'लालची डॉक्टर पैसों के लिए कर रहे सिजेरियन ऑपरेशन', आंध्र CM एन चंद्रबाबू नायडू का दावा

आंध्र प्रदेश के CM नायडू ने कहा कि राज्य में 56.62% जन्म सी-सेक्शन से हो रहे हैं और निजी अस्पतालों के 'लालची' डॉक्टर इसे बढ़ावा दे रहे हैं. उन्होंने सुरक्षित प्राकृतिक प्रसव पर जोर दिया. PPP के तहत 10 नए मेडिकल कॉलेजों की योजना और राज्य में डिजिटल एवं सामुदायिक लाइब्रेरी स्थापित करने की भी घोषणा की गई.

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एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा, आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा सिजेरियन ऑपरेशन हो रहे हैं. (File Photo: ITG) एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा, आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा सिजेरियन ऑपरेशन हो रहे हैं. (File Photo: ITG)

aajtak.in

  • अमरावती,
  • 23 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:24 PM IST

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने मंगलवार को कहा कि राज्य देश में सबसे ज्यादा सिजेरियन ऑपरेशन का बोझ उठा रहा है, जहां कुल जन्मों का 56.62 प्रतिशत सिजेरियन ऑपरेशन होता है, खासकर लालची डॉक्टर पैसे के लिए ऐसा कर रहे हैं. इसलिए ये प्रथा बढ़ रही है. विधानसभा को संबोधित करते हुए, मुख्यमंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि 90 प्रतिशत सिजेरियन ऑपरेशन निजी अस्पतालों में हो रहे हैं.

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नायडू ने कहा, '56.62 प्रतिशत सिजेरियन ऑपरेशन का होना एक खतरनाक चलन है. ये डॉक्टर हर जगह, पैसों के लिए काम करते हैं. सुरक्षित प्रसव कराने के बजाय, वे सिजेरियन ऑपरेशन को बढ़ावा दे रहे हैं.' उन्होंने आगे कहा कि राज्य देश में सिजेरियन ऑपरेशन के मामले में सबसे आगे है.

मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य मंत्री सत्य कुमार यादव को डॉक्टरों को यह बताने का काम सौंपा कि सरकार इस चलन को मंजूरी नहीं देती और उन्हें अभी से सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया. नायडू के अनुसार, डॉ. एनटीआर वैद्य सेवा ट्रस्ट के अंतर्गत आने वाले फंड का 4.2 प्रतिशत हिस्सा सी-सेक्शन प्रक्रियाओं पर भी खर्च किया जा रहा है.

'एक महीने पहले ही तारीख तय हो जाती है'
उपसभापति के. रघुराम कृष्ण राजू ने कहा कि गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव की तारीखें एक महीने पहले ही 'निश्चित' कर दी जाती हैं, जिससे संकेत मिलता है कि कुछ परिवार गर्भावस्था के अपने आप होने के बजाय प्रसव के लिए 'शुभ' समय चुन रहे हैं.

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राजू को जवाब देते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा, 'वे मुहूर्त (निश्चित शुभ समय) तय कर रहे हैं और फिर प्रसव करा रहे हैं. यह गलत है...'

इसके अलावा, नायडू ने कहा कि ईश्वर द्वारा दिए गए प्राकृतिक शरीर की सर्जरी तब तक नहीं की जानी चाहिए जब तक कि वास्तव में इसकी आवश्यकता न हो. इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की कि वे इस 'झूठे प्रचार' पर विश्वास न करें कि मेडिकल कॉलेजों का निजीकरण किया जा रहा है.

उन्होंने आरोप लगाया कि वाईएसआरसीपी के सदस्य विधानसभा सत्र में इसलिए शामिल नहीं हो रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि इस मामले में सच्चाई सामने आ जाएगी. फिर भी पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान 2020-21 में 17 नए मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई थी, नायडू ने जोर देकर कहा कि चार वर्षों में उन पर केवल 18 प्रतिशत रुपये या 1,550 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि कुल अनुमानित निवेश 8,480 करोड़ रुपये था.

उन्होंने कहा कि इस गति से इन कॉलेजों का निर्माण पूरा होने में ही 15 साल से अधिक का समय लग जाएगा और परिणामस्वरूप, 11 मेडिकल कॉलेज शुरू नहीं हो पाएंगे.

10 मेडिकल कॉलेजों के विकास का प्रस्ताव
जून 2024 में सत्ता संभालने पर नायडू ने कहा कि टीडीपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के सामने निष्क्रिय मेडिकल कॉलेजों का संकट खड़ा हो गया था, जिसके कारण उसने परियोजना को पुनर्जीवित करने के लिए 787 करोड़ रुपये जारी किए. इसलिए, उन्होंने कहा कि त्वरित कार्यान्वयन, बेहतर गुणवत्ता और बेहतर स्वास्थ्य सेवा पहुंच के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत 10 मेडिकल कॉलेजों के विकास का प्रस्ताव है.

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नायडू ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा में पीपीपी निजी क्षेत्र की दक्षता का लाभ उठाती है और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सा शिक्षा में सुधार करती है. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेजों के विकास से 3,700 करोड़ रुपये की बचत होगी और संचालन एवं रखरखाव में सालाना 500 करोड़ रुपये की बचत होगी.

उन्होंने कहा, अगर हम पीपीपी मोड के तहत 10 मेडिकल कॉलेज विकसित करते हैं, तो कुल मिलाकर, आंध्र प्रदेश के छात्रों के लिए हर साल 110 अतिरिक्त मेडिकल सीटें उपलब्ध होंगी.' इसके अलावा, नायडू ने कहा कि 70 प्रतिशत बिस्तरों पर मुफ़्त इलाज, निदान और दवाइयां भी मुफ़्त उपलब्ध होंगी.

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