हाथरस रेप पीड़िता के परिवार से मिले कांग्रेस नेता राहुल गांधी

राहुल गांधी के अचानक हाथरस पहुंचने की खबर से एक बार फिर हाथरस का वह मूलगादी गांव और चंद्रपा थाना चर्चा में आ गया हैं, जहां की 4 साल पहले एक दलित बेटी की मौत ने प्रदेश और देश में सियासी तूफान खड़ा कर दिया था.

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राहुल गांधी राहुल गांधी

मौसमी सिंह / संतोष शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 12 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi), उत्तर प्रदेश के हाथरस पहुंचे. उन्होंने यहां पर 2020 में सामने आए रेप मामले की पीड़िता के परिवार से मुलाकात की और उसके बाद दिल्ली के लिए रवाना हुए. अचानक हाथरस पहुंचने की खबर से एक बार फिर हाथरस का वह मूलगादी गांव और चंद्रपा थाना चर्चा में आ गया है, जहां की 4 साल पहले एक दलित बेटी की मौत ने प्रदेश और देश में सियासी तूफान खड़ा कर दिया था.

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इससे पहले प्रियंका गांधी के साथ 24 नवंबर को संभल हिंसा में मारे गए पांच लोगों के परिवारों से राहुल गांधी ने मुलाकात की थी.

हाथरस पीड़ित परिवार ने राहुल गांधी को लिखा था पत्र 

हाथरस पीड़ित परिवार ने राहुल गांधी को पत्र लिखकर दावा किया था कि योगी सरकार द्वारा किए गए वादे आज तक पूरे नहीं किए गए हैं. ये पत्र राहुल गांधी के नाम 2 जुलाई को लिखा गया था. इसके बाद राहुल ने परिवार से मिलने का फैसला किया क्योंकि परिवार ने उनसे मदद मांगी थी.

राहुल गांधी को लिखे पत्र में पीड़िता के परिवार ने कहा था, "सरकार ने किए हुए वादे पूरे नहीं किए. न घर मिला और न ही नौकरी दी गई. चार साल से हम जेल जैसी स्थिति में रह रहे हैं. घर के चारों तरफ पुलिस बैठी है, कहीं जाते हैं तो पुलिस जाती है. पुलिस नौकरी नहीं करने दे रही. अपराधी खुले में घूम रहे हैं, लेकिन हम घर में 4 साल से जेल जैसी स्तिथि में रह रहे हैं."

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पीड़ित परिवार ने आगे लिखा कि बेटियों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है, मेरे परिवार की आर्थिक और मानसिक स्तिथि खराब चल रही है.

हाथरस दौरे पर डिप्टी CM का तंज

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक राहुल गांधी की हाथरस दौरे पर तंज कसते हुए कहा, "राहुल गांधी हताश हैं, उन्हें यह भी नहीं पता कि हाथरस मामले की CBI जांच हो चुकी है और मामला कोर्ट में चल रहा है. कभी उन्हें संभल जाना है, कभी अलीगढ़ जाना है. उत्तर प्रदेश इंफ्रास्ट्रक्चर, कानून-व्यवस्था के मामले में सबसे बेहतर राज्य बनने की ओर अग्रसर है. वे यहां अराजकता की आग भड़काना चाहते हैं और लोगों को भड़काना चाहते हैं."

क्या है हाथरस का मामला?

14 सितंबर 2020 को हाथरस के बूलगढ़ी गांव में 19 साल की एक दलित युवती घायल अवस्था में मिली थी. पीड़िता अपनी मां और भाई के साथ स्थानीय चंदपा थाने पहुंचती है, थाने में पीड़िता के भाई ने आरोप लगाया कि गांव के संदीप ने उसकी बहन के साथ गलत काम किया है. बिगड़ती हालत देख पीड़िता सीएचसी ले जाया गया, जहां से उसे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जेएन मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया.

इस घटना के अगले दिन 15 सितंबर को FIR दर्ज करवाई गई, जिसमें लिखा गया कि पीड़िता अपनी मां के साथ चारा काटने गई थी, तभी गांव के युवक संदीप ने आकर उसे घसीटा और गला दबाकर उसकी हत्या की कोशिश की है. पुलिस ने भी इसे पारिवारिक विवाद बताया और दावा किया कि जल्द आरोपी की गिरफ्तारी की जाएगी. मामला तब तूल पकड़ा, जब घटना के 5 दिन बाद 19 सितंबर को पीड़िता ने बयान दिया कि संदीप के साथ दो अन्य लड़के और थे, उसके साथ छेड़छाड़ भी की गई और जबान काट दी गई. 

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मामले में क्या कार्रवाई हुई?

पीड़िता के बयान के आधार पर पुलिस ने हत्या की कोशिश और छेड़छाड़ की धाराओं को बढ़ाया और मुख्य आरोपी संदीप को गिरफ्तार किया गया. बेहतर इलाज के लिए पीड़िता को अलीगढ़ से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया, जहां 29 सितंबर को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. इसके बाद सियासी गलियारों में इस मामले पर खूब बयानबाजी भी हुई. 

इसके बाद, पुलिस ने सभी चार आरोपियों संदीप ठाकुर, लव कुश, रामू और रवि को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. कांग्रेस से लेकर भीम आर्मी और आम आदमी पार्टी के लोग हाथरस पहुंचने लगे लेकिन मामला तब और बिगड़ गया जब पीड़िता का शव गांव पहुंचा और अगले ही दिन तड़के 3 बजे पुलिस की मौजूदगी में घर वालों को दबाव में लेकर अंधेरे में ही अंतिम संस्कार करवा दिया गया.

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जांच में क्या सामने आया?

पुलिस ने शुरुआती जांच में दावा किया कि मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं है और न ही पीड़िता की जीभ काटी गई और न ही उसकी रीढ़ की हड्डी टूटी है. मामला तूल पकड़ने लगा तो SIT गठित कर जांच के आदेश दे दिए गए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2 अक्टूबर को जांच रिपोर्ट के आधार पर हाथरस के एसपी विक्रांत वीर, डिप्टी एसपी और स्थानीय इंस्पेक्टर चंदपा को सस्पेंड कर दिया. अगले ही दिन इस मामले में CBI जांच के आदेश दे दिए गए.

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जांच एजेंसी ने अलीगढ़ जेल में बंद चारों आरोपियों का पॉलीग्राफ और ब्रेन मैपिंग करवाया. 67 दिनों की जांच के बाद 18 दिसंबर 2020 को हाथरस के एससी/एसटी कोर्ट में चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई. CBI ने इस मामले में गैंग रेप और हत्या की धाराओं में चार्जशीट दाखिल की और 35 लोगों की गवाही करवाई.

2 मार्च 2023 को कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद तीनों आरोपियों लवकुश, रामू रामकुमार, रवि उर्फ रविंद्र सिंह को बरी कर दिया. वहीं, एक आरोपी संदीप सिसोदिया को दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई. कोर्ट में सुनवाई के बाद आरोपी संदीप सिसोदिया को गैर इरादान हत्या और एससी/एसटी एक्ट में दोषी माना गया. सुनवाई के बाद चारों आरोपी में किसी पर भी गैंगरेप का आरोप नहीं सिद्ध हुआ.

 
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