों की ओर से तीसरे दिन गरुड़ व्यूह के जवाब में की थी. इसमें सैनिकों की टुकड़ियां चंद्राकार स्थिति में आगे की और फैलती चलती हैं. इससे शत्रु सेना को बिल्कुल सामने से और किनारों के दोनों ओर से घेरने में मदद मिलती है.
व्यूढं दष्ट त॒ तत् सैन्यं सव्यसाची परंतपः।
धृ्टयुम्नेन सदितः प्रत्यव्युहत संयुगे ॥
अर्धचन्द्रेण व्यूहेन व्यूहं तमतिदारुणम् ।
दक्षिणंङ्गमास्थाय भीमसेनो ।5-6। (भीष्म पर्व)
(शत्रुओं को संताप देने वाले सब्यसाची अर्जुन ने कौरव सेना की वह व्यूह रचना देखकर दृष्टद्युम्न को साथ लेकर अपनी सेना का अत्यंत भयंकर अर्धचंद्राकार व्यूह बनाया. उसके दक्षिण शिखर पर भीमसेन स्थित हुए.)
मंडलाकार और वज्र व्यूह: मंडल का अर्थ गोलाकार या चक्र कार होता है. महाभारत के युद्ध में 7वें दिन इस व्यूह की रचना भीष्म पितामह ने की थी. जिसके जवाब में पांडवों ने वज्र व्यूह की रचना की थी. वज्र व्यूह इंद्र के वज्र की तरह होता है. ठीक से समझें तो यह वज्र मानव शरीर की रीढ़ की हड्डी और पसलियों की संरचना जैसा होता था और सेना को इसी तरीके से युद्ध में खड़ा किया जाता था.
पद्म या कमल व्यूहः कमल की पंखुड़ियों की तरह सैनिक खड़े होते थे और हर पंखुड़ी नुमा संरचना के बीच में महारथी खड़े किए जाते थे. आगे की ओर रथी और पीछे की ओर गजसवार खड़े होते थे. रथी के पीछे-पीछे घुड़सवार सैनिक खड़े होते थे और कमल के मध्य भाग में पैदल सैनिक खड़े होते थे. आचार्य द्रोण ने इस व्यूह का निर्माण अर्जुन से जयद्रथ को बचाने के लिए किया था. उन्होंने जयद्रथ को कमल व्यूह के बिल्कुल बीच में ऐसे छिपा दिया था जैसे कमल की नाल के ऊपर हरे भाग में बीज होता है, लेकिन श्रीकृष्ण की माया से जयद्रथ सामने आ गया और अर्जुन ने उसका वध कर दिया.
चक्रव्यूहः महाभारत में सबसे अधिक चर्चित चक्रव्यूह ही रहा है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि इसी चक्रव्यूह में फंसकर अभिमन्यु को वीरगति मिली थी. ये एक स्पाइरल की तरह होता था, जैसे समझ लीजिए कि आज की मच्छर मारने वाली क्वाइल की आकृति जैसा. इसमें सैनिकों को गोलाकार तरीके से खड़ा किया जाता था. पैदल सैनिक गोल आकृति में दौड़ते हुए आगे बढ़ते रहते थे और स्पाइरल व्यवस्था भंग नहीं होती थी. जैसे ही कोई सैनिक गिरता था, पीछे वाला सैनिक उसका स्थान ले लेता था. चक्रव्यूह के सैनिकों के बीच गलियारे जैसी जगह होती थी, और इसी में द्वार होते थे, जिन पर महारथी खड़े होते थे. अभिमन्यु पहले द्वार में जयद्रथ को हराकर प्रवेश कर जाता है, लेकिन बाकी पांडवों को जयद्रथ ने रोक लिया था. इसलिए वह बाहर ही रह गए थे. अभिमन्यु अंदर घिरता चला गया. अंत में सात महारथियों ने उसे घेर कर मार डाला.
इसके अलावा कुछ और व्यूह हैं, जो महाभारत में बनाए गए थे
दण्डव्यूह - लाठियों जैसी व्यूह रचना
शकटव्यूह - गाड़ी जैसी व्यूह रचना
वराहव्यूह - सूअर जैसा व्यूह
सूचीव्यूह - सूई की तरह की रचना
धनुर्व्यूह - धनुष के आकार का व्यूह
ऊर्मिव्यूह - समुद्र की लहरों जैसा व्यूह (मकर और कूर्म व्यूह के जवाब में बनाया गया था)
विकास पोरवाल