'आज कसम खाकर आया था कि नेहरू की बड़ाई करूंगा, लेकिन...', लोकसभा में क्या बोले निशिकांत दुबे

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पार्टी पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया और राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर राम मंदिर न जाने पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि 1980 में आप ईवीएम (EVM) लाने वाले थे, और आज आप उसी के खिलाफ बोल रहे हैं.

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तुष्टिकरण की राजनीति में फंसी है कांग्रेस, लोकसभा में बोले निशिकांत दुबे. (photo: ITG) तुष्टिकरण की राजनीति में फंसी है कांग्रेस, लोकसभा में बोले निशिकांत दुबे. (photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:52 PM IST

लोकसभा में चुनाव सुधार पर बहस के दौरान बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया. उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस पार्टी जिन्ना से लेकर सलमान रश्दी, बाबरी और शाहबानो मामले तक वोट बैंक की राजनीति में फंसी हुई है. उन्होंने कहा कि आजतक राहुल गांधी और प्रियंका गांधी में से कोई भी राम मंदिर नहीं गया.

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निशिकांत दुबे ने लोकसभा में बोलते हुए कहा कि वह आज राहुल गांधी को सुनने के लिए आए थे और कसम खाकर आए थे कि आज केवल नेहरू की, इंदिरा गांधी की, राजीव गांधी की बड़ाई करेंगे. सभी कमेटियां नेहरू ने ही बनाई थीं. यह कांग्रेस जिन्ना से लेकर सलमान रश्दी तक वोट बैंक के तुष्टिकरण में फंसी है. ये मजहरूल हक से लेकर शाहबानो तक और बाबरी से लेकर राजा महमूदाबाद तक, तुष्टिकरण की राजनीति में फंसी हुई है.

उन्होंने कांग्रेस के नेताओं के राम मंदिर न जाने पर सवाल उठाते  हुए कहा कि आजतक राहुल-प्रियंका गांधी में से कोई भी राम मंदिर नहीं गया.

3 प्राइवेट मेंबर रिजॉल्यूशन ही हुए हैं पास

बीजेपी सांसद ने दावा किया कि इस देश में केवल तीन ही प्राइवेट मेंबर रिजॉल्यूशन (Private Member Resolution) पास हुए हैं. पहला रिजॉल्यूशन लालकृष्ण आडवाणी का था, जिसका नतीजा ईवीएम और आज के चुनाव सुधार हैं. उन्होंने कहा कि दूसरे खुशनसीब सांसद वह हैं, जिनका संकल्प अनुच्छेद 370 और 35ए पर पास हुआ. उन्होंने ये भी बताया कि तारकुंडे कमेटी ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स (Electoral Bonds) की सिफारिश की थी.

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बीजेपी सांसद ने 24 नवंबर 1980 को लालकृष्ण आडवाणी के चुनाव सुधार पर प्रश्न को कोट किया, जिसका जवाब शिवशंकर ने दिया था. इस जवाब में कहा गया था कि चुनाव आयोग बहुत ही ईमानदारी से काम कर रहा है. इसलिए इसमें विपक्ष के किसी आदमी की सहभागिता की जरूरत नहीं है. केवल क्रिश्चियनिटी को बढ़ाने वाले नवीन चावला को मदर टेरेसा पर किताब लिखने के लिए आपने चुनाव आयुक्त बना दिया.

कांग्रेस ने कई सालों तक की मनमर्जी

उन्होंने कांग्रेस पर अपनी मनमर्जी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आपने गिल को 10 साल सरकार में मंत्री भी बनाए रखा. 64 साल तक आप जिसको मर्जी, चुनाव आयुक्त बनाते रहे. हमने कम से कम एक कमेटी तो बना दी.

उन्होंने कांग्रेस को याद दिलाया कि 1980 में आपने कहा कि हम ईवीएम लाने वाले हैं, आज आप उसी ईवीएम के खिलाफ बोल रहे हैं. तारकुंडे कमेटी और गोस्वामी कमेटी की रिपोर्ट है. तारकुंडे कमेटी ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स की सिफारिश की थी. पहली बार एक कानून मंत्री गोखले एक जेपीसी के सदस्य थे.

दुबे ने इंदिरा गांधी का निर्वाचन रद्द करने के कोर्ट के फैसले का जिक्र किया और मनीष तिवारी के राजीव गांधी सरकार में सबसे बड़े चुनाव सुधार वाले दावे का उल्लेख करते हुए पलटवार किया. उन्होंने कहा कि 1971 की स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट है.

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SIR से आरजेडी-कांग्रेस को हुआ फायदा

निशिकांत दुबे ने दावा किया कि इसमें अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी का योगदान था. इसको भी कांग्रेस ने 16 साल लटकाए रखा. उन्होंने फारबिसगंज-चनपटिया से लेकर रामगढ़ तक, एसआईआर से डिलीट हुए वोट और जीत के आंकड़े बताए और कहा कि हम जीतने के लिए नहीं, देश के लिए राजनीति करते हैं.

निशिकांत दुबे ने कहा कि एसआईआर में मेरे मां-पिता का नाम कटा है. वह लोग मेरे साथ दिल्ली में रहते हैं, मुझे खुशी है कि उनका नाम कटा. उन्होंने आजमनगर के तजिमुल के 70 साल की उम्र में वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने जाने का जिक्र किया और कहा कि वोट डिलीट होने का फायदा आरजेडी-कांग्रेस को हुआ.

नेहरू ने लिखी जिन्ना को चिट्ठी

बीजेपी नेता ने कांग्रेस पर मुस्लिम परस्त राजनीति करने का आरोप लगाया. उन्होंने एक किताब दिखाते हुए कहा कि किस तरह से कांग्रेस ने मुस्लिम परस्त राजनीति की, इसका पूरा हिसाब-किताब इस किताब में है. मुस्लिम लीग कह रही है कि लोकसभा और विधानसभा की अलग सीट हमको दो, नहीं तो हम भारत का विभाजन कर देंगे. 1937 का चुनाव आ गया, उसमें किस कदर फ्रेंडली फाइट हो रही थी. इसे इससे समझ सकते हैं कि जिन्ना ने कांग्रेस के खिलाफ बयान दिया तो नेहरू चिट्ठी लिखते हैं कि तुम मेरे खिलाफ क्यों बोल रहे हो.

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उन्होंने जनसंख्या के आंकड़े बताते हुए कहा कि 2011 में बंगाल की कुल जनसंख्या 9 करोड़ 13 लाख थी. इसमें 6 करोड़ से ज्यादा हिंदू थे. दार्जिलिंग, दिनाजपुर समेत कुछ ऐसे जिले हैं, जिनकी आबादी की तुलना 1951 से करना चाहता हूं.

निशिकांत दुबे ने कहा कि संथाल परगना में 1951 में आदिवासियों की आबादी 45 परसेंट थी. 2011 की जनगणना में यह केवल 28 फीसदी है. डीलिमिटेशन हुआ 2008 में लोकसभा की एक और विधानसभा की तीन सीटें खत्म होने लगी. सभी दलों ने फैसला किया कि आदिवासी सीट कम नहीं होनी चाहिए. आज जनगणना होगी तो आबादी 23-24 परसेंट होगी. पूरे देश में मुस्लिम चार परसेंट बढ़े हैं, 24 परगना में 14 परसेंट कैसे बढ़े. कोलकाता 1951 में 12 परसेंट रह गए थे, अब 22 परसेंट है. मालदा में मुस्लिम 28 परसेंट था, आजादी के समय 22 परसेंट पर आ गया. आज 46 परसेंट है. मुर्शिदाबाद में 46 परसेंट है.

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