ट्रैक पर 51 घंटे बाद दौड़ी पहली ट्रेन, 182 शवों की शिनाख्त नहीं, CBI जांच की सिफारिश... ओडिशा हादसे के बाद अब कैसे हैं हालात

कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु हावड़ा एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी के एक साथ हादसे की चपेट में आने की ये घटना रेलवे के इतिहास में सामान्य घटना नहीं है. लिहाजा हर एक एंगल से पूरी घटना की पड़ताल चल रही है. अंतिम निष्कर्ष के लिए रेलवे सेफ्टी कमिश्नर की विस्तृत रिपोर्ट आने की बात हो रही है. साथ ही किसी तरह की साजिश का पता लगाने के लिए सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी गई है.

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ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद के हालात ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद के हालात

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 जून 2023,
  • अपडेटेड 6:29 AM IST

हादसे के दो दिन बाद भी ओडिशा के बालासोर में दर्द का मंजर नजर आ रहा है. यूं तो 51 घंटे बाद ट्रैक पर पहली ट्रेन दौड़ने लगी है, लेकिन अब भी बोगियां का मलबा त्रासदी की कहानी बता रहा है और इस कहानी में उलझे हैं कई सवाल. आखिर कैसे तीन ट्रेंने आपस में टकरा गईं? कैसे ये हादसा ढ़ाई सौ से अधिक लोगों की मौत और 1100 से अधिक लोगों के घायल होने की वजह बन गया? पड़ताल चल रही है. 

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दरअसल, कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु हावड़ा एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी के एक साथ हादसे की चपेट में आने की ये घटना रेलवे के इतिहास में सामान्य घटना नहीं है. लिहाजा हर एक एंगल से पूरी घटना की पड़ताल चल रही है. अंतिम निष्कर्ष के लिए रेलवे सेफ्टी कमिश्नर की विस्तृत रिपोर्ट आने की बात हो रही है. साथ ही किसी तरह की साजिश का पता लगाने के लिए सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी गई है. 

बता दें कि बालासोर में जहां ट्रेन हादसा हुआ है, वहां चौबीसों घंटे काम युद्धस्तर पर चल रहा है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव लगातार घटनास्थल पर मौजूद हैं. सैकड़ों रेल कर्मी, राहत बचाव दल के जवान, टेक्नीशियन्स से लेकर इंजीनियर्स तक दिन रात काम कर रहे हैं. हादसे के बाद घटनास्थल पर जो हालात थे, वो तेजी से बदलते जा रहे हैं. पटरी पर बिखरी बोगियां अब हटाकर किनारे की जा चुकी हैं. हादसे के बाद दोनों एक्सप्रेस ट्रेन और मालगाड़ी के बचे हुए डिब्बे भी पटरी से हटाए जा चुके हैं. ट्रैक के रिस्टोरेशन का काम तेजी से चल रहा है. इसी का नतीजा है कि हादसे के 51 घंटे बाद ही पहली ट्रेन का संचालन इस ट्रैक पर शुरू किया गया.

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275 लोगों की मौत, 182 शवों की शिनाख्त नहीं

शुक्रवार को बहनागा बाजार स्टेशन के पास हुए तबाही का मंजर देखकर हर किसी की रूह कांप उठी. 275 लोगों की दर्दनाक मौत हो चुकी है. वहीं हजार से ज्यादा लोग घायल हैं. 182 शव ऐसे हैं, जिनकी अभी तक शिनाख्त नहीं हो सकी है. आलम ये है कि अस्पतालों के मुर्दाघर शवों से खचाखच भरे हैं और इस भीषण गर्मी में शवों को सुरक्षित रखना प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है. इसके लिए एक स्कूल और कोल्ड स्टोरेज को मुर्दाघर में तब्दील कर दिया गया है. 

187 शवों को भुवनेश्वर किया गया शिफ्ट 

हादसे के बाद बालासोर के मुर्दाघरों में जगह न होने के कारण एक स्कूल को ही मुर्दाघर बना दिया गया. यहां क्लास में शवों को रखा गया था. वहीं ओडिशा सरकार ने 187 शवों को जिला मुख्यालय शहर बालासोर से भुवनेश्वर शिफ्ट किया था. हालांकि, यहां भी जगह की कमी मुर्दाघर प्रशासन के लिए स्थिति को कठिन बना रही है. इनमें से 110 शवों को एम्स भुवनेश्वर में रखा गया है. वहीं बचे हुए शवों को कैपिटल अस्पताल, अमरी अस्पताल, सम अस्पताल आदि में रखा गया है.

ताबूत, बर्फ और फॉर्मेलिन से सुरक्षित रखे जा रहे शव

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एम्स भुवनेश्वर के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि यहां शवों को सुरक्षित रखना हमारे लिए भी एक वास्तविक चुनौती है, क्योंकि हमारे पास अधिकतम 40 शवों को रखने की सुविधा है. एम्स के अधिकारियों ने शवों की पहचान होने तक उन्हें सुरक्षित रखने के लिए ताबूत, बर्फ और फॉर्मेलिन रसायन खरीदे हैं. गर्मी के इस मौसम में शवों को रखना वास्तव में मुश्किल है.

आगे की जांच सीबीआई करेगी: रेल मंत्री

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को भुवनेश्वर में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बताया कि मेन लाइन पर मरम्मत का काम पूरा हो चुका है. विद्युतीकरण का काम अभी भी जारी है. रेलवे घायल और मृतकों के परिजनों के संपर्क में है. रेलवे ने सिफारिश की है कि जांच सीबीआई से कराई जाए. सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए आगे की जांच के लिए सीबीआई को सौंपा जाएगा. इसकी सिफारिश रेलवे बोर्ड की तरफ से किया जा रहा है.

अपनों की तलाश में भटक रहे परिजन

हादसे के बाद जगह-जगह से लोग बालासोर अपनों की तलाश में पहुंच रहे हैं. राहत बचाव कार्य खत्म होने के बाद अब अस्पताल से लेकर मुर्दाघरों तक में जाकर परिजन अपनों को ढूंढ रहे हैं. कोरोमंडल एक्सप्रेस में यात्रा करने वाले बिहार के सीतामढ़ी निवासी मनोज कुमार सहनी के परिजन भी रविवार को बालासोर पहुंचे. उनके भाई सुनील कुमार साहनी और दिलीप साहनी उनकी तलाश में ओडिशा के एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकते नजर आए.

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पीड़ितों को मिलने लगी आर्थिक सहायता 

वहीं जिन मृतकों की पहचान हो चुकी है, उनके और हादसे में घायलों के परिजनों को रेलवे विभाग द्वारा आर्थिक सहायता भी देना शुरू कर दिया है. रेलवे की तरफ से मृत्यु के मामले में 10 लाख रुपये, गंभीर चोटों के लिए 2 लाख रुपये और मामूली चोटों के लिए 50,000 रुपये देना शुरू कर दिया गया है. अब तक रेलवे ने 100 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है. 285 मामलों में अनुग्रह राशि के रूप में 3.22 करोड़ (11 मौत के मामले, 50 गंभीर चोट के मामले, 224 साधारण चोट के मामले). भारतीय रेलवे 7 स्थानों (सोरो, खड़गपुर, बालासोर, खंटापारा, भद्रक, कटक, भुवनेश्वर) पर अनुग्रह राशि का भुगतान कर रहा है.

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