वन नेशन, वन इलेक्शन पर संयुक्त संसदीय समिति (JDC) के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. जेपीसी सदस्य के तौर पर राजनीतिक दलों ने संभावित सदस्यों के नाम सौंपे हैं.
वन नेशन, वन इलेक्श पर गठित होने वाली जेपीसी में कांग्रेस से मनीष तिवारी, जेडीयू से संजय झा, समाजवादी पार्टी से धर्मेंद्र यादव, टीडीपी से हरीश बालयोगी, डीएमके से पी. विल्सन और सेल्व गंगापती, शिवसेना (शिंदे) से श्रीकांत शिंदे, टीएमसी से कल्याण बनर्जी और साकेत गोखले सदस्य हो सकते हैं.
जेपीसी में कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी भी सदस्य हो सकती है. इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने समिति के सदस्यों के लिए सभी दलों से नाम मांगे थे.
ONOE बिल पर चर्चा क्यों हो रही?
यह बिल भारत के संघीय ढांचे, संविधान के मूल ढांचे, और लोकतंत्र के सिद्धांतों को लेकर बड़े पैमाने पर कानूनी और संवैधानिक बहस छेड़ चुका है. आलोचकों का कहना है कि राज्य विधानसभाओं के चुनाव लोकसभा के साथ कराने से राज्यों की स्वायत्तता पर असर पड़ेगा और सत्ता के केंद्रीकरण की स्थिति बनेगी.
कानूनी विशेषज्ञ यह भी देख रहे हैं कि क्या यह प्रस्ताव संविधान की बुनियादी विशेषताओं, जैसे संघीय ढांचा और लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व, को प्रभावित करता है.
JPC की भूमिका क्या होगी?
सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा है. JPC का काम है इस पर व्यापक विचार-विमर्श करना, विभिन्न पक्षकारों और विशेषज्ञों से चर्चा करना और अपनी सिफारिशें सरकार को देना. वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष कहते हैं, 'JPC की जिम्मेदारी है कि वह व्यापक परामर्श करे और भारत के लोगों की राय को समझे.'
हिमांशु मिश्रा