भारतीय सशस्त्रबलों ने मंगलवार देर रात पाकिस्तान में एयरस्ट्राइक की. तीनों सेनाओं ने मिलकर ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया. इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया.
इन नौ आतंकी ठिकानों में से चार पाकिस्तान और पांच PoK में थे. भारतीय सेना ने PoK में बाघ, कोटली, भीमबेर और चेक आमरू में हमला किया है। वहीं, PoK में मुजफ्फराबाद, गुलपुर, सियालकोट, मुरीदके और बहावलपुर में एयरस्ट्राइक की.
भारतीय सेना ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन के ठिकानों को निशाना बनाया.भारतीय सेना ने जैश के मरकज सुभान अल्लाह (बहावलपुर), लश्कर के मरकज तैयबा (मुरीदके), जैश के तेहरा कलां (शकरगढ़), हिजबुल के महमूना (सियालकोट), लश्कर के मरकज अहले हदित (भीमबेर), जैश के मरकज अब्बास (कोटली), हिजबुल के मसकर राहिल शाहिद (कोटली), लश्कर के सवाई नाला कैंप (मुजफ्फराबाद) और बिलाल कैम (मुजफ्फराबाद) पर एयरस्ट्राइक की.
भारत ने इन 9 टारगेट को ही क्यों चुना?
भारतीय सेना ने पाकिस्तान के बहावलपुर प्रांत पर एयरस्ट्राइक की. यह इंटरनेशनल बॉर्डर से 100 किलोमीटर दूर है. यहां जैश-ए-मोहम्मद का हेडक्वार्टर है. इंडियन आर्मी ने बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के मरकज सुभान अल्लाह को उड़ा दिया. यहीं पर पुलवामा हमले की साजिश रची गई थी. जैश ने ही 2001 के संसद और 2019 के पुलवामा अटैक को अंजाम दिया था.
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुरीदके को भी भारतीय सेना ने निशाना बनाया. यह पाकिस्तान के टॉप आतंकी हाफिज संईद के संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हेडक्वार्टर है. यह लाहौर से 30 किलोमीटर दूर है. हाफिज सईद ने 2008 के मुंबई हमले की साजिश रची थी. भारत ने मुरीदके में लश्कर के मरकज तैयबा को उड़ाया है. इसे 2000 में बनाया था और लश्कर के आतंकियों का अहम ठिकाना था. इस मरकज को बनाने के लिए ओसामा बिन लादेन ने एक करोड़ रुपये दिए थे. कसाब सहित मुंबई हमले के आतंकियों को यहीं से ट्रेनिंग मिली थी.
सियालकोट पर भी एयरस्ट्राइक की गई. यहां हिजबुल मुजाहिद्दीन का ठिकाना था. भारतीय सेना ने यहां महमूना पर हमला किया. यहां हिजबुल के आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती थी. आतंकियों को जम्मू में घुसपैठ करने के लिए तैयार किया जाता था.
मुजफ्फराबाद के सवाई नाला कैंप पर भारत ने मिसाइल दागी. इसे 2000 में लश्कर ने बनाया था. यहां लश्कर के आतंकियों को ट्रेनिंग दी जाती थी. इस कैंप में लश्कर का एक मदरसा भी था, जिसमें 40 कमरे थे. यह वही कैंप था, जहां पहलगाम अटैक की साजिश रची गई थी. पाकिस्तानी सेना और ISI भी आतंकियों को हथियार देती थी. यहां की सैयद बिलाल मस्जिद पर भी हमला किया गया है.
जम्मू के पुंछ-राजौरी से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित गुलपुर पर भी अटैक किया गया. यहां लश्कर-ए-तैयबा का कैंप है. अप्रैल 2023 में पुंछ और जून 2023 में तीर्थयात्रियों की बस पर अटैक की साजिश यहीं से रची गई थी.
भारतीय सेना ने भीमबेर में भी लश्कर के मरकज अहले को भी उड़ा दिया. यहां 100 से 150 आतंकी रहते थे. जनवरी 2023 में राजौरी और जून 2024 में तीर्थयात्रियों पर हमले की साजिश इसी मरकज से रची गई थी. लश्कर और जमात-उद-दावा के आतंकी अक्सर यहां आया करते थे.
कोटली में जैश-ए-मोहम्मद का मरकज अब्बास बना था, जिसे भारतीय सेना ने उड़ा दिया है. यह मरकज कोटली के मिलिट्री कैंप से सिर्फ दो किलोमीटर दूर था. इस इमारत में 40-50 आतंकी हमेशा रहते थे. जैश के संस्थापकों में से एक हाफिज अब्दुल शकूर यहां का कमांडर है.
शकरगढ़ में जैश की तेहरा कलां फैसिलिटी थी, जिसे भारत ने निशाना बनाया है. यह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नरोवाल जिले के शकरगढ़ में बना था. जैश का यह ठिकाना अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 6 किलोमीटर दूर था. भारत में घुसपैठ और हमले के लिए आतंकियों को यहीं ट्रेनिंग दी जाती थी. इसी जगह से जैश के आतंकी ड्रोन के जरिए हथियार भेजते थे. इसके साथ ही पाकिस्तान के सियालकोट के पास इंटरनेशनल बॉर्डर से 12 किलोमीटर दूर महमूना जोया कैंप को भी टारगेट कर आतंकियों के गढ़ को नष्ट किया गया.
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