निठारी कांड में 20 साल बाद बड़ा फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को आखिरी केस में भी किया बरी

सुप्रीम कोर्ट ने निठारी कांड में मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को आखिरी केस में भी बरी कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि निठारी में अपराध जघन्य थे और पीड़ित परिवारों का दुःख माप से परे है. पर ये अफसोस की बात है कि लंबी जांच के बावजूद, वास्तविक अपराधी की पहचान कानूनी मानदंडों को पूरा करने वाले तरीके से स्थापित नहीं हो पाई है.

Advertisement
निठारी कांड: सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को आखिरी केस में भी किया बरी. (File photo: ITG) निठारी कांड: सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को आखिरी केस में भी किया बरी. (File photo: ITG)

अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 12 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:43 PM IST

नोएडा के निठारी में गायब बच्चों के मानव अवशेष मिलने के 20 साल बाद, मामले के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को आखिरी FIR में भी बरी कर दिया गया है. मोहिंदर सिंह पंढेर के घर (डी5, सेक्टर 31, नोएडा) में काम करने वाले सुरेंद्र कोली को सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव याचिका स्वीकार करते हुए बरी किया है. CJI बीआर गवई, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने अपने फैसले में 2006 से जेल में बंद कोली को तत्काल रिहा करने का निर्देश दिया है.

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने केस की ख़राब जांच पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य फॉरेंसिक सबूतों से सिद्ध नहीं हुए हैं. कोर्ट ने कहा कि एक घरेलू सहायक बिना किसी मेडिकल ट्रेनिंग के शरीर के टुकड़ों को साफ और वैज्ञानिक तरीके से कैसे काट सकता था.

सुरेंद्र कोली को इसी हत्याकांड से जुड़े 12 अन्य मामलों में पहले ही बरी किया जा चुका है. यह फैसला 14 साल के रिम्पा हल्दर के रेप और हत्या मामले से संबंधित है. सुप्रीम कोर्ट ने कोली के जुड़े इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले से सहमति जताई है, जिसमें बरी किया गया था.

दोषपूर्ण पुलिस जांच पर गंभीर सवाल...

सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस जांच में दोषों को लेकर तीखी आलोचना की है. अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड-आधारित कमियां न्याय और विश्वसनीयता पर सीधा असर डालती हैं. कोर्ट ने कहा कि जांच पेशेवर और संवैधानिक रूप से अनुरूप नहीं थी. समय पर और पेशेवर जांच के अभाव ने सच्चे अपराधी की पहचान के रास्ते बंद कर दिए.

Advertisement

SC ने कोली के 'कबूलनामे' पर भरोसा करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने ध्यान दिया कि कोली 60 दिनों से ज्यादा वक्त तक पुलिस हिरासत में रहा और उसे कानूनी सहायता या यहां तक कि चिकित्सीय जांच भी उपलब्ध नहीं कराई गई.

साक्ष्य की कड़ी और फॉरेंसिक चूक

कोर्ट ने कहा कि चाकू, कुल्हाड़ी और शव जैसे सबूत घर के बाहर मिले थे, लेकिन उन्हें कोली से जोड़ने के लिए कोई स्वीकार्य सबूत नहीं है. विशेषज्ञ टीमों द्वारा डी-5 की व्यापक तलाशी में भी घर के अंदर कई हत्याओं और टुकड़ों को काटने के अनुरूप कोई मानव रक्त के धब्बे या अवशेष नहीं मिले. जांच और फॉरेंसिक रिकॉर्ड लापता कड़ियों को पूरा नहीं करते.

निठारी हत्याकांड...

2005 की शुरुआत से ही निठारी के निवासी महिलाओं और बच्चों के लापता होने की रिपोर्ट कर रहे थे. मार्च 2005 में, क्रिकेट खेल रहे बच्चों ने डी5 और डी6 के बीच की संकरी जगह पर एक इंसानी हाथ देखा. 3 दिसंबर 2006 को मुख्य सड़क पर नाली की सफाई के दौरान फिर से एक मानव हाथ देखा गया. 29 दिसंबर 2006 को नोएडा पुलिस ने सुरेंद्र कोली और उसके नियोक्ता मोहिंदर सिंह पंढेर को गिरफ्तार किया.

सुप्रीम कोर्ट ने जांच में हुई चूकों की ओर इशारा किया. उत्खनन शुरू होने से पहले दृश्य को सुरक्षित नहीं किया गया, कथित खुलासे को समकालीन रूप से दर्ज नहीं किया गया. रिमांड के कागज़ातों में आपसी विरोधाभास था और याचिकाकर्ता को समय पर चिकित्सीय जांच के बिना लंबे वक्त तक पुलिस हिरासत में रखा गया. सरकारी समिति द्वारा उठाए गए अंग व्यापार के कोण सहित जांच के महत्वपूर्ण पहलू की भी उपेक्षा की गई.

Advertisement

पीड़ित परिवारों का दुःख

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निठारी में अपराध जघन्य थे और पीड़ित परिवारों का दुःख माप से परे है. यह गहरे अफसोस की बात है कि लंबी जांच के बावजूद, वास्तविक अपराधी की पहचान कानूनी मानदंडों को पूरा करने वाले तरीके से स्थापित नहीं हो पाई है. आपराधिक कानून अनुमान या अंदाजे पर दोषसिद्धि की अनुमति नहीं देता है.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement