नाम, निशान और वजूद की लड़ाई... NCP से अजित की बगावत के बाद अब सुप्रिया के पास क्या बचा?

सुप्रिया सुले को एनसीपी का कार्यकारी अध्यक्ष बने अभी एक महीना भी नहीं हुआ था कि पार्टी को इतनी बड़ी बगावत देखनी पड़ी. एनसीपी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले अजित पवार ने बीजेपी-शिंदे नीत सरकार को समर्थन दे दिया और एक तरह से एनसीपी में कद्दावर नेताओं का टोटा पड़ गया. ऐसे में सुप्रिया सुले के हाथ अब क्या बचा है?

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एनसीपी कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले, अजित पवार (फाइल फोटो) एनसीपी कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले, अजित पवार (फाइल फोटो)

विकास पोरवाल

  • नई दिल्ली,
  • 02 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 4:57 PM IST

महाराष्ट्र में रविवार को जो सियासी भूकंप आया, उससे राज्य की कद्दावर पार्टी दो फाड़ होती दिखी. एनसीपी में शरद पवार के बाद नंबर दो की हैसियत रखने वाले अजित पवार अचानक ही राजभवन पहुंच गए. यहां उन्होंने शिंदे-बीजेपी की गठबंधन सरकार को समर्थन देने की घोषणा कर दी और यह भी ऐलान किया कि उनके साथ 40 विधायकों का समर्थन है. 

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अजित पवार के साथ बड़े नेताओं का समर्थन
इसके ठीक बाद अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली और अब महाराष्ट्र में एक सीएम और दो डिप्टी सीएम हो गए हैं. जिस जगह पर अजित पवार खड़े हैं, तस्वीरों और वीडियो में उनके पीछे 9 और नेता खड़े दिखाए दिए. अजित पवार और छगन भुजबल के बाद दिलीप वलसे पाटिल, धर्मराव अत्राम, सुनील वलसाड, अदिति तटकरे, हसन मुश्रीफ, धनंजय मुंडे ने शपथ ली है. यानि एक तरह से जिनकी ताकत से एनसीपी का कद महाराष्ट्र की राजनीति में कद्दावर था, शरद पवार के नेतृत्व और सुप्रिया सुले के कार्यकारी अध्यक्ष वाली वह एनसीपी अब एक तरह से खाली हो गई है. ऐसे में इस ओर भी देखना जरूरी है कि सुप्रिया सुले जिस पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष हैं, उनके पास क्या बचा है?

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10 जून को हुआ था एनसीपी में फेरबदल
अभी हाल ही में 10 जून को शरद पवार ने भतीजे अजित पवार को झटका देते हुए पार्टी के दो कार्यकारी अध्यक्षों के नाम ऐलान किया था. मौका था एनसीपी के 25वें स्थापना दिवस का. इस मौके पर बड़ा ऐलान कर शरद पवार में महाराष्ट्र की सियासत में हलचल पैदा कर दी थी. वैसे तो इस पद के लिए अजित पवार की दावेदारी मजबूत मानी जा रही थी, लेकिन जब दोनों नाम सामने आए तो अजित पवार का नाम कहीं नजर ही नहीं आया. ये दोनों नाम थे प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले के. 

उस दिन किसे क्या जिम्मेदारी दी गई थी इस पर एक नजर डालते हैं... 

सुप्रिया सुले- कार्यकारी अध्यक्ष और महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, महिला युवा, लोकसभा समन्वय की जिम्मेदारी. 
प्रफुल्ल पटेल- कार्यकारी अध्यक्ष और मध्य प्रदेश, राजस्थान, गोवा की जिम्मेदारी. 
सुनील तटकरे- राष्ट्रीय महासचिव और ओडिशा, पश्चिम बंगाल, किसान, अल्पसंख्यक विभाग के प्रभारी. 
नंदा शास्त्री- दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष. 
फैसल - तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल की जिम्मेदारी.

क्या प्रफुल्ल पटेल ने भी छोड़ा साथ? 
अब सुप्रिया सुले जिस पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष हैं और उनके साथ जिन लोगों को पार्टी की खास जिम्मेदारियां सौंपी गईं थीं, उनमें से कई ने रविवार दो जुलाई को अजित पवार का साथ देना ठीक समझा. यहां प्रफुल्ल पटेल का जिक्र करना बेहद जरूरी है, क्योंकि उन्होंने मंत्री पद की शपथ तो नहीं ली, लेकिन जब अजित पवार डिप्टी सीएम बनने के बाद प्रेस वार्ता कर रहे थे, तब उनके ठीक बगल की कुर्सी पर प्रफुल्ल पटेल बैठे दिख रहे थे. ऐसे में सवाल और कयास दोनों हैं कि एनसीपी का एक कार्यकारी अध्यक्ष ही एनसीपी का साथ छोड़ गया है. 

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सुप्रिया सुले का उद्धव ठाकरे वाला हाल
महाराष्ट्र में इस सियासी खेल के बाद अब सुप्रिया सुले और उद्धव ठाकरे एक ही पायदान पर खड़े हैं. अभी कुछ दिन पहले शिवसेना प्रमुख के पैरों तले जिस तरह से एकनाथ शिंदे ने पार्टी की सियासी जमीन खींच ली थी और सीएम बन गए थे, ठीक ऐसा ही कुछ सुप्रिया सुले के साथ हुआ है. भविष्य की एनसीपी चीफ होने का सपना देखे उन्हें जुमा-जुमा चार दिन ही हुए थे कि पार्टी के ही लोग उनका साथ छोड़कर चले गए. 

पार्टी के नाम और निशान की लड़ाई लड़ेंगी सुप्रिया
अब दूसरी बात रही पार्टी निशान और नाम की. मीडिया से बातचीत में अजित पवार ने यह भी दावा कर दिया कि राजनीतिक पार्टी का नाम एनसीपी और इसका निशान घड़ी दोनों उनके हैं. वह इसी नाम और निशान पर चुनाव लड़ेंगे. यानी कि एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले अब पूरी तरह से खाली हाथ हैं और उनके हिस्से अब सिर्फ लड़ाई आ गिरी है. 

लड़ाई, पार्टी का वजूद बचाने की.
लड़ाई, नाम और निशान वापस पाने की.
लड़ाई, संगठन को फिर से कद्दावर बनाने की.

कार्यकारी अध्यक्ष बनाते समय उन्हें महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, महिला युवा और लोकसभा समन्वय की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन उन्हें इन मोर्चों से ध्यान हटाकर रविवार को जो नए मोर्चे पैदा हो गए हैं, वहां की लड़ाई लड़नी होगी. 

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